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Festival Season: आसमान छूती खाद्य तेल की कीमतों में मिल सकती है राहत

नई दिल्ली। आसमान छूती खाद्य तेल (edible oil) की कीमतों में आने वाले समय में कुद राहत मिलने के संकेत मिल रहे हैं, क्‍योंकि हाल ही में सरकार ने पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल (Palm, Soybean and Sunflower Oils) की कच्ची किस्मों पर मूल सीमा शुल्क को हटा दिया है और इसके साथ ही रिफाइंड खाद्य तेलों पर शुल्क में कटौती की है। इस कदम से त्योहारी मौसम में खाद्य तेलों की कीमतों को कम करने और उपभोक्ताओं को राहत देने में मदद मिलेगी।



बता दें कि लगातार बढ़ रही महंगाई के बीच खाने के तेल की कीमतों (Edible Oil Price) के मोर्चे पर जल्द राहत मिलने वाली है। उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Solvent Extractors Association of India-SEA) ने उपभोक्ताओं (Consumers) को राहत देने के लिए अपने सदस्यों से तत्काल प्रभाव से खाद्य तेल के अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) में 3-5 रुपये यानी 3000 से 5000 रुपये प्रति टन की कटौती करने की अपील की है। वैश्विक घटनाक्रमों की वजह से घरेलू खाद्य तेल की कीमतों में कमी का कोई संकेत नहीं आने की बात कहते हुए संगठन ने यह अपील की।
जानकारी हो कि भारत अपने खाद्य तेलों की 60 फीसदी से अधिक जरूरतों के लिए खाद्य तेल का आयात करता है. भारत ने खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों पर अंकुश रखने के लिए पिछले कुछ महीनों में पाम तेल पर आयात शुल्क घटाने और स्टॉक सीमा लागू करने जैसे विभिन्न कदम उठाए हैं। सरकार के इन सक्रिय प्रयासों के बावजूद अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमतें एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में अधिक बनी हुई हैं।
वहीं सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया का कहना है कि इन कीमतों में नरमी के कोई तत्काल संकेत नहीं दिख रहे हैं। इंडोनेशिया जैसे कुछ निर्यातक देशों ने भी लाइसेंस के जरिये पाम तेल के निर्यात पर नियंत्रण शुरू कर दिया है। वैश्विक खाद्य तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं और यह आयातित महंगाई न केवल सभी अंशधारकों बल्कि भारतीय उपभोक्ताओं को भी परेशान कर रही है।


दूसरी ओर रूस और यूक्रेन के बीच काला सागर क्षेत्र में तनाव उस क्षेत्र से आने वाले सूरजमुखी तेल के लिए आग में घी डालने का काम कर रहा है। ला नीना के कारण ब्राजील में खराब मौसम ने भी लैटिन अमेरिका में सोया की फसल को काफी कम कर दिया है. इस वैश्विक स्थिति को देखते हुए सदस्य खाद्य तेलों की सुचारू आपूर्ति बनाए रखने के लिए जूझ रहे हैं. वे सरकार के सक्रिय निर्णयों के साथ जुड़े हुए हैं।

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