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चंबल का जलजला, राजघाट पर जल स्तर 144 मीटर पहुंचने से पुराना पुल डूबा

मुरैना। ऊपरी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश और कोटा बैराज से निरंतर छोड़े जा रहे पानी की वजह से चंबल नदी (Chambal River) रौद्र रूप में आ गई है। बुधवार को चंबल नदी (Chambal River) के राजघाट (rajghat) पर जल स्तर 144 मीटर पहुंचने की वजह से जहां पुराना पुल पूरी तरह से डूब गया वहीं सबलगढ़ से लेकर पोरसा तक के करीब एक सैकड़ा गांवों में पानी घुस गया है। कई गांवों से हजारों ग्रामीणों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया। पुलिस एवं प्रशासन की टीमें लगातार नजर रखे हुए हैं।

बाढ़ का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार शाम को मुरैना आए और उन्होंने अंबाह तहसील के बीरपुर व कुठियाना गांव में पहुंचकर बाढ़ की विभीषिका का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों से चर्चा भी की। ग्रामीणों ने बाढ़ की वजह से होने वाली परेशानियों से मुख्यमंत्री को अवगत कराया।

ग्रामीणों से चर्चा के बाद मुख्यमंत्री जिला मुख्यालय पर लौट कर आए। जहां उन्होंने अधिकारियों से लंबी चर्चा की। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि बाढ़ पीडि़त ग्रामीणों को किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं आना चाहिए। मुख्यमंत्री ने प्रभावित ग्रामीणों के रहने एवं भोजन-पानी की उचित व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए।



कोटा बैराज से 4 लाख 87000 क्यूसेक पानी प्रति सेकेंड चंबल नदी में डिस्चार्ज किया जा रहा है। चंबल नदी में पानी छोड़े जाने की वजह से बुधवार को सुबह राजघाट पुल पर जल स्तर 144 मीटर को पार कर गया। राजघाट स्थित पुराना पुल पानी में पूरी तरह डूब गया है। जल स्तर बढऩे की वजह से सबलगढ़ क्षेत्र के कई गांव डूब में आ गए हैं। सबलगढ़ के हजारों ग्रामीणों ने आनन-फानन में अपने घरों को छोड़कर के अन्यत्र शरण ली है। पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारी सुबह से ही सबलगढ़ क्षेत्र के गांवों में डेरा डाले हुए हैं। वह ग्रामीणों के खानपान संबंधी व्यवस्था कर रहे हैं। इसके अलावा कैलारस, जौरा, मुरैना, अंबाह एवं पोरसा तहसील के भी करीब एक सैकड़ा गांवों में पानी घुस गया है। इन गांवों के बहुत से ग्रामीणों को प्रशासन के अधिकारियों ने उचित स्थान पर भेजा है। जहां ग्रामीणों के भोजन-पानी व्यवस्था प्रशासन द्वारा की जा रही है।

सबलगढ़ एवं कैलारस तहसील के कैमाराकलां के मजरा बड़ी राड़ी, छोटी राड़ी, टपरा एवं मल्लाह बस्ती, गोदोली घुर्र, रैजा का पुरा, महुआ, कलरघटी, बीकरपुरा, गजा पुरा, बटेश्वरा, सीता का पुरा, मदनपुरा, कटारी का पुरा, बुद्दा का पुरा, नरे का पुरा, टोटा का पुरा, रतीआ का पुरा, मैथाना, बरोठा, कड़ावना, कोडेंरा का पुरा, महरा का पुरा, भर्रा, गरजो, कोजोनी, खेड़ा डिगवार, प्रेमला का पुरा, लक्ष्मण का पुरा, बनवारा, अकुआ का पुरा, बृहवा का पुरा, रोमरपुरा, मंगल पुरा, बिगरा का पुरा, लालकृष्ण का पुरा, कैमारा, गुढूला, बंधर, काचिंधा, अटार, रहू का पुरा, नौरावली, खेरोन, डिगवार, बटेश्वरा, झुण्डपुरा गांव बाढ़ के पानी से प्रभावित हुए हैं।

इसके अलावा तहसील पोरसा के रतनबसई, रामगढ़, सुखध्यान का पुरा, इन्द्रीजत का पुरा, चुसलई, विचपुर, लुधावली, मलहन का पुरा, वासुदेव का पुरा, रायपुर, दीवान सिंह का पुरा विहार का पुरा शामिल हैं। मुरैना अनुभाग के भानपुर, जैतपुर, रिठौरा-खुर्द, दधिराम का पुरा, पटेल का पुरा, रघुवर का पुरा, गबदु का पुरा, कोशा का पुरा, भोलाराम का पुरा, महाराजपुरा, गोरखा, भानपुर, जैतपुर, केंथरी, माया का पुरा, जग्गा का पुरा, जखोना, उलहाड़ा, महु खेड़ा, रिठौरा-खुर्द, दधीराम का पुरा, पटेल का पुरा, रघुवर का पुरा, गबदु का पुरा, पोसा का पुरा, भोलाराम का पुरा, महाराज सिंह का पुरा, गोरखा, अंबाह विकासखंड के ग्राम आरोली, बीच का पुरा, दलजीत का पुरा, भामई, डांगर, नयाबांस, बहेरे का पुरा, जाला, गिलिया का पुरा, किसरोली, गोस बसई, गोसवन का पुरा, कुथियाना, मलहन का पुरा, नीवरा का पुरा, पीपरा का पुरा, रडुआ का पुरा, डंडोली, गूंज, बंधा, समसुख का पुरा, मलबसई, घड़ी आदि गांवों में चंबल का पानी घुस गया।

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