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किस और इशारा कर रही राजस्थान की राजनीति, क्या नाराज हैं वसुंधरा राजे? करीबी को टिकट नहीं मिलने पर चर्चा गरम

नई दिल्ली: राजस्थान की राजनीति (politics of rajasthan) इन दिनों एक अलग ही इशारा कर रही है. प्रदेश में बीजेपी में वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) से बड़ा कोई कद्दावर नेता नहीं. लेकिन ऐसी खबर है कि लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के मद्देनजर वसुंधरा गुट के नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी वसुंधरा राजे और शीर्ष नेतृत्व के बीच मतभेद और मनभेद साफ तौर पर देखने को मिले थे. उस वक्त भी वसुंधरा राजे गुट के नेताओं के टिकट कट गये थे. लोकसभा चुनाव में अब माना जा रहा था कि वसुंधरा राजे गुट के नेताओं को तवज्जो मिल सकती है लेकिन राजे के करीबी रामचरण बोहरा को टिकट नहीं मिल सका.

रामचरण बोहरा भारी मतों से जयपुर की सीट पर दो बार जीतकर आए थे. माना जा रहा था बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व इस बार भी उनको देगा टिकट लेकिन जयपुर शहर की सीट पर रामचरण बोहरा का टिकट काटते हुए मंजू शर्मा को टिकट दे दिया गया. ऐसे में पार्टी कार्यालय में भी चर्चा का दौर शुरू हो चुका है. प्रदेश में चर्चा इस बात की है कि आखिर क्यों वसुंधरा राजे गुट से आने वाले नेताओं को साइड लाइन किया जा रहा है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राजस्थान में 2024 में चौथी बार रखा कदम. उससे पहले विधानसभा चुनाव में तीन बार राजस्थान की धरा पर आए. इसी साल चौथी बार कोटपूतली पहुंचे प्रधानमंत्री लेकिन इस सभा में नदारद रहीं वसुंधरा राजे. ऐसे में एक बार फिर चर्चा शुरू हुई है कि आखिर क्या कारण है जो वसुंधरा राजे प्रधानमंत्री की सभा में नहीं पहुंची.

माना जा रहा था वसुंधरा राजे अपने बेटे के राजनीतिक भविष्य के लिए शीर्ष नेतृत्व के साथ मंथन कर रही थीं इसलिए विधानसभा चुनाव में खामोश रहीं. एक तरफ बीजेपी के दिग्गज उम्मीदवारों के नामांकन में पहुंच रहे लेकिन वसुंधरा राजे अपने ही पुत्र दुष्यंत के नामांकन में नहीं पहुंची. वसुंधरा राजे की दूरी चर्चा का विषय बनी है. हालांकि पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है बहू की तबीयत खराब होने के कारण वसुंधरा राजे बैठक में शामिल नहीं हो पा रहीं.

विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे के करीबी नेता माने जाने वाले राजपाल सिंह शेखावत का भी टिकट काटा गया था. अशोक लाहोटी और अरुण चतुर्वेदी को भी टिकट नहीं मिला था. अब शीर्ष नेतृत्व और वसुंधरा राजे की बंद कमरे में हुई मुलाकात के बाद माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव में नाराज नेताओं को टिकट मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका. वसुंधरा राजे को लेकर एक तरफ पार्टी के पदाधिकारी तो चर्चा कर ही रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कार्यकर्ताओं में भी चर्चा का दौर शुरू हो चुका है. पार्टी कार्यालय में हो रही बैठक में भी क्यों नहीं शामिल हो रहीं वसुंधरा राजे. हालांकि प्रदेश स्तर के पदाधिकारी वसुंधरा राजे को लेकर पारिवारिक कारण बताने में लगे हैं.

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