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30 की उम्र में वजन 180 किलो, रोज खाता है 80 रोटी, 2 किलो मटन और 3 किलो चावल

नई दिल्ली। जिस तरह हर इंसान का शरीर अलग होता है, उसी तरह हर इंसान की ईटिंग हैबिट (खाने की आदत) भी अलग-अलग होती है. कुछ लोगों को हेल्दी खाना(healthy food) पसंद होता है तो कुछ लोगों को जंक फूड. कुछ लोगों को छोटे-छोटे हिस्से में खाना पसंद होता है तो कुछ लोगों को दिन में सिर्फ दो बार. खाने की आदत के कारण अक्सर लोगों का वजन बढ़ जाता है या कम हो जाता है. खाना खाने की इन असामान्य आदतों को ईटिंग डिसऑर्डर (eating disorder) कहा जाता है. कई मामलों में ईटिंग डिसऑर्डर (eating disorder) के कारण इंसान का वजन (Weight) इतना अधिक बढ़ जाता है कि उसे कंट्रोल करना जरूरी हो जाता है.

हाल ही में एक ऐसे ही व्यक्ति का मामला सामने आया है जो एक तरह के ईटिंग डिसऑर्डर (Eating disorder) का शिकार है. खाने की लत के कारण उनका वजन 180 किलो हो गया है.

बढ़े हुए वजन के बारे में डॉक्टर के बारें में डॉक्‍टर ने बताया कि इस शख्स का वजन एक तरह के ईटिंग डिसऑर्डर के कारण बढ़ा है. यह ईटिंग डिसऑर्डर कौन सा है? इस शख्स का का वजन कम कैसे होगा? इस बारे में आर्टिकल में जानेंगे.

कौन हैं ये 180 किलो के शख्स
180 किलो के इस शख्स का नाम मोहम्मद रफीक अदनान है जो बिहार के कटिहार के रहने वाले हैं. इनकी उम्र महज 30 साल है. रफीक ने बातया कि, मेरे पिता गोदाम में काम करते थे और मां घर पर ही रहती थीं. हम 10 भाई-बहन हैं, जिनमें 6 बहन और 4 भाई हैं. मैं सबसे छोटा हूं. मैंने पांचवी क्लास तक पढ़ाई की है. मुझे याद है जब मैं 15 साल का था तब भी मेरा वजन 80 किलो था. लेकिन उस समय इतना अधिक वजन ना होने के कारण मैं खेलता रहता था. फिर धीरे-धीरे करके मेरी भूख बढ़ती गई और मेरा वजन भी बढ़ता गया. मुझे जो भी मिलता मैं सब खा लिया करता था.



आज मेरा वजन 180 किलो है और मैं 20-30 कदम भी नहीं चल सकता. मैं जैसे ही पैदल चलने की कोशिश करता हूं, थक जाता हूं और फिर मुझे बैठना पड़ता है. थकान के कारण अगर मुझे कभी जाना भी होता है तो मैं मोटर साइकिल से जाता हूं लेकिन कई बार गाड़ी भी मेरा वजन नहीं उठा पाती. मैं दिनभर गांव के लोगों से बात करता रहता हूं और घर के बाहर ही एक पलंग पर लेटा रहता हूं.

80 रोटी खा लेते हैं रफीक
रफीक ने बताया, मैं दिन में 3 बार खाना खाता हूं. मुझे इतनी भूख लगती है कि पूरे परिवार से 10 गुना खाना मैं अकेले खा सकता हूं. 1 बोरा चावल (50 किलो) हमारे परिवार में मुश्किल से सात दिन भी नहीं चलता. मैं रोजाना लगभग 2-3 किलो चावल अकेले ही खाता हूं. इसके साथ 2 लीटर दूध, 1-2 किलो मटन या चिकन भी खाता हूं. करीब 3-4 किलो आटे की रोटी खाता हूं.

रफीक की ईटिंग हैबिट का पता इस बात से लगा सकते हैं कि एक नॉर्मल साइज की रोटी का वजन 40-50 ग्राम होता है. यानी रफीक दिन भर में 4 किलो आटे से बनी लगभग 80 रोटी खा जाते हैं. अगर चावल की बात करें तो 6 लोगों के परिवार में 1 किलो चावल भी काफी अधिक होते हैं और यहां रफीक अकेले ही 2-3 किलो चावल खा लेते हैं.

ये ईटिंग डिसऑर्डर है इतनी भूख का कारण
मुंबई (कल्याण) के फोर्टिस अस्पताल में कंसल्टेंट-सायकाइट्रिस्ट डॉ. फैबियन अल्मेडा (Dr Fabian Almedia) से जब रफीक के बारे में बात की तो उन्होंने बताया, रफीक का मामला देखकर लगता है कि उसे ईटिंग डिसऑर्डर (भोजन विकार) है. कोई भी ईटिंग डिसऑर्डर एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर होता है, जिसमें व्यक्ति कभी जरूरत से ज्यादा खाता है तो कभी जरूरत से कम खाता है.

