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हिंदू धर्म में बांस की लकड़ी जलाना क्‍यों अशुभ माना जाता है? , जानिए

नई दिल्‍ली (New Delhi)। शास्त्रों के अनुसार बांस की लकड़ी (bamboo wood according to the scriptures) को जलाना मना है। किसी भी हवन अथवा पूजन में बांस को नहीं जलाया जाता है। भारतीय सनातन परंपराओं के अनुसार कहा जाता है की बांस की लकड़ी (bamboo wood) को जलाने से वंश का विनाश हो जाता है और पितृदोष (Pitridosh) लग जाता है।

वैसे भी पूरी दुनिया में बांस ही एक लकड़ी है जिसे जल्दी कोई नहीं जलाता. हिंदू धर्म के जानकार इस लकड़ी को जलाना हमेशा से अशुभ मानते आए हैं। इसलिए बांस की लकड़ी का इस्तेमाल ना तो हिंदू खाना बनाने के लिए करते हैं और ना ही पूजा पाठ में इसका इस्तेमाल करते हैं। एक तरह से देखा जाए तो हिंदू धर्म में बांस की लकड़ी को जलाना सख्त मना है, हालांकि, इस बांस को ना जलाने के पीछे सिर्फ आध्यात्मिक भावनाएं ही नहीं हैं, बल्कि इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक तर्क भी हैं।

पहले इसके पीछे के आध्यात्मिक तर्क को समझिए?
दरअसल, बांस एक ऐसी लकड़ी है जिसकी बांसुरी हमेशा कृष्ण जी अपने साथ रखते हैं. यहां तक जब शादी होती है तो मंडप में भी बांस का इस्तेमाल होता है. मरने के बाद इंसान के शव को भी अंतिम क्रिया के लिए बांस के टिठ्ठी पर ही रख कर ले जाया जाता है। यानी इंसान के जन्म से लेकर मृत्यु तक बांस उसके साथ रहता है। यही वजह है कि आध्यात्मिक रूप से बांस को बेहद पवित्र माना जाता है और इसे जलाने से मना किया जाता है. इसके साथ ही बांस का इस्तेमाल पुराने समय में घर बनाने के लिए बर्तन बनाने के लिए और अन्य तरह की चीजों को बनाने के लिए किया जाता था. इसलिए भी जानकार लोग शुरू से इस बेहतरी पेड़ को जलाने से मना करते थे.

अब इसके पीछे के वैज्ञिक कारण को जानिए
बांस को ना जलाने के पीछे जो वैज्ञानिक कारण है वो ये है कि इसमें लेड पाया जाता है। लेड के साथ साथ और भी कई तरह की धातुएं इसमें पाई जाती हैं जो इंसानी शरीर के लिए ठीक नहीं हैं. यही वजह है कि विज्ञान के जानकार भी इस लकड़ी को जलाने से मना करते हैं।

शास्त्रों के अनुसार बांस की लकड़ी को जलाना मना है। किसी भी हवन अथवा पूजन में बांस को नहीं जलाया जाता है। भारतीय सनातन परंपराओं के अनुसार कहा जाता है की बांस की लकड़ी को जलाने से वंश का विनाश हो जाता है और पितृदोष लग जाता है। आइए आज जानते है क्या है इसके पीछे की और मान्यताएं

धार्मिक धारणाएं
एक और धार्मिक धारणा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण अपने पास बांस की बांसुरी रखते थे, इसलिए बांस की लकड़ी को नहीं जलाया जाता है।

वास्तुशास्त्र के अनुसार
भारतीय वास्तु विज्ञान के अनुसार भी बांस को शुभ माना जाता है। शादी, जनेऊ, मुण्डन आदि में बांस की पूजा एवं बांस से मंडप भी बनाया जाता है, इसलिए भी बांस को नहीं जलाया जाता है।

वैज्ञानिक कारण
बांस की लकड़ी में लेड और अन्य कई प्रकार की धातु होती है। बांस को जलने से ये धातुएं अपनी ऑक्साइड बना लेती हैं, जिसके कारण वातावरण दूषित हो जाता है। इसको जलना इतना खतरनाक है कि यह आपकी जान भी ले सकता है, क्योंकि इसके अंश हवा में घुले होते है और जब आप सांस लेते हैं तो यह आपके शरीर में प्रवेश कर जाता है। इसके कारण न्यूरो और लिवर संबंधी परेशानियों का खतरा भी बढ़ जाता है।

दरअसल, जब आप बांस को जलाते हैं तो इसमें मौजूद तत्व उसके धुएं के जरिए आपके शरीर में घुस जाते हैं और फिर ये कई तरह की बीमारियों का कारण बनते हैं। इसके तत्व से न्यूरो और लिवर संबंधी बीमारियां बहुत तेजी से होती हैं। यही वजह है कि जानकार हमेशा से बांस को जलाने से मना करते हैं।

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