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गलवां झड़प के तीन साल पूरे, लेह में आज सेना का अधिकारी करेंगे बैठक

नई दिल्ली (New Delhi)। भारत (India) और चीन (China) के बीच पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) के गलवां में हुई झड़प (Galwan clashes border) के आज तीन साल पूरे हो गए हैं। इसी दिन साल 2020 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प हुई थी। इस बीच भारतीय सेना के अधिकारियों (Army officials to hold meeting) ने कहा कि चीन की सीमा से लगे क्षेत्र में रणनीतियों और तैयारियों पर चर्चा करने के लिए कई सैन्य शीर्ष अधिकारी गलवां झड़प की तीसरी वर्षगांठ (3rd anniversary Galwan clashes) पर गुरुवार को लेह में एकत्रित होंगे। बैठक उत्तरी कमान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, 14 कोर कमांडर के लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली और अन्य शीर्ष अधिकारियों के बीच होगी।बताया गया है कि यह बैठक चीन की सीमा से लगे क्षेत्र में सेना की तैयारियों पर चर्चा के लिए होगी।


सीमा पर भारत ने मजबूत किया बुनियादी ढांचा
भारत और चीन के बीच साल 2020 से ही रिश्ते तनावपूर्ण हैं। तब पूर्वी लद्दाख के गलवां में हुई हिंसा ने दोनों देशों के रिश्तों में और भी ज्यादा तनाव पैदा कर दिया था। इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे, जबकि चीन के 38 से ज्यादा जवान मारे गए थे। इसके बाद करीब एक साल तक दोनों देशों के बीच काफी तनाव की स्थिति थी। सीमा पर हजारों जवान तैनात कर दिए गए थे।

अब इस हिंसा के तीन साल पूरे हो गए हैं। इन तीन सालों में भारत ने चीन से लगने वाली करीब 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य बुनियादी ढांचे, निगरानी और युद्धक क्षमता में काफी इजाफा किया है। 15 जून 2020 को हुई उस हिंसा के तीन साल बाद हम आपको बता रहे हैं कि इन तीन सालों में दोनों देशों के बीच हालात कैसे हैं? चीन के साथ संबंधों पर भारत का रुख कैसा है और सीमा पर भारत ने कितनी ताकत बढ़ाई है।

पहले जानिए 15 जून 2020 को क्या हुआ था?
एक मई, 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर झड़प हो गई थी। उस झड़प में दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए थे। यहीं से तनाव की स्थिति बढ़ गई थी। इसके बाद 15 जून की रात गलवां घाटी पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए।

बताया जाता है कि चीनी सैनिक घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे। भारतीय जवानों ने उन्हें रोका तो वह हिंसा पर उतारू हो गए। इसके बाद विवाद काफी बढ़ गया। इस झड़प में दोनों ओर से खूब पत्थर, रॉड चले थे। इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 से ज्यादा जवान मारे गए थे। इनमें कई चीनी जवान नदी में बह गए थे। हालांकि, चीन ने केवल चार जवानों के मौत की पुष्टि की। अमेरिका की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, इस झड़प में 45 से ज्यादा चीनी जवान मारे गए थे।

इसके बाद क्या-क्या हुआ?
15 जून 2020 को सेना के बीच हिंसक झड़प के बाद से सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने बैठक की। इसके बाद फरवरी 2021 में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू की गई। सैन्य और कूटनीतिक स्तर की बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने पैंगोंग लेक के उत्तर और दक्षिणी तटों और गोगरा क्षेत्र से सैनिकों को पूरी तरह से हटाने (डिसइंगेजमेंट) की प्रक्रिया पूरी कर ली।

अब तक हो चुकी है 18 दौर की वार्ता
इस तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच अब तक 18 राउंड की बातचीत हो चुकी है। अब तक दोनों पक्षों ने व्यापक कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट पूरा किया। 23 अप्रैल को हुई 18 वें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता में दोनों पक्ष निकट संपर्क में रहने और पूर्वी लद्दाख में शेष मुद्दों पर जल्द से जल्द पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमत हुए थे।

चीनी सीमा पर भारत बढ़ा रहा ताकत
चीनी सीमा पर बरकरार तनाव को देखते हुए भारत किसी भी स्थिति से निपटने की तैयारी कर रहा है। यहां हेलीपैड, हवाई क्षेत्र, पुल, सुरंग, सैन्य आवास और अन्य आवश्यक सुविधाओं के निर्माण पर लगातार ध्यान देने के मद्देनजर भारत पिछले तीन वर्षों में एलएसी पर चीन के साथ बुनियादी ढांचे के अंतर को काफी कम करने में कामयाब रहा है। जानकारी के मुताबिकर, पूरे एलएसी के साथ बुनियादी ढांचे का विकास तेज गति से हो रहा है। मुख्य ध्यान बुनियादी ढांचे के अंतर को कम करने पर रहा है। सीमा पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हमारे सैनिक और उपकरण अब पर्याप्त रूप से तैनात हैं। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसी मुद्रा बनाए हुए हैं जो विरोधी की किसी भी बुरी साजिश को हराने पर केंद्रित है। बुनियादी ढांचे, निगरानी और सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के समग्र प्रयास सरकार के पूर्ण दृष्टिकोण पर आधारित हैं।

चीन के साथ संबंधों को लेकर भारत का क्या रुख है?
साल 2020 में हुए संघर्ष के बाद से चीन के साथ संबंधों को लेकर भारत का रुख एकदम साफ रहा है। भारत ने हमेशा सीमा पर शांति बहाली पर जोर दिया है। भारत का कहना है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। हाल ही में आठ जून को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ किया था कि पूर्वी लद्दाख में सीमा की स्थिति सामान्य नहीं होने पर चीन के साथ भारत के संबंधों के सामान्य होने की कोई भी उम्मीद निराधार है।

सेना के वरिष्ठ कमांडर करेंगे एलएसी पर स्थिति की समीक्षा
इस बीच, गलवां घाटी में हुई हिंसा के तीन साल पूरे होने के मौके पर सेना की उत्तरी कमान के वरिष्ठ कमांडर गुरुवार को पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर समग्र स्थिति की समीक्षा करेंगे।

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