इंदौर न्यूज़ (Indore News) मध्‍यप्रदेश

उद्योगों के लिए 800 एकड़ जमीन लैंड पुलिंग से लेंगे

  • पीथमपुर औद्योगिक निवेश सेक्टर 4 और 5 होगा विकसित
  • 550 करोड़ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर करेंगे खर्च

इंदौर। मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम पीथमपुर में सेक्टर 4 और 5 को विकसित कर रहा है। नए भूमि अधिग्रहण कानून और उसके बाद शासन द्वारा घोषित की गई लैंड पुलिंग पॉलिसी 2019 को अमल में लाते हुए 121 किसानों की लगभग 800 एकड़ निजी जमीनों को आपसी सहमति से अधिग्रहित किया जा रहा है, जिसमें नकद मुआवजे के रूप में 20 प्रतिशत राशि और शेष 80 प्रतिशत आवासीय और वाणिज्यिक भूमि के रूप में आबंटित की जाएगी। दो चरणों में कुल 1400 एकड़ से अधिक जमीनों को विकसित किया जाना है, जिसमें लगभग 600 एकड़ जमीन सरकारी भी शामिल है। इस पूरी योजना पर 550 करोड़ रुपए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होने का अनुमान लगाया गया है, जिसकी मंजूरी पिछले दिनों हुई कैबिनेट बैठक में दी गई।

पीथमपुर में स्मार्ट इंडस्ट्रीयल पार्क जो विकसित किया गया वह अत्यंत सफल साबित हुआ, जिसके सारे भूखंडों की बिक्री हो चुकी है और मुश्किल से 2-4 भूखंड ही बचे हुए। वहीं मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम अब पीथमपुर औद्योगिक निवेश सेक्टर 4 और 5 को विकसित करने की तैयारी कर रहा है। पहले एकेवीएन अलग था, मगर अब उसे एमपीआईडीसी में ही मर्ज कर दिया गया है। इसके इंदौर रीजन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रोहन सक्सेना का कहना है कि पीथमपुर निवेश क्षेत्र और प्रबंधन योजना 2016 में लागू की गई थी, जिसमें औद्योगिक विकास में निजी भू-धारकों को पार्टनर बनाते हुए भूमि अधिग्रहण के लिए लैंड पुलिंग योजना 2019 में लागू की गई। अभी सेक्टर 4 और 5 के लिए 586 हैक्टेयर यानी लगभग 1400 एकड़ जमीनों पर पहले और दूसरे चरणों में विकास किया जाना है और इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए लगभग 550 करोड़ रुपए की राशि खर्च होगी। इस पूरे प्रोजेक्ट को दो चरणों में विकसित करने की अनुमति शासन ने भी 22.09.2020 को हुई कैबिनेट बैठक में दे दी थी, जिसके चलते 121 किसानों की लगभग निजी 320 हैक्टेयर यानी 800 एकड़ जमीन लैंड पुलिंग पद्धति से अधिग्रहित की जा रही है और इन सभी किसानों ने भी अपनी सहमति दे दी है। एमपीआईडीसी के पास पहले से अविकसित भूमि 76.19 के अलावा सरकारी भूमि 189. 90 एकड़ भी मौजूद है। इस तरह निजी, सरकारी और अविकसित कुल जमीन 586 हैक्टेयर होती है, जिसमें यह प्रोजेक्ट अमल में लाया जाना है। जमीन मालिक और एमपीआईडीसी के बीच भूमि हस्तांतरण अभिलेख यानी अनुबंध निष्पादित किया जाएगा। उक्त अनुबंध के आधार पर दोनों पक्ष, जिनमें भूमि स्वामी और एमपीआईडीसी अपने-अपने हिस्से के भूखंड अन्य किसी को भी विक्रय कर सकेंगे। भूमि स्वामियों को दिए जाने वाले मुआवजे की गणना कलेक्टर गाइडलाइन के मुताबिक कृषि भूमि के मूल्य की दो गुना राशि, जिसका 20 प्रतिशत नकद और शेष 80 प्रतिशत विकसित आवासीय और वाणिज्यिक भूमि के रूप में गाइडलाइन के मान से ही आबंटित किया जाएगा। इसके लिए 20 प्रतिशत जो नकद राशि दी जाना है वह लगभग 95 करोड़ रुपए होती है, जो एमपीआईडीसी को शासन से प्राप्त होगी और उसका वितरण किया जाएगा। अभी तो चुनाव के चलते यह राशि ट्रांसफर नहीं होगी, लेकिन आचार संहिता खत्म होते ही राशि मिलने पर निजी जमीन मालिकों को उपलब्ध करवा दी जाएगी। इस संबंध में 121 किसानों से चर्चा भी हो चुकी है और इस पूरी जमीन का ले-आउट भी तैयार कर लिया है, जिसमें सड़क, खुला क्षेत्र, विक्रय योग्य क्षेत्रफल, आवासीय, औद्योगिक व अन्य उपयोग भी निर्धारित कर दिए हैं।

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