ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

संघी की उधारी नहीं चुका रहे हिंदूवादी नेता
राजनीति वैसे जनसेवा का माध्यम होती है, लेकिन कई लोग इसका दुरुपयोग करने से बाज नहीं आते। ऐसे ही एक मामले में हिंदूवादी नेता की छवि से भाजपा में पहुंचे नेताजी ने एक संघी से आर्थिक लेन-देन कर लिया। संघी ने भी मदद कर दी, लेकिन जब पैसे लौटाने की बारी आई तो उन्होंने लेनदारों की तरह उन्हें घुमाना-फिराना शुरू कर दिया। संघी इसकी शिकायत लेकर दीनदयाल भवन भी पहुंचे, लेकिन उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी। आपको बता दें कि उक्त नेता सादा जीवन जीने का ढोंग करते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और है। और हां, आपको समझने के लिए इतना काफी है कि एक विधानसभा से वे भी अपने आका के बल पर दावेदारी कर रहे थे, लेकिन जब चुनाव परिणाम आए और सरकार बनी तो आका को बड़ा नुकसान हुआ। वे दिल्ली से सीधे भोपाल की राजनीति में आ गए।

मित्र की गति फिर
धीमी पड़ी
शिवराज सरकार के कार्यकाल के दौरान मित्र, यानी महापौर पुष्यमित्र भार्गव खुलकर कुछ कर नहीं पा रहे थे, लेकिन मोहन सरकार के आते ही उनके हाथ खुले और उन्होंने वह कर दिखाया जो आज तक किसी महापौर ने करने की हिम्मत नहीं की थी। उन्होंने न केवल ऐसे रास्तों को अतिक्रमणमुक्त कराया जहां वर्षों से कब्जा था, वहीं कई क्षेत्रों में मुनादी करवाकर अतिक्रमण भी हटवा दिए। पिछले एक माह से महापौर की मुहिम ठंडी पड़ी हुई है और जिन विशेष इलाकों में उन्होंने अतिक्रमण हटवाया था वहां अब सडक़ पर फिर धीरे-धीरे सामान जमने लगा है। यह इलाके शहर के मध्य क्षेत्र के हैं। कहने वाले कह रहे हैं कि मित्र की गति अब धीमी पड़ रही है। ऐसा क्यों, यह मित्र बता पाएंगे।

इंदौरी नेताओं ने लगाया स्वच्छता का चौका
इंदौरी तो इंदौरी ठहरे। अपनी बताने से कहीं बाज नहीं आते हैं। जब मामला स्वच्छता के मामले में 7 बार नंबर वन आने का हो तो फिर सीना और चौड़ा हो जाता है। 5 नंबर भाजपा से जुड़े कुछ इंदौरी नेता अयोध्या दर्शन करने पहुंचे। इनमें 5 नंबर के शैलेंद्र महाजन और उनका मित्र मंडल भी शामिल था। वे दर्शन करने मंदिर परिसर में जैसे ही पहुंचे वहां सफाई चल रही थी तो उन्होंने अपना परिचय दिया और कहा कि वे इंदौर से आए हैं। उन्होंने व्यवस्थापकों से कहा कि हम भी अपना श्रमदान करना चाहते हैं। इस पर उन्होंने हाथ में वाइपर थमा दिया। इंदौरी नेता भी खुश हो गए और तन-मन से श्रीराम मंदिर परिसर में सेवा की और खुशी-खुशी लौट आए। वे फूले नहीं समा रहे हैं कि ऐसा सौभाग्य हर किसी को नहीं मिलता है, जब रामलला ने दर्शन तो दिए और सेवा का मौका भी दे दिया।


