- जिन तारों पर दौड़ता है करंट… उनमे प्राणियों के नाम का बोलबाला
इंदौर । बिजली (Lightning) से आप घर के पंद्रह प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण चलाते हैं। वह बिजली (electricity) आपको स्क्वायरल, बीजल, रैबिट, रैकून, डाग, पैंथर, जेब्रा (squirrel, bezel, rabbit, raccoon, dog, panther, zebra) के माध्यम से मिलती है। दरअसल बिजली के समूचे तंत्र में जानवरों यानी प्राणियों के नाम के कंडक्टर का बोलबाला है। कितना करंट किस तार में प्रवाहित कर बिजली दूसरे स्थान पर भेजी जाना है, ये कंडक्टर पर निर्भर करता है। कंडक्टर का पैमाना उसकी धातु, व्यास, करंट लेने की क्षमता, तारों के वजन आदि पर निर्भर करता है।
शहर में बिजली का इतिहास आजादी के आसपास का रहा है। उसी समय से तार यानी कंडक्टर का प्रयोग हो रहा है। पहले स्क्वायरल, रैबिट लाइनों के कंडक्टर का ज्यादातर उपयोग होता था। कालांतर में बिजली की मांग ज्यादा बढऩे के कारण जेब्रा, डॉग, पैंथर लाइनों का उपयोग ज्यादा होने लगा है। स्क्वायरल लाइन का उपयोग आपके घरों के पास स्थित तारों में होता है, जबकि अन्य लाइनों का उपयोग एक बड़े ग्रिड से छोटे ग्रिड एवं वितरण ट्रांसफार्मर से ग्रिड के बीच की लाइनों के बीच होता है। वर्तमान में नई कालोनियों के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र के लिए ज्यादा क्षमता एवं लोड लेने वाली पैंथर लाइन का बहुतायत उपयोग हो रहा है। ये लाइनें स्मार्ट पोल पर लगी होती हैं। तार झूलने की स्थिति कम निर्मित होती है। साथ ही बिजली का वितरण तुलनात्मक रूप से और अच्छा होता है। इसलिए इंदौर के बायपास पर 22 किमी लंबी पैंथर लाइन है। इसी तरह पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में भी पैंथर लाइन का बहुतायत प्रयोग हो रहा है। जेब्रा लाइन और उच्च क्षमता की होती है, जो 132 किलोवॉट या उससे ऊपर के टॉवरों के बीच लगी होती है। इस तरह की लाइन भी इंदौर शहर के चारों ओर है।
विश्वभर में प्राणियों के नाम से तार
पुराने समय में जिसने भी तार यानी कंडक्टर का प्रयोग किया था, उसने कंडक्टर की क्षमता को प्राणियों के कमजोर या शक्तिशाली होने की क्षमता से तुलना कर नाम रख दिए थे। ये ही नाम आज विश्वभर में बिजली प्रवाह करने वाले तारों यानी कंडक्टर की पहचान बने हुए हैं। स्कूलों, कालेजों, विश्वविद्यालयों में बिजली संबंधी कोर्स, डिग्री, डिप्लोमा करने के लिए लगने वाली क्लासों में इन्हीं प्राणियों के नामों से अध्यापन कराया जाता है। इसी आधार पर रिजल्ट भी घोषित होता है।
तारों का वजन प्रति किमी लाइन
स्क्वायरल 85 किलो
बीजल 128 किलो
रैबिट 214 किलो
रैकून 318 किलो
डाग 396 किलो
पैंथर 976 किलो
जेब्रा 1621 किलो
वितरण लाइनों में उपयोगी कंडक्टर के नाम प्राणियों के आधार पर ही रखे गए हैं। प्रत्येक तार में करंट लेने की क्षमता एम्पीयर में नापी जाती है।
अवधेश शर्मा, पीआरओ, मप्रपक्षेविविकं, इंदौर
इंदौर में लंबे समय पदस्थ रहा। वर्तमान में औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में हूं। दोनों जगह पैंथर, डॉग, स्क्वायरल, रैकून लाइनों से बिजली मिलती है।
टीसी चतुर्वेदी, कार्यपालन यंत्री, पीथमपुर