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ताइवान ने चीन से निपटने के लिए की रक्षा बजट में वृद्धि, बेड़े में शामिल होंगे लड़ाकू विमान

ताइपे। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष (US House of Representatives Speaker) नैंसी पेलोसी ( Nancy Pelosi) के ताइवान दौरे (Taiwan visit) से उठा तूफान अभी थमा नहीं है। चीन (China) से बढ़ते तनाव के तहत ताइवान ने बड़ा कदम उठाते हुए अपने रक्षा बेड़े में घातक लड़ाकू विमान (lethal fighter plane) और बड़े हथियारों समेत अन्य उपकरण शामिल किए हैं। ताइवान ने बृहस्पतिवार को अपनी सुरक्षा को और ज्यादा मजबूत करने के लिए अगले साल रक्षा क्षेत्र में 19 अरब डॉलर खर्च करने का प्रस्ताव रखा है।

ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के मंत्रिमंडल ने कुल प्रस्तावित रक्षा बजट में वार्षिक आधार पर 13.9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 19.41 अरब डॉलर निर्धारित किया है। इसमें लड़ाकू विमान और अन्य उपकरणों के लिए अतिरिक्त विशेष फंड शामिल हैं। हालांकि बजट, लेखा और सांख्यिकी महानिदेशालय ने यह नहीं बताया है कि पैसा कहां जाएगा। ताइवान ने अपने रक्षा बजट में यह रिकॉर्ड वृद्धि की है जो देश के रक्षा खर्च में बढ़ोतरी की तुलना में सर्वाधिक है। ताइवान की 2017 के बाद वार्षिक वृद्धि चार फीसदी से नीचे रही है। इस वृद्धि का मकसद हथियारों को रक्षा बेड़े में शामिल करना है।


विमानों-जहाजों की लागत पर खास ध्यान
सांख्यिकी विभाग के मंत्री चू जर मिंग ने कहा कि हमें रक्षा खर्च में वृद्धि करना जरूरी हो गया है। हम हमेशा सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। इसलिए बजट के लिए संचालन लागत काफी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि ताइवान के पास चीनी सैन्य गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए भेजे गए विमानों और जहाजों के लिए ईंधन और रखरखाव जैसी लागतों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

शिनजियांग पर यूएन रिपोर्ट से चीन में कठिन हालात
संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत टोमाया ओबोकाटा की शिनजियांग प्रांत में अल्पसंख्यक उइगर मुस्लिम आबादी के दमन में चीन के शामिल होने की पुष्टि के बाद चीनी प्रशासन को कठिन हालात का सामना करना पड़ रहा है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी उइगरों की दुर्दशा पर चिंता जताई है और शिनजियांग में जबरन श्रम के साथ निर्मित उत्पादों के बहिष्कार से चीन को काफी परेशानी हो रही है। इस रिपोर्ट के मद्देनजर अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने चीन से शिनजियांग में बने उत्पाद खरीदना बंद कर दिया है। इससे चीन की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग रहा है।

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