देश

वैक्सीन के बाद भी कोरोना वायरस से बचने हर्ड इम्यूनिटी पर शक क्यों

नई दिल्‍ली। जब कोरोना वायरस (Corona virus) की वैक्सीन (Vaccine) लगाने का अभियान शुरू हुआ था, तब माना जा रहा था कि जल्द ही हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity) भी हासिल कर ली जाएगी। हालांकि, जब वैक्सीन(Vaccine) आई तो बड़ी संख्या में लोग उसे लेकर आश्वस्त नहीं दिखे। वायरस भी रूप बदलकर डराने लगा और बच्चों के लिए वैक्सीन अभी आई भी नहीं है। ऐसे में अब हर्ड इम्यूनिटी(Herd Immunity) हासिल करना मुश्किल नजर आने लगा है। माना जा रहा है कि महीनों या साल भर अभी खतरा जारी रहेगा और बढ़ते मामलों का सामना करना होगा। यह भी हो सकता है कि यह वायरस इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी बन जाए। इसे लेकर रिपोर्ट ‘नेचर’ जर्नल में छपी है।


हर्ड इम्यूनिटी के केस में अगर कोई शख्स इन्फेक्ट होता भी है, तो उससे वायरस के ट्रांसमिट(Transmit) होने के लिए ज्यादा संख्या में लोग बचते नहीं हैं। जिन लोगों को वैक्सीन लग चुकी होती है या जो इन्फेक्शन(Infection) के शिकार हो चके हैं, उन्हें फिर से इन्फेक्शन नहीं होता और वायरस नहीं फैलता। हालांकि, अभी विकसित की गईं वैक्सीन्स के बारे में यह तो साफ है कि लक्षण सहित बीमारी नहीं हो रही लेकिन यह साफ नहीं है कि लोग (बिना लक्षण वाले) इन्फेक्शन से बच पा रहे हैं या नहीं या वे उन्हें दूसरों को वायरस ट्रांसमिट करने से रोका जा रहा है।

कहीं तेज, कहीं नदारद वैक्सिनेशन
हर्ड इम्यूनिटी की राह में एक बड़ी रुकावट यह भी है कि वैक्सीन लगाने का प्रोग्राम अलग-अलग जगहों पर अलग समय पर लागू किया जा रहा है। वैक्सीन लगाने की रफ्तार भी इस कड़ी में अहम होता है। इजरायल में दिसंबर 2020 में वैक्सिनेशन शुरू हुआ और मार्च तक 50% से ज्यादा आबादी वैक्सिनेट की जा चुकी है। वहीं, लेबनान, सीरिया और जॉर्डन जैसे देशों में 1% आबादी को वैक्सिनेट करना भी चुनौतीपूर्ण है। अमेरिका में जॉर्जिया और यूटा जैसे राज्यों में 10% से कम आबादी वैक्सिनेट की गई है जबकि अलास्का और न्यूमेक्सिको में 16% से ज्यादा आबादी वैक्सिनेट की जा चुकी है।

बच्चों के लिए वैक्सीन पर काम जारी
ज्यादातर देशों में वैक्सिनेशन के लिए बुजुर्गों को प्राथमिकता दी गई है। हालांकि, अभी बच्चों की वैक्सीन को लेकर स्थिति साफ नहीं है। Pfizer और Moderna ने टीनएज आबादी के लिए क्लिनिकल ट्रायल शुरू कर दिए हैं जबकि ऑक्सफर्ड और साइनोवैक बायोटेक ने तीन साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए भी वैक्सीन टेस्ट करना शुरू कर दिया है। अगर बच्चों को वैक्सिनेट नहीं किया गया, तो और ज्यादा वयस्कों को वैक्सिनेट करने की जरूरत होगी।

कब तक रुकेंगी ऐंटीबॉडी?
वैक्सिनेशन को सबसे बड़ी चुनौती नए स्ट्रेन से मिली है। SARS-CoV-2 के वेरियंट सामने आ रहे हैं जो ज्यादा संक्रामक हैं और वैक्सीन उन पर कम असरदार हैं। इसके अलावा शरीर में बनीं ऐंटीबॉडी कितने दिन तक बरकरार रहती हैं, हर्ड इम्यूनिटी पर इसका असर भी पड़ता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि वैक्सीन लगने के बाद लोग कम गंभीर हो जाते हैं लेकिन वैक्सीन बुलेटप्रूफ नहीं है। ऐसे में खतरा बना रहता है।

Share:

Next Post

मध्यप्रदेश सहित इन शहरों में आज होली पर बंद रहेगी शराब दुकानें

Mon Mar 29 , 2021
नई दिल्ली । देश में इस बार होली (Holi) बेहद फीकी रहने वाली है। कोरोना संकट को देखते हुए राज्यों ने होली के सामूहिक आयोजन (Holi Celebration) पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही होली के दिन शराब की बिक्री (Liquor Sale) पर रोक पूरे दिन तक रोक रहेगी। ऐसा करने वाले वालों में महाराष्ट्र […]