– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
चुनाव के पहले उत्तर प्रदेश भाजपा में अंतर्विरोध की एक पटकथा बनाई गई थी। कुछ लोगों ने इसे प्रायोजित रणनीति के तहत प्रचारित किया। यह बताने का प्रयास किया गया कि सत्ता पक्ष में नेतृत्व को लेकर अंतर्विरोध है। यहां तक कहा गया कि उत्तर प्रदेश में चुनाव के पहले ही नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। एक बार तो राज्यपाल के कार्यक्रम को भी परिवर्तन से जोड़ दिया गया। भाजपा के प्रमुख नेताओं की लखनऊ यात्राओं पर भी ऐसे ही कयास लगाए गए। जबकि दिग्गज नेताओं का प्रवास चुनाव की तैयारियों के संदर्भ में था। इसके अलावा उसी समय भाजपा का सेवा ही संगठन अभियान चल रहा था लेकिन राजनीतिक सरगर्मियों में इन सकारात्मक कार्यों को नजरअंदाज किया जा रहा था।
उस समय संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबले लखनऊ आये थे। उनकी यात्रा का उद्देश्य संघ के अनुषांगिक संगठनों द्वारा संचालित सेवा कार्यों का जायजा लेना था। इसी के साथ उन्होंने सेवा कार्यों को गति देने के लिए स्वयं सेवकों को प्रोत्साहित किया। संघ के आनुषंगिक संगठन पूरे देश में सेवा कार्यों का संचालन कर रहे थे। सर कार्यवाह उनके बीच जाकर मनोबल बढ़ा रहे थे। उनकी लखनऊ यात्रा के सेवा व राहत कार्यों संबन्धी मूल उद्देश्य कुछ लोगों नजरअंदाज कर दिया। ऐसे बताया गया जैसे उत्तर प्रदेश भाजपा सरकार व संगठन में उलटफेर होने जा रहा है।
बताया गया कि केशव मौर्य दिल्ली तलब किये गए हैं। फिर जोड़ा गया कि उनके दिल्ली से लौटते बदलाव होगा। राज्यपाल आनन्दी बेन को भी इन अटकलों में जोड़ लिया गया। कहा गया कि वह भोपाल में अपने समस्त कार्यक्रम निरस्त करके लखनऊ पहुंच रही हैं। चुनाव प्रबंधन की दृष्टि से भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री लखनऊ आये थे। उनकी यात्रा पर भी वैसे ही कयासों का बाजार गर्म रहा। इसमें संगठन के सेवा कार्य चर्चा से बाहर कर दिए गए। जबकि उनकी बैठक में तय किया गया कि सेवा ही संगठन अभियान को और तेज किया जाएगा। योजना बनी कि पार्टी कार्यकर्ता कोरोना संक्रमण के कारण प्रभावित हुए लोगों के घरों पर पहुंचकर उनसे संपर्क करने के साथ साथ आवश्यकतानुसार उनकी सहायता का भी प्रयास करेंगे।
ऐसे पटकथा लेखक किसी एजेंडे के तहत ही सक्रिय थे। जबकि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में किसी प्रकार का संशय ही नहीं था। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अनेक जनसभाओं में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करते थे। उनका यह विचार मात्र राजनीति तक सीमित नहीं है बल्कि यह प्रमाणों व तथ्यों पर आधारित है। योगी सरकार ने अपने कार्यकाल में अनेक अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की। अनेक विषयों पर तो 70 वर्षों के कार्य भी पीछे छूट गए। नए भारत में नए उत्तर प्रदेश का सर्वाधिक योगदान है।
नरेन्द्र मोदी ने इन उपलब्धियों के आधार पर ही योगी आदित्यनाथ की उपयोगिता को रेखांकित किया। यूपी विधानसभा चुनाव में सत्ता पक्ष के नेतृत्व को लेकर चल रहे कयास बेमानी साबित हो चुके थे। प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप में अलंकारिक शब्दावली में योगी आदित्यनाथ के नाम का उल्लेख किया था। यह स्वभाविक भी था क्योंकि उत्तर प्रदेश के इतिहास में विगत पांच वर्ष उपलब्धियों की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण रहे हैं। करीब पचास योजनाओं में यूपी के नंबर वन का गौरव सामान्य नहीं थी।