8 शहरों के नगर अध्यक्ष बदलने की कवायद
भाजपा जल्द ही कुछ और नगर अध्यक्षों को बदल सकती है। भोपाल से कुछ ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं। दो दिन पहले शनिवार को हुई बैठक में इस पर बात हुई है। ये कौन होंगे, इस संबंध में अभी नाम तो सामने नहीं आए हैं, लेकिन जहां सत्ता और संगठन की पटरी नहीं बैठ पा रही है, वहां के विधायकों ने उन्हें हटाने को कहा है, ताकि लोकसभा चुनाव में किसी प्रकार का विवाद सामने न आए या फिर आपसी वैमनस्यता न बढ़े। इसकी तैयारी शुरू हो गई है और अब देखना है कि कौन अध्यक्ष बलि चढ़ता है। हालांकि इसके पहले भाजपा कई अध्यक्षों को हटाकर नए चेहरों को कुर्सी पर बिठा चुकी है।

प्रदेश में आप लोकसभा लड़ेगी या नहीं
लाख कोशिशों के बावजूद आप पार्टी विधानसभा चुनाव में एक भी सीट लाने में नाकामयाब रही। दावे तो खूब हुए। कुछ प्रत्याशियों ने मुद्दों पर चुनाव भी लड़ा, लेकिन मेहनत पानी में गई। अभी तक लोकसभा चुनाव को लेकर आप की प्रदेश में कोई गतिविधि नजर नहीं आ रही है। सूत्र कह रहे हैं कि पार्टी की निगाह दमदार प्रत्याशी पर है, लेकिन पार्टी की फ्रेम में अभी कोई फिट नहीं बैठ रहा है। आप की गतिविधि भी सामने नहीं आ रही है, जिससे पार्टी की रणनीति पता चल सके।

इस बार गोलू ने लूट
लिया मजमा
गोलू शुक्ला जब विधायक नहीं थे, तब भी उनका जन्मदिन मानने वालों की कमी नहीं थी, लेकिन इस बार विधायक बनते ही तीन दिन तक उनका जन्मदिन मना। तीन नंबर में तो क्या दूसरे विधानसभा क्षेत्र में भी गोलू शुक्ला को बुलाकर कई जगह सेवा कार्य करवाए गए तो कई स्थानों पर आतिशबाजी भी की गई, मिठाई बांटी। अभी तक इंदौर में तो आकाश को छोडक़र किसी दूसरे नेता का ऐसा जन्मदिन नहीं मना है। गोलू का राजनीतिक मीटर तेजी से बढ़ रहा है। शनिवार को मौनी बाबा आश्रम में देर रात तक पैर रखने तक की जगह नहीं बची थी। कुछ भी हो, जब राजयोग आता है तो ऐसा ही आता है।

अपनी ढपली…अपना ही राग
ऐसा ही कुछ कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्षों में देखने को मिल रहा है। सबकी अपनी-अपनी दुकान। कुछ तो गांधी भवन का रुख तक नहीं कर रहे हैं कि संगठन की सुध ही ले लें। कार्यक्रमों में मुंह दिखाई के लिए आने वाले अध्यक्ष कब खिसक जाते हैं, पता ही नहीं चलता। सुरजीत भी ज्यादा कुछ कहते नहीं। कांग्रेस में कहना, मतलब अपने लिए दुश्मन पैदा करना। यूं भी कई लोग सुरजीत से दूर ही रहते हैं। खैर, इस चक्कर में संगठन कमजोर हो रहा है। हां, बात तो लोकसभा जीतने तक की हो रही है, लेकिन ऐसे हालात रहे तो कांग्रेस कहां जाएगी, ये कोई बच्चा भी बता देगा।

… और अंत में
कांग्रेस में इंदौर से लोकसभा चुनाव कोई धनाढ्य और बाहुबली नेता ही लड़ेगा, यह तो तय है। जिस तरह से कांग्रेस लगातार 8 बार से इंदौर लोकसभा सीट से हार रही है, इस बार कोई भी बलि का बकरा बनने के मूड में नहीं है। दो दिन पहले हुई बैठक में जो नाम सामने आए उनमें एक-दो नाम छोड़ दिए जाएं तो ऐसा कोई नाम नहीं है, जो लोकसभा में भाजपा को कड़ी टक्कर दे दे। वैसे प्रत्याशी के घुंघरू कुछ नेताओं ने पैरों में बांध लिए हैं और यहां-वहां बजाते फिर रहे हैं। -संजीव मालवीय

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