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फिर से राष्ट्रपति बनने की तैयारी में जुटे ट्रंप, 20 जनवरी से ही कर देंगे 2024 के अभियान की शुरुआत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह भले मान लिया हो कि अब उनके लगातार दूसरी बार राष्ट्रपति बनने की संभावना नहीं है, लेकिन उन्होंने व्हाइट हाउस में फिर पहुंचने का इरादा नहीं छोड़ा है। ट्रंप ने अभी से वर्ष 2024 का चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। अमेरिकी मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक, जिस रोज जो बाइडेन राष्ट्रपति पद संभालेंगे, उसी दिन ट्रंप अपने 2024 के अभियान की शुरुआत कर सकते हैं। इन खबरों के मुताबिक, इस बारे में व्हाइट हाउस में एक विस्तृत बैठक हुई। इसमें ट्रंप के भरोसेमंद सलाहकार शामिल हुए। उनके बीच आम राय बनी कि 2024 में ट्रंप अवश्य विजयी रहेंगे। ट्रंप के दावों से समर्थक सहमत ये बात पहले से चर्चा में है कि वर्ष 2024 की रणनीति के तहत ही ट्रंप हार नहीं मान रहे हैं। इसके जरिये वे अपने समर्थकों को यह संदेश दे रहे हैं कि उन्हें बेईमानी से हराया गया है। हाल के सर्वेक्षणों में जाहिर हुआ कि रिपब्लिकन पार्टी के लगभग दो तिहाई समर्थक ट्रंप के इस दावे से सहमत हैं। ऐसे में ट्रंप अपने समर्थकों गोलबंद रखना चाहते हैं। ‘सेवेन लेटर इनसाइट’ नामक एजेंसी के सर्वे से सामने आया है कि ट्रंप अगर 2024 में चुनाव लड़े, तो 66 फीसदी रिपब्लिकन मतदाता उन्हें अपना वोट देंगे। मॉर्निंग कंसल्ट-पोलिटिको के सर्वे में 54 प्रतिशत रिपब्लिकन मतदाताओं ने कहा कि वे पार्टी का उम्मीदवार चुनने के लिए होने वाली प्राइमरी में ट्रंप का समर्थन करेंगे। साफ है कि तमाम सर्वेक्षणों से एक तरह के ही संकेत मिले हैं।

अमेरिकी मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक, व्हाइट हाउस में हुई बैठक में वर्ष 2024 के अभियान से जुड़ी बारीकियों पर चर्चा हुई। इसमें इस सवाल पर विचार-विमर्श हुआ कि इस अभियान की घोषणा करने के लिए सबसे सही समय क्या होगा। इसमें राय बनी कि अगर मौजूदा चुनाव के नतीजों को पलटने की तमाम कानूनी कोशिशें नाकाम हो जाती हैं, तो ट्रंप को जो बाइडेन के शपथ ग्रहण के दिन या शपथ ग्रहण के एक हफ्ते के अंदर अपनी अगली उम्मीदवारी का ऐलान कर देना चाहिए। पिछले हफ्ते ट्रंप ने दो टूक कहा था कि अगर उनके वकील 2020 के चुनाव नतीजे को पलटवा नहीं पाए, तो वे 2024 में फिर से चुनाव लड़ेंगे। ट्रंप के समर्थकों की सोच यह है कि जो बाइडेन भले राष्ट्रपति बनें, लेकिन आने वाले समय में भी मीडिया में ट्रंप ही छाये रहेंगे। इसकी वजह है कि ट्रंप खबरों में बने रहने की कला जानते हैं। इस वजह से मीडिया संस्थानों को उन्हें दिखाकर अपना रेटिंग बढ़ाने में मदद मिलती है। जबकि इस लिहाज से बाइडेन को ‘बोरिंग’ माना जाता है। बता दें कि ट्रंप ने न सिर्फ बाइडेन के चुनाव की वैधता को संदिग्ध बनाने की कोशिश की है, बल्कि वे लगातार ऐसे काम कर रहे हैं, जिससे बाइडेन के लिए शासन करना भी कठिन होता जाए। उन्होंने चुनाव हारने के बाद कई ऐसे लोगों की अहम पदों पर नियुक्तियां कर दी हैं, जो बाइडेन की राह में रोड़े अटकाएंगे। फिर अफगानिस्तान और ईरान जैसे मामलों में उन्होंने ऐसे कदम उठाए हैं, जिनसे उन मामलों में कोई नई पहल करना अब ज्यादा मुश्किल हो गया है। इन सभी कदमों के पीछे ट्रंप की यही रणनीति है कि वो दोबारा व्हाइट हाउस में आ सकें। समझ यह है कि उनके कट्टर समर्थकों की गोलबंदी और बाइडेन प्रशासन की नाकामी (अगर ऐसा हुआ तो) से उनका ये रास्ता आसान हो सकता है। 

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