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नई राष्ट्रपति मुर्मू ने पहले पांच दिनों में क्या-क्या किया

नई दिल्ली। द्रौपदी मुर्मू के रूप में देश को पहली आदिवासी राष्ट्रपति मिले हुए पांच दिन पूरे हो चुके हैं। मुर्मू ने 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। इसी दिन से वह राष्ट्रपति भवन में भी रहने लगीं। इस बीच, उनके पदनाम को लेकर विवाद भी हो गया।शुरुआत 25 जुलाई से ही करते हैं। आधिकारिक तौर पर संसद परिसर में द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली। इसके बाद वह पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ राष्ट्रपति भवन पहुंची। यहां पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने उन्हें राष्ट्रपति भवन का मुआयना कराया। इसके बाद तीनों सेनाओं ने पूर्व राष्ट्रपति कोविंद और मौजूदा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सलामी दी। इसके बाद आधिकारिक तौर पर राष्ट्रपति भवन से पूर्व राष्ट्रपति कोविंद को विदाई दी गई। इस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह समेत कई बड़ी हस्तियां मौजूद रहीं।

26 जुलाई : सुबह-सुबह राष्ट्रपति से मिलने पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी
राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के अगले दिन यानी 26 जुलाई को सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति भवन पहुंचे। यहां उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। राष्ट्रपति पद का कामकाज संभालने के बाद द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ये पहली मुलाकात थी। इसके कुछ देर बाद ही पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल भी अपनी बेटी के साथ राष्ट्रपति भवन पहुंची। प्रतिभा पाटिल के नाम ही देश की पहली महिला राष्ट्रपति होने का रिकॉर्ड दर्ज है। पूर्व और मौजूदा राष्ट्रपति के बीच की ये मुलाकात करीब 25 मिनट की रही।


इसके बाद देर शाम तक छह राज्यों के राज्यपाल ने भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। इनमें पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बिस्व भूषण हरिचंदन, बिहार के राज्यपाल फागू चौहान, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसूइया उइके, ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल शामिल थे।

राष्ट्रपति भवन पहुंचकर द्रौपदी मुर्मू को बधाई देने का सिलसिला 27 जुलाई को भी जारी रहा। सबसे पहले सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। इसके बाद केंद्रीय मंत्री डॉ. जीतेंद्र सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी और डॉ. भगवत किशनराव ने राष्ट्रपति मुर्मू से भेंट की। लगातार तीसरे दिन राष्ट्रपति भवन पहुंचकर मंत्रियों और राज्यपालों के बधाई देने का सिलसिला जारी रहा। 28 जुलाई को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू, केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल भी मुलाकात करने पहुंचे।

राष्ट्रीय स्तर के नेताओं से मुलाकात के चौथे दिन राष्ट्रपति मुर्मू ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेहमानों का राष्ट्रपति भवन में स्वागत किया। ये मेहमान मोजाम्बिक से आए थे। इनमें मोजाम्बिक के कई संसद शामिल थे। इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय उर्जा मंत्री राज कुमार सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल, केंद्रीय राज्य मंत्री भगवंत खुबा भी राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात करने पहुंचे।

पांचवे दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करने के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान पहुंचे। धर्मेंद्र प्रधान के साथ केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार भी मौजूद रहे। द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के पांच दिन के अंदर ही उनके पदनाम को लेकर विवाद भी शुरू हो गया। ये विवाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बयान से शुरू हो गया। दरअसल कई मुद्दों को लेकर कांग्रेस के नेता संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान एक चैनल के पत्रकार ने उनका बयान लिया। अधीर से मीडिया ने पूछा था कि आप राष्ट्रपति भवन जा रहे थे, पर जाने नहीं दिया गया। तब उन्होंने कहा था कि आज भी जाने की कोशिश करेंगे। इसी दौरान अधीर रंजन ने राष्ट्रपति को लेकर अमर्यादित टिप्पणी भी की।

विवाद बढ़ा तो उन्होंने कहा, ‘हिंदी मेरी मातृभाषा नहीं है। मेरी जुबान फिसल गई थी, मुझे फांसी पर चढ़ा दीजिए। सत्ताधारी दल तिल का ताड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा है। उनसे ही माफी मांगूंगा, पाखंडियों से नहीं।’ संसद में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस के खिलाफ तीखे बोल बोले। अधीर रंजन और सोनिया गांधी को राष्ट्रपति और देश से मांगी मांगने को कहा। स्मृति ने कहा कि आदिवासी महिला के राष्ट्रपति बनने को कांग्रेस पचा नहीं पा रही है।

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