डॉ. फैबियन ने आगे कहा, ईटिंग डिसऑर्डर दो तरह के होते हैं जिनके काफी अधिक मामले सामने आ रहे हैं. एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia nervosa) और बुलिमिया नर्वोसा (Bulimia nervosa). इन दोनों डिसऑर्डर में बड़ा अंतर होता है.

एनोरेक्सिया नर्वोसा में पेशेंट अपने आपको पतला रखना चाहता है और इसके लिए वो बहुत ज्यादा सोच-विचार करके खाता है, कैलोरी का ध्यान रखता है. उसे हमेशा वजन बढ़ने की चिंता सताती रहती है और इस कारण उनका वजन कम हो जाता है. वहीं बुलिमिया नर्वोसा में पेशेंट का ध्यान हर वक्त खाने पर ही लगा रहता है लेकिन खाने के बाद उसे अपने बढ़े हुए वजन को लेकर शर्म भी महसूस होती है. फिर वजन कम करने के लिए वे अधिक फिजिकल एक्टिविटी के लिए अपने आपको फोर्स करते हैं. बुलिमिया नर्वोसा वाले मरीजों में ये लक्षण नजर आते हैं:

– हमेशा भूख लगती है
– खाना ना मिलने पर तनाव में आ जाते हैं
– वजन बढ़ने का डर रहता है
– खाने पर कंट्रोल नहीं रहता
– अपने आपको उल्टी कराने के लिए मजबूर करते हैं
– कई बार खाने से दूर रहने की कोशिश करना
– हर्बल सप्लीमेंट लेना

नेगेटिव विचार ने घेर लिया है रफीक को: डॉ. फैबियन
बुलिमिया नर्वोसा में लोगों का वजन बढ़ने का कारण सुस्त लाइफस्टाइल, नींद की कमी, खाने की गलत आदत, हार्मोंस इम्बैलेंस के कारण होता है. अगर रफीक का वजन 180 किलो हो गया है तो इसका मतलब है कि वह खुद अपने आपको खाने से नहीं रोक पा रहा है. हो सकता है कि रफीक अपने आपमें ही हार मान चुका हो कि अब मेरा वजन इतना बढ़ गया है कि कभी कम नहीं हो सकता.

कई मामलों में इस तरह के नेगेटिव विचार भी इंसान का वजन बढ़ाने में योगदान देते हैं. अगर रफीक को अपना वजन कम करना है तो उसे मेंटली रूप से मजबूत होना होगा. इसके लिए उसे किसी सायकाइट्रिस्ट और डायटीशियन की जरूरत होगी. सायकाइट्रिस्ट उसे विजुअलाइज करने, खाने की आदत को सुधारने और पॉजिटिव सोच रखने में मदद करेगा और वहीं कोई डायटीशियन उसके शरीर के मुताबिक सही खाना खाने में मदद करेगा.

ऐसे होगा रफीक का वजन कम
डॉ. फैबियन ने आगे कहा, रफीक दिन भर पलंग पर ही लेटा रहता है और कोई काम नहीं करता, जिससे कई सारी नेगेटिव बातों ने उसे घेर रखा होगा. अगर रफीक किसी अपना वजन कम करने के लिए पहला कदम बढ़ाता है यानी अगर मन में सोचता भी है तो भी उसे सफलता मिल सकती है. अगर लिक्विड चीजें खाकर, कम कैलोरी वाली चीजें खाकर, प्राणायाम करके अगर उसका वजन 180 से 179 किलो भी होता है तो यह सफलता की ओर पहला कदम होगा.

इसके लिए परिवार, समाज, कुछ डॉक्टर्स और स्पेशलिस्ट को उसे मोटिवेट करना होगा, तब जाकर वह अपना वजन कम कर पाएगा. इसका कारण है कि रफीक सिर्फ पांचवी क्लास तक पढ़ा हुआ है और उसे खाने की आदत, गलत खाना, सही खाना आदि के बारे में बिल्कुल जानकारी नहीं होगी. जब कोई स्पेशलिस्ट उसे समझाएगा, तब कहीं जाकर वह अपने आपको बदलने की कोशिश करेगा.

जैसा कि उसकी दो पत्नियां हैं तो यह उम्मीद और बढ़ जाती है कि उसकी मदद करने के लिए दो लोग घर में ही मौजूद हैं. बदलाव की शुरुआत घर से ही होती है इसलिए अगर उसकी पत्नियां भी उसकी खाने की आदत को बदलने में मदद करें तो उसे एक नया जीवन मिल सकता है.

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