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