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तेलंगाना में विजेता का फैसला वोट शेयर में महज दो प्रतिशत के अंतर से हुआ

हैदराबाद । तेलंगाना विधानसभा चुनाव में (In Telangana Assembly Elections) वोट शेयर में (In Vote Share) महज दो फीसदी के अंतर से (By Just Two Percent Difference) विजेता का फैसला हुआ (The Winner was Decided) । कांग्रेस पार्टी 39.40 प्रतिशत वोट के साथ 119 सदस्यीय विधानसभा में 64 सीटें जीतकर सत्ता में आई। वहीं भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को 37.35 फीसदी वोट मिले और वह हैट्रिक से चूक गई।

बीआरएस का वोट शेयर 2018 के 46.87 प्रतिशत से करीब 10 फीसदी कम हो गया, जबकि कांग्रेस पार्टी का वोट शेयर पिछले चुनाव की तुलना में 10.97 प्रतिशत बढ़ गया। बीआरएस, जिसने 2018 में 88 सीटें हासिल की थीं, इस बार केवल 39 सीटें जीत सकी। कांग्रेस पार्टी ने 2018 में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और दो अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था। उसने 99 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किये थे और 28.43 प्रतिशत वोट के साथ केवल 19 सीटें जीती थीं। टीडीपी, जिसने आठ निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारे थे, केवल दो सीटें जीतीं जबकि उसका वोट शेयर 3.51 प्रतिशत रहा।

गत 30 नवंबर को हुए चुनाव में 3.26 करोड़ मतदाताओं में से 71.34 प्रतिशत ने वोट डाले। भारतीय चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी ने 118 सीटों पर चुनाव लड़ा और 92.35 लाख वोट हासिल किए। इसकी सहयोगी पार्टी भाकपा ने एकमात्र सीट 0.34 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीती। कांग्रेस 2018 में चार पार्टियों के पीपुल्स फ्रंट का नेतृत्व कर रही थी जिसमें टीडीपी के अलावा तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) को क्रमश: 0.40 फीसदी और 0.46 फीसदी वोट ही मिले थे।

पिछले चुनाव की तुलना में भाजपा का वोट शेयर लगभग दोगुना हो गया है। उसे 2018 में केवल 6.98 प्रतिशत मत मिले थे जबकि इस बार उसका वोट शेयर बढ़कर 13.90 प्रतिशत पर पहुँच गया। भगवा पार्टी ने अपनी सीटों की संख्या में एक से बढ़ाकर आठ कर ली। इस बार भाजपा ने 111 सीटों पर चुनाव लड़ा और आठ सीटें अपनी सहयोगी जन सेना पार्टी (जेएसपी) के लिए छोड़ दीं, लेकिन उसे कोई सीट नहीं मिली।

अपनी सात सीटें बरकरार रखने वाली एआईएमआईएम का वोट शेयर 2018 में 2.71 प्रतिशत से घटकर 2.22 प्रतिशत हो गया। उसे सभी नौ निर्वाचन क्षेत्रों में 5,19,379 वोट मिले। अन्य पार्टियों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को 1.37 प्रतिशत, माकपा को 0.22 प्रतिशत और एआईएफबी को 0.62 प्रतिशत वोट मिले। अन्य को 3.84 फीसदी वोट मिले। चुनाव आयोग के अनुसार, 0.73 प्रतिशत (1.71 लाख) ने नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) विकल्प का प्रयोग किया। 2018 में यह संख्या 2.24 लाख थी।

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