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उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर रोक, कांग्रेस ने साधा निशाना; BJP बोली- वो बौखला गए

June 23, 2025

नैनीताल: उत्तराखंड (Uttarakhand) की धामी सरकार को नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital High Court) से बड़ा झटका लगा है. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) के पहले चरण का मतदान (Voting) अब 10 जुलाई को होना था, जिस पर नैनीताल हाईकोर्ट ने आरक्षण नियमावली (Reservation Rules) का नोटिफिकेशन जारी नहीं होने पर रोक लगा दी है. इसके बाद प्रदेश सरकार बैकफुट पर जाना पड़ सकता है.

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को लेकर राज्यसरकार की तैयारियों पूरी हो चुकी थी, लेकिन सरकार के अरमानों पर नैनीताल हाई कोर्ट ने पानी फेर दिया. हाईकोर्ट ने आरक्षण नियमावली का नोटिफिकेशन जारी नहीं होने पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर रोक लगा दी है. ये भी देश के इतिहास में शायद पहली बार हुआ है कि चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद वो बिना चुनाव के हट गई हो.

नैनीताल हाई कोर्ट के इस फैसले को धामी सरकार के लिए बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है. धामी सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर पूर्व में तैयारियां पूरी कर ली गई थी. प्रदेश में 10 जुलाई ओर 15 जुलाई को मतदान होना था. राज्य निर्वाचन आयोग ने 21 जून को अधिसूचना जारी की थी, जिसके बाद पूरे प्रदेश में आचार संहिता लागू कर दी गई थी.


प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए हरिद्वार को छोड़कर प्रदेश के 12 जिलों में चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. प्रदेश के 12 जिलों में ग्राम पंचायत प्रधान के 7817 पदों में से अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 226 पद, एससी के 1467 पद, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 1250 पद आरक्षित किए गए थे. जबकि पंचायती राज व्यवस्था के तहत बाकी बचे हुए पदों को अनारक्षित किया गया है. ग्राम पंचायत प्रधान के कुल 7817 पदों में से 50 फीसदी से अधिक पद रिजर्व किए गए थे.

प्रदेश के 12 जिलों में 89 ब्लाक पंचायत प्रमुखों का चुनाव होना था. जिसमें एसटी के लिए तीन, एससी के लिए 18 और ओबीसी के लिए 15 पद आरक्षित किए गए थे. इसी तरह, प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के 12 पदों पर चुनाव होने थे. वहीं 13 जिला पंचायतों में एसटी के लिए 0 पद, एससी के लिए 2 सीट, ओबीसी के लिए दो पद और 9 सीटों को अनारक्षित किया गया था. वहीं जिला पंचायत पदों में भी 50 फीसदी से अधिक सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की गई थी. बीते दिनों पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव ने इसकी जानकारी साझा की थी.

कोर्ट के इस आदेश के बाद प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की प्रतिक्रिया सामने आई है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण महारा ने कहा है कि, हमने पहले कहा था कि चुनवा प्रक्रिया में आरक्षण ठीक से लागू नहीं किया गया है. आज कोर्ट ने भी इसी बात को माना है सरकार की मंशा चुनाव कराने की नहीं थी ये बात आज के कोर्ट के फैसले के बाद साफ हो गई है.

वहीं इस मामले में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि कांग्रेस तो हर बात ने बौखलाई हुई है. अभी कोर्ट का ऑर्डर आया अभी उसका अध्यन किया जाएगा. सरकार चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है. आरक्षण के कुछ मानक है उसके हिसाब से किया जाता है इसके लिए सरकार अपना काम कर रही है.

इस मामले में याचिकर्ता के वकील दुष्यंत मनाली से एबीपी लाइव ने बात की तो उन्होंने बताया कि सरकार ने जो आरक्षण जारी किया है सही नहीं है. इसको लेकर हम कोर्ट गए थे, जहां हमने अपनी बात कोर्ट के सामने रखी. कोर्ट ने भी हमारी बात को सही माना है. अब सरकार से जवाब तलब किया गया है, और फिलहाल चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है अगली सुनवाई बुधवार को होनी है.

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