सिंगापुर। सिंगापुर(Singapore) में बीते डेढ़ दशक (half a decade) के दौरान भारतीय पेशेवरों की तादाद बढ़कर दोगुनी (Indian professionals doubled) हो गई है या संख्या किसी विशेष तवज्जो के चलते नहीं बल्कि तकनीकी प्रतिभा की मांग आपूर्ति के वैश्विक रुझान के चलते बढ़ा है।
सिंगापुर के श्रम मंत्री तान सी लेंग (Singapore’s Labor Minister Tan Si Leng) ने बताया कि 2005 से 2020 के दौरान रोजगार पास (ईपी) धारक भारतीय पेशेवरों का अनुपात 13 फीसदी से 26 फीसदी हो गया है।
गौरतलब है कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के चलते देश की अर्थव्यवस्था धीमी (country’s economy slows) पड़ गई है और बढ़ती हुई बेरोजगारी के लिए स्थानीय लोग भारत सिंगापुर के बीच 2005 में हुए व्यापक आर्थिक सहयोग समझोते (सीईए) को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
उनका आरोप है कि इस मुक्त व्यापार समझौते के कारण भारतीय पेशेवर सिंगापुर के लोगों की नौकरियों पर कब्जा कर रहे हैं, लेकिन तान का कहना है, सिंगापुर की डिजिटल अर्थव्यवस्था व वित्तीय स्थिति में तेज विकास और तकनीकी भारतीय पेशेवरों की मांग के चलते उनकी हिस्सेदारी में उछाल आया है।
उन्हें सीईसीए के तहत कोई विशेष छूट नहीं दी गई है। उन्होंने कहा, अगर भारतीय इस तरह की नौकरियां नहीं लेंगे, तो स्थानीय लोगों के खाते में चली जाएगी। अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए अच्छी प्रतिभा और कौशल को जगह देनी ही होगी।
श्रम मंत्री लेंग ने कहा कि तकनीकी कौशल वाले भारतीय हमेशा से देशों का रुख करते रहे हैं। इसमें उन्हें अंग्रेजी बोलने का भी फायदा मिलता है। यह सच है कि सिंगापुर में भी प्रतिभाएं हैं। लेकिन यहां भी निवेश कर रही कंपनियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए उनकी संख्या पर्याप्त नहीं है। Share: