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क्या दो वैक्सीन के डोज मिक्स कर लगाना सही होगा या नही ? जानें क्‍या कहती है रिसर्च

नई दिल्ली। देश में कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) की जिस तरह से किल्लत हो रही है उसे देखते हुए शासन-प्रशासन बहुत दबाव झेल रहा है. इन सबके बीच एक विचार निकल कर आ रहा है कि क्या दो अलग तरह की वैक्सीन को लगाने से वायरस की रोकथाम की जा सकती है. एक नई शोध के मुताबिक कोविड-19 की दो अलग-अलग वैक्सीन अगर मरीज को लगाई जाए तो उसके साइड इफेक्ट्स (Side effects) जैसे थकावट, सिरदर्द देखने को मिला है.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिस किसी को पहले डोज के तौर पर एस्ट्राजेनेका और चार हफ्तों के बाद दूसरा डोज फाइज़र की वैक्सीन का दिया गया उनमें बहुत कम अवधि के साइड इफेक्ट देखने को मिले, ज्यादातर लक्षण हल्के ही थे.



ऑक्सफोर्ड पीडियाट्रिक एंड वेक्सिनोलॉजी (Oxford Pediatric & Vexinology) के प्रोफेसर मैथ्यू स्नेप का कहना है कि ये बड़ी ही दिलचस्प खोज है जिसकी हम इस तरह से उम्मीद नहीं कर रहे थे. उनका कहना है कि ये इम्यून रिस्पांस को बढ़ाता है या नहीं इस पर अभी पूरी तरह से कुछ भी कहना मुश्किल होगा, हमें इससे जुड़े परिणाम प्राप्त करने में कुछ हफ्तों का वक्त लगेगा.

वहीं, भारत में कोविड-19 (COVID-19) का टीकाकरण कार्यक्रम मई के पहले हफ्ते में ही 50 फीसदी तक ही रह गया था. जबकि केंद्र ने टीकाकरण का विस्तार करते हुए 1 मई से सभी वयस्कों को टीका लगाने की मुहिम को हरी झंडी दिखाई थी.

सरकारी आंकड़ें बताते हैं कि 1 मई से 7 मई के दौरान करीब 1 करोड़ 16 लाख लोगों को कोविन प्लेटफॉर्म से टीका लगाया गया, जबकि अप्रैल के महीने के हफ्ते में 2 करोड़ 47 लाख लोगों को टीका लगा, जिससे पता चलता है कि मई में टीकाकरण में 50 फीसदी की गिरावट हुई.

वास्तव में इस हफ्ते दिए गए इन्जेकशन की संख्या पिछले आठ हफ्तों में सबसे कम है, इसके बाद से ही 1 मई से शुरू हुए राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम जिसके तहत सभी वयस्कों को टीका लगाने की अनुमति दे दी गई है, उस पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं.

अगर आंकड़ों में समझें तो मार्च के 13-19 हफ्तों के दौरान 1 करोड़ 34 लाख इन्जेक्शन लगाए गए, ये तब की बात है जब टीकाकरण 60 साल, उससे ऊपर की उम्र और 45-59 साल वाले जिन्हें कोई दूसरा गंभीर रोग हो, के लिए ही लागू था, इसके अलावा स्वास्थ्य कर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर अलग थे. टीकाकरण (Vaccination) सभी वयस्कों के लिए चालू हुआ उससे पहले अप्रैल 24 से 30 अप्रैल तक 1करोड़ 48 लाख टीके लगाए जा चुके थे. भारत में टीकाकरण कार्यक्रम 16 जनवरी को स्वास्थ्यकर्मियों के साथ शुरू हुआ जिस आगे बढ़ाते हुए इसमें फ्रंट लाइन वर्कर को भी जोड़ दिया गया था.

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