प्रधानमंत्री पिछले कुछ समय में कई बार उत्तर प्रदेश की यात्रा पर आए थे। उनकी प्रत्येक यात्रा यूपी की विकास यात्रा में मील का पत्थर साबित हो रही थी। सभी परियोजनाओं का क्रियान्वयन योगी आदित्यनाथ की अनवरत मेहनत व सक्रियता से संभव हो रहा थी। उसी दौरान नरेन्द्र मोदी ने ऐतिहासिक श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण किया था। इसकी चर्चा दुनिया में हुई। इसके पहले कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट लोकार्पण में तो बीस देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे लोकार्पण अवसर पर युद्धक विमानों के प्रदर्शन को भी दुनिया ने गौर से देखा। मेडिकल कॉलेज निर्मांण में भी यूपी शिखर पर पहुंच गया था। नरेन्द्र मोदी ने स्वयं कहा था कि योगी सरकार की सभी उपलब्धियों को गिनाना संभव नहीं है क्योंकि इसके लिए बहुत समय की आवश्यकता होगी। नरेन्द्र मोदी योगी की जमकर सराहना कर रहे थे। उनके अनुसार उत्तर प्रदेश की जनता अब कह रही है- यूपी प्लस योगी, बहुत है उपयोगी। उन्होंने मंच से इस नारे को कई बार दोहराया था। अपार जनसमूह ने इसका पुरजोर समर्थन किया था। देर तक जनसभा में यह नारा गूंजता रहा।
उसी अवधि में मेरठ से प्रयागराज तक बनने वाले गंगा एक्सप्रेस वे का शिलान्यास हुआ था। योगी सरकार ने व्यवस्था को सुधारने का बखूबी कार्य किया है। माफियाओं पर नकेल कसी गई। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे लोकार्पण के साथ ही उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा एक्सप्रेस वे वाला राज्य बन गया है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे और बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे का कार्य प्रगति पर है। सबसे बड़ी गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना अगले करीब दो वर्ष पूरी होगी। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे का निर्माण गोरखपुर-आजमगढ़ के बीच तेजी से चल रहा है। गंगा एक्सप्रेस-वे लगभग छह सौ किमी लंबी होगी। देश की सबसे लंबी गंगा एक्सप्रेस-वे मेरठ से प्रयागराज तक बनेगी। इसके लिए 95 प्रतिशत से ज्यादा जमीन ली जा चुकी है।डबल इंजन की सरकार, मोदी योगी की जोड़ी, उत्तर प्रदेश में पांच एक्सप्रेस-वे,काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण,एयरपोर्ट निर्माण और कानून-व्यवस्था की सुदृढ़ स्थिति, माफियाओं की अवैध संपत्ति पर बुलडोजर चलाने आदि को लोगों ने सराहनीय कार्य बताया।
योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश को सर्वोत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में प्रभावी कार्य किया। इसी क्रम में वैश्विक स्तर की बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रदेश में एक्सप्रेस-वे का संजाल बिछाया जा रहा है। विकास के मामले में सरकार का नजरिया समग्रता का है। सरकार एक्सप्रेस-वे के साथ एयर कनेक्टिविटी पर भी बराबर का जोर दिया। सरकार ने दशकों से लंबित वाण सागर, अर्जुन सहायक नहर, सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजनाओं को पूरा किया। किसानों को समय से पानी के साथ खाद भी मिले, इसके लिए करीब तीन दशक से बंद गोरखपुर के खाद कारखाने की जगह नया कारखाना लगाया। सबके स्वास्थ्य का सपना साकार करने के लिए गोरखपुर एम्स का भी उद्घाटन हो चुका है।
विकास का यह सिलसिला जारी रहेगा। अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है। उत्तर प्रदेश में आजादी के बाद से पांच वर्ष पहले तक मात्र एक एक्सप्रेस-वे बना था। आज छह एक्सप्रेस-वे बन रहे हैं। बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस-वे, दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर एक्सप्रेस-वे और अब गंगा एक्सप्रेस-वे की नींव रखी जा रही है। लगभग छह सौ किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेस-वे न केवल प्रयागराज से मेरठ को जोड़ने का काम करेगा, बल्कि इससे रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा। यह आपसी दूरी को कम करेगा। लोगों को जोड़ने का भी काम करेगा। योगी के नेतृत्व पर पहले भी कोई संशय नहीं था। चुनाव परिणाम आने के साथ ही उनका दावा पहले से अधिक मजबूत हो गया। विधायक दल की बैठक तो बाद में हुई, उनको मुख्यमंत्री बनाने का जनादेश पहले ही आ गया था।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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