इंदौर न्यूज़ (Indore News)

साल के पहले लॉकडाउन में कहीं सख्ती तो कहीं ढील

अधिकांश चौराहों पर चलती रही आवाजाही, जिन्हें काम वही दिखे सडक़ पर, 11 बजे से सख्ती दिखाई पुलिस ने
इंदौैर। शहर में कोरोना (Corona) के बढ़ते मरीजों  (Patients) की रफ्तार को देखते हुए आज इस साल का पहला लॉकडाउन (Lockdown) लगाया गया है। हालांकि लॉकडाउन (Lockdown)  कल रात 10 बजे से ही शुरू हो गया था जब नाइट कफ्र्यू लगा था। आज सुबह से शहर में लॉकडाउन तो नजर आ रहा है, लेकिन पुलिसिया सख्ती नदारद है। कारण, आज पीएससी की परीक्षा है और 10 बजे तक दूध विक्रेताओं को भी छूट दे रखी है। शहर के मध्य के चौराहों पर जरूर सख्ती की गई और वाहन चालकों से पूछताछ की जा रही है, ताकि अनावश्यक रूप से कोई सडक़ों पर न निकले।
कल रात आई जांच रिपोर्ट में कोरोना मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी जारी रही। 326 नए मरीज मिलाकर अब शहर में कोरोना (Corona) पॉजिटिव मरीजों की संख्या 2090 तक पहुंच गई है। शहर में पिछले साल से अभी तक 64 हजार 153 लोग पॉजिटिव निकल चुके हैं। इनमें से 61 हजार 119 ठीक होकर घर पहुंच गए हैं, लेकिन शहर में दिसम्बर के बाद 2021 में जिस तरह से कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, उसने लॉकडाउन (Lockdown) लगाने पर मजबूर कर दिया है। हर रविवार इंदौर सहित भोपाल और जबलपुर में लॉकडाउन रहेगा, जिसका सख्ती से पालन कराने का निर्देश दिया गया है। आज सुबह शहर में लॉकडाउन (Lockdown) प्रभावी रहा, लेकिन इक्का-दुक्का वाहन सवार सडक़ों पर नजर आए। सख्ती इसलिए नहीं की गई, क्योंकि सुबह 10 बजे तक दूध वालों को छूट दी, केमिस्ट खुले हैं और फिर शहर में परीक्षा है। हालांकि प्रशासन ने अत्यावश्यक कार्य से जाने वालों के साथ ढिलाई बरतने के लिए भी कहा है। कुल मिलाकर शहर में आज मिला-जुला माहौल नजर आया। कहीं ढील तो कहीं सख्ती रही।


दूध की दुकानें खुली रहीं
दूध (Milk) की दुकानों को सुबह 10 बजे तक खुला रखने और दूध विक्रेताओं को भी घर-घर दूध पहुंचाने के लिए 10 बजे तक का ही समय दिया गया था।। बाद में इन दुकानों को बंद करवा दिया और मोटर साइकल पर दूध वितरण करने वाले लोगों को भी रोका गया। कई मोहल्ले और कालोनियों में किराना दुकानें भी खुली मिलीं जिसे पुलिस के मोटरसाइकल दस्तों ने बंद करवा दिया।


मधुमिलन चौराहे पर दिखी सख्ती
पूरे शहर में चौराहों पर पुलिस ने चैकिंग पॉइंट लगाए हैं। यहां पुलिस के साथ-साथ क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारियों को भी तैनात किया गया है। मधुमिलन चौराहे पर जरूर पुलिस की सख्ती दिखाई दी और आने-जाने वाले वाहनों को पुलिसकर्मी रोककर पूछताछ करते रहे। राजबाड़ा चौक पर भी यही स्थिति थी। बेवजह घर से निकलने वालों को कुछ देर तक रोका गया और समझाइश दी गई कि वे घर से न निकलें, नहीं तो कार्रवाई की जाएगी। हालांकि 11 बजे तक अधिकांश चौराहों पर पुलिसिया सख्ती नदारद रही।

मैजिक-वैन बंद, ऑटो चले
जिला प्रशासन सार्वजनिक परिवहन को आज पूरी तरह से बंद रखने के लिए कहा है। सिटी बस केवल पीएससी के विद्यार्थियों के लिए चलाई जा रही है। मैजिक और सिटी वैन जैसे वाहन बंद हैं, लेकिन शहर में सुबह-सुबह ऑटो रिक्शा जरूर चलते मिले। ऑटो रिक्शा एसोसिएशन ने शहर में विद्यार्थियों की सुविधा के लिए ऑटो सुविधा चालू रखने की घोषणा की थी, लेकिन ऑटो वाले आम लोगों को भी बिठाते दिखे। हालांकि कई जगह पुलिस ने ऑटो वालों को वापस भेज दिया और कहा कि उन्हें किसी प्रकार की अनुमति नहीं दी गई है। इसको लेकर कुछ जगह ऑटो चालकों और पुलिसकर्मियों का विवाद भी हुआ।


चौराहे पर मजदूरों की भीड़
चंदनगर और बजरंग नगर चौराहे पर मजदूरों की भीड़ नजर आई। इन चौराहों पर रोज दिहाड़ी मजदूर इक_ा होते हैं। हालांकि इन्हें लॉकडाउन से कोई मतलब नहीं था। मजदूर दोपहर 12 बजे तक काम का इंतजार रहे, लेकिन उन्हें आज काम नहीं मिला। बाद में पुलिस ने इन्हें चौराहों पर से हटा दिया।


टैक्सियां नहीं मिलीं यात्रियों को, अपना सामान खुद ढोया
लॉकडाउन में एयरपोर्ट (Airport),  रेलवे स्टेशन (Railway Station) और बस स्टैंड पर आने वाले यात्रियों को आने-जाने की छूट थी, लेकिन लोकल परिवहन बंद था। इससे कई यात्री परेशान होते दिखाई दिए और अपना सामान ढोते हुए अपने गंतव्य को पहुंचे। एयरपोर्ट पर यात्री तो आए, लेकिन उनके लिए टैक्सी की सुविधा नहीं थी। यात्री लोकल टैक्सी ढूंढते रहे, लेकिन उन्हें टैक्सी नहीं मिली। रेलवे स्टेशन पर भी यही हाल था। रेलवे स्टेशन से भी लोकल साधन नहीं होने के कारण परेशानी आई। कुछ यात्रियों को परीक्षार्थियों के लिए चलाई गई सिटी बसें मिल गईं। नवलखा, गंगवाल और स्टेशन के सामने बस स्टैंड पर आज सुबह भरी हुई बसें आईं, लेकिन यहां से जाने वाली बसों में यात्रियों का टोटा रहा। दूसरी ओर ट्रकों और यात्री वाहनों को शहर से निकलने की छूट के चलते रिंगरोड से लेकर बायपास तक यातायात सामान्य रहा। बायपास पर पुलिस ने बैरिकेड्स भी नहीं लगाए थे, लेकिन जहां-जहां से शहर के रास्ते मिल रहे थे वहां जरूर चैकिंग पाइंट लगाकर लोगों से पूछताछ की।

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