उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

सेंटपॉल स्कूल में हंगामा..चेक से फीस लेने से किया पालकों को इन्कार

  • नगद फीस जमा करने के लिए बनाया जा रहा था दबाव-बच्चों का रिजल्ट देने से मना किया

उज्जैन। मिशनरी स्कूलों में आए दिन मनमाने नियम यहाँ पढऩे वाले बच्चों के परिजनों पर थोपे जा रहे हैं। यही कारण है कि मिशनरी स्कूल मैनेजमेंट और पालकों के बीच आए दिन विवाद के मामले सामने आते रहते हैं। आज सुबह भी आगर रोड स्थित मिशनरी सेंटपॉल स्कूल में फीस चेक से जमा करने तथा बच्चों का रिजल्ट नहीं देने के कारण स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ पालकों का गुस्सा भड़क गया। सेंटपॉल स्कूल में आज सुबह 10 बजे के करीब 9वीं कक्षा के बच्चों का रिजल्ट स्कूल प्रबंधन द्वारा फीस भरने के बावजूद नहीं दिए जाने के कारण विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई। मिली जानकारी के मुताबिक सेंटपॉल स्कूल प्रबंधन ने लगभग दो साल पहले पालकों पर नियम थोपा था कि स्कूल में किसी भी बच्चे की फीस पालकों से नगद जमा नहीं की जाएगी।


पालक केवल चेक के जरिये ही बच्चों की फीस जमा कर सकेंगे लेकिन आज सुबह 9वीं कक्षा में पढऩे वाले विद्यार्थी के पिता गोपाल राय जब यहाँ चेक से बच्चों की फीस का भुगतान करने पहुँचे तो सेंटपॉल स्कूल के फीस काउंटर पर बैठे कर्मचारियों ने उनसे चेक लेने से इंकार कर दिया। इस पर गोपाल राय ने जब स्कूल के नियमों का हवाला देते हुए बताया कि वे पिछले डेढ़ साल से स्कूल द्वारा तय नियम के अनुसार हर महीने बच्चों की फीस का भुगतान चेक से कर रहे हैं। तब से लेकर अब तक एक बार भी उनका चेक बैंक से बेरंग नहीं लौटा है। ऐसे में आज उनसे चेक की बजाय फीस नगद जमा करने का क्यों कहा जा रहा है। उन्होंने मैनेजमेंट से चेक लेने तथा इसके कारण रोके गए बच्चों के रिजल्ट देने की माँग की तो स्कूल प्रबंधन नाराज हो गया और उनसे कहा कि फीस का नगद भुगतान होने के बाद ही उनके बच्चों के रिजल्ट दिए जाएँगे।

घर जाकर नगद राशि लाए तब दिए रिजल्ट
अग्रिबाण से चर्चा में स्कूल प्रबंधन के मनमाने नियमों से पीडि़त पालक गोपाल राय ने बताया कि दो साल पहले जब वे नगद फीस जमा करने यहाँ पहुँचे थे तो उन्हें ही स्कूल द्वारा नियम बताया गया था कि फीस का भुगतान चेक से ही होगा। आज इसी नियम के चलते चेक से फीस की राशि जमा करने आया तो काउंटर से आज चेक लेने से इंकार किया जा रहा है और नगद राशि की माँग की जा रही है। कहा जा रहा है कि नगद राशि जमा कराने के बाद ही बच्चों के रिजल्ट उन्हें दिए जाएँगे। मजबूरी में उन्हें विद्यालय के प्रमुख फादर से शिकायत करनी पड़ी तो वहाँ से भी यही जवाब मिला और स्कूल से 5 किलोमीटर दूर घर जाकर वे नगद राशि लेकर आए और फीस जमा कराई, उसके बाद बच्चों का रिजल्ट दिया गया।

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