ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे


आते से ही ठंडी पड़ गई अर्चना जायसवाल
महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद पर जिस तरह से अर्चना जायसवाल की नियुक्ति हुई, उससे लगा कि कांग्रेस के सामने एकमात्र विकल्प अर्चना के रूप में ही बचा था। अर्चना का मुकाबला जहरीली शराब कांड से हुआ, लेकिन वे इस पर मुखर नहीं हो पाई। हमेशा से शराब का विरोध महिलाएं करती रही हैं, लेकिन अर्चना को जिस गर्मजोशी से मोर्चा संभालना था वे ठंडी पड़ गई। पर्दे के पीछे की बात तो यह है कि पुरानी टीम अर्चना की नियुक्ति से खुश नहीं है और अर्चना पुरानी टीम से काम लेने की रणनीति तैयार कर रही है। जाहिर है इसके लिए टीम में कुछ बदलाव किये जाएंगे और अर्चना के हिसाब से कुछ नई नेत्रियां टीम में लाई जाएंगी।
सालभर में ही चूने लगा भाजपा का नया सभागृह
सालभर पहले दीनदयाल भवन में पास में पड़ी खाली जमीन एक नया सभागृह बनाया गया था। हालांकि इसे अस्थायी तौर पर टीनशेड लगाकर बनाया गया, लेकिन उसे आकर्षक दिखाने के लिए खूब खर्चा किया गया, लेकिन इस खर्चे की पोल इस बार बारिश ने खोल दी। इस बार ज्यादा बारिश तो नहीं हो रही है, लेकिन टीन शेड के घटिया निर्माण की पोल खोलने के लिए जरा-सा पानी ही काफी था। पानी को रोकने की कोशिश की, लेकिन नहीं रूका। यह शेड पूर्व अध्यक्ष के नजदीकी नेता ने बनवाया था, जिनका काम बिल्डिंग बनाना है, लेकिन वे यहां फेल हो गए।
समय से पहले ही ज्ञापन दे दिया नेताओं ने
कांग्रेस में फोटूछाप नेताओं की एक बड़ी जमात है। कुछ होता नहीं और भिया के प्रेसनोट और फोटो मीडिया तक पहुंचा दिए जाते हैं। ऐसा ही बिजली के मुद्दे को लेकर हुए प्रदर्शन में देखने को मिला। प्रदेश कांग्रेस की ओर से एकसाथ ज्ञापन देने का समय दोपहर 12 बजे का तय किया गया था, लेकिन कई छपासु नेताओं ने सुबह 10 बजे से ही ज्ञापन देना शुरू कर दिए और बताया कि हम कितने सक्रिय हैं। हालांकि कई नेताओं के पास उतनी संख्या नहीं थी, जितनी उन्हें लाना थी।


सिंधी समाज के लाल दिखा रहे कमाल
शहर के बड़े सिंधी नेता से जुड़े और चार नंबर में रहने वाले युवा सिंधी नेता इन दिनों कमाल दिखा रहे हैं। ये युवा जहरीली शराब कांड में आए नाम से लेकर जुआ खेलते हुए धराए थे। इनमें सिंधी कालोनी व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष भी शामिल थे। बताया जा रहा है इन्हें भाजपा के एक ऐसे नेता का वरदहस्त प्राप्त है, जिसके नाम पर वे क्षेत्र से लेकर थाने तक में धूम मचा रहे हैं और कुछ तो बाकायदा कार्यालय बनाकर अपनी दुकान चला रहे हैं। इन्हें वरदहस्त देने वाले नेता ने पिछले दिनों बुलाकर डपटा भी और कहा कि उनकी हरकतों से उनका नाम खराब हो रहा है, इसलिए अपनी आदतें बदलों। अब देखते हैं कि ये आदत बदलते हैं या नेताजी इनसे पीछा छुड़वा लेते हैं।
फ्रेंडशिप-डे के बहाने पिंटू ने बढ़ाई सक्रियता
पिंटू जोशी अपने पिता महेश जोशी के निधन के पिता उनकी राजनीतिक विरासत संभाल तो रहे हैं, लेकिन काका के बीमार रहते उन्होंने आना-जाना कम कर दिया था, लेकिन पिंटू अब फिर से सक्रिय हो गए हैं और कल फ्रेंडशिप-डे के बहाने उन्होंने अपने पुराने साथियों को इक_ा किया। इनमें वे ही थे, जो पिंटू से एनएसयूआई और युवक कांग्रेस तक साथ जुड़े हुए हैं। मेल-मुलाकात हुई और दाल-बाफले का आनंद भी ले लिया। चिंटू जिस तरह से अब सक्रिय हो रहे हैं, उससे लग रहा है कि वे अब 2023 में तीन नंबर से पीछे नहीं हटेंगे। दांव कहां लगेगा, ये सब जानते हैं।
नरोत्तम के पहले निकल गए शुक्ला
इस बार नरोत्तम मिश्रा भाजपा को वयोवृद्ध नेताओं से मिलने पहुंचे। सत्यनारायण सत्तन से मेल-मुलाकात के बाद वे बाणगंगा के दुर्गा भवन पहुंचे और वहां बड़े भैया से मुलाकात की। बड़े भैया का हालचाल पूछा, लेकिन उनके छोटे बेटे संजय शुक्ला वहां मौजूद नहीं थे। राजेंद्र शुक्ला ने जरूर उनका स्वागत किया। शुक्ला का पूछा तो मालूम पड़ा कि वे कहीं व्यस्त हैं। हालांकि 10 मिनट में ही नरोत्तम यहां से निकल गए। इसके बाद काफिला कालानी नगर में मेघराज जैन के घर पहुंचा। पुराने नेताओं से मिलना, लेकिन ताई के यहां नहीं जाना कुछ सवाल तो खड़े कर गया है।
कुछ ज्यादा ही एक्टिव है भाजपा का मीडिया तंत्र
पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने ट्वीटर अकाउंट से अपने नाम के आगे नेता प्रतिपक्ष का पद क्या हटाया, भाजपा का मीडिया तंत्र एक्टिव हो गया और बताया जाने लगा कि जल्द ही प्रदेश को नया नेता प्रतिपक्ष मिलेगा। भाजपा में हलचल भी मच गई, लेकिन खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली कहावत सिद्ध हो गई और आज से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है। कमलनाथ ही नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर है और वे ही सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से मोर्चा खोले हुए हैं। ्र
दीनदयाल भवन आए संगठन के संभाग प्रभारी भगवानदास सबनानी, इंदौर शहर के प्रभारी तेजबहादुर सिंह और सहप्रभारी आशीष शर्मा परिचय बैठक में इंदौर आए और पदाधिकारियों से मिले। न तो धक्का-मुक्की हुई और न ही नेताओं में उत्साह दिखा, लेकिन शाम को जब इंदौर के प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा कार्यालय पहुंचे तो पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की भीड़ देखने लायक थी और हर कोई उनका स्वागत करना चाह रहा था। इसे कहते हैं सत्ता और संगठन में फर्क।
-संजीव मालवीय

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