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नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की करें अराधना, यहां जानें मुहूर्त, कथा, भोग व पूजा विधि

नई दिल्ली। नवरात्रि के दौरान मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। आज शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) का पांचवा दिन है। नवरात्रि के इस दिन मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता (Skandmata) की अराधना की जाती है। भगवान स्कंद (Lord Skanda) की माता होने के कारण मां को स्कंदमाता नाम से जाना जाता है। मां को अपने पुत्र के नाम के साथ संबोधित किया जाना प्रिय है। मां की उपासना से नकारात्मक शक्तियों (negative forces) का नाश होता है। मां की कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। आइये जानते हैं स्‍कंद माता की पूजा (Worship) के लिए शुभ मुहूर्त, विधि, कथा व आरती के बारे में …..

इन शुभ मुहूर्तों में करें मां स्कंदमाता की पूजा-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:37 ए एम से 05:25 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:47 ए एम से 12:35 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:10 पी एम से 02:58 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:57 पी एम से 06:21 पी एम
अमृत काल- 06:18 पी एम से 07:51 पी एम
निशिता मुहूर्त- 11:47 पी एम से 12:35 ए एम, अक्टूबर 01
सर्वार्थ सिद्धि योग- 06:13 ए एम से 04:19 ए एम, अक्टूबर 01
रवि योग- 04:19 ए एम, अक्टूबर 01 से 06:14 ए एम, अक्टूबर 01

मां स्कंदमाता का स्वरूप
स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसी कारण उन्हें पद्मासना देवी (Padmasana Devi) भी कहा जाता है। मां स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा (Parvati and Uma) नाम से भी जाना जाता है। मां की उपासना से संतान की प्राप्ति होती है। मां का वाहन सिंह है। मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं।

स्कंदमाता की कथा-
एक पौराणिक कथा (mythology) के अनुसार, कहते हैं कि एक तारकासुर नामक राक्षस था। जिसका अंत केवल शिव पुत्र के हाथों की संभव था। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने के लिए स्कंद माता का रूप लिया था। स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण (combat training) लेने के बाद भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का अंत किया था।

स्कंदमाता पूजा विधि…
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम भी लगाएं।
मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं।
मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती अवश्य करें।

मां का भोग-
मां को केले का भोग अति प्रिय है। मां को आप खीर का प्रसाद भी अर्पित करें।
संतान सुख की प्राप्ति होती है

मां स्कंदमाता की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है। मां को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। मां की उपासना से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है।



स्कंदमाता का मंत्र…
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

स्‍कंदमाता की आरती
जय तेरी हो अस्कंध माता

पांचवा नाम तुम्हारा आता

सब के मन की जानन हारी

जग जननी सब की महतारी

तेरी ज्योत जलाता रहू मै

हरदम तुम्हे ध्याता रहू मै

कई नामो से तुझे पुकारा

मुझे एक है तेरा सहारा

कही पहाड़ो पर है डेरा

कई शहरों में तेरा बसेरा

हर मंदिर मै तेरे नजारे

गुण गाये तेरे भगत प्यारे

भगति अपनी मुझे दिला दो

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो

इन्दर आदी देवता मिल सारे

करे पुकार तुम्हारे द्वारे

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये

तुम ही खंडा हाथ उठाये

दासो को सदा बचाने आई

‘भक्त’ की आस पुजाने आई

स्कंदमाता को इन नामों से भी जाना जाता है-
स्कंदमाता, हिमालय की पुत्री पार्वती हैं। इन्हें माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है। पर्वत राज हिमालय की पुत्री होने के कारण पार्वती कही जाती हैं। इसके अलावा महादेव की पत्नी होने के कारण इन्हें माहेश्वरी नाम दिया गया और अपने गौर वर्ण के कारण गौरी कही जाती हैं। माता को अपने पुत्र से अति प्रेम है। यही कारण है कि मां को अपने पुत्र के नाम से पुकारा जाना उत्तम लगता है। मान्यता है कि स्कंदमाता की कथा पढ़ने या सुनने वाले भक्तों को मां संतान सुख और सुख-संपत्ति प्राप्त होने का वरदान देती हैं।

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के लिए है हम इसकी पुष्टि का दावा नहीं करते है.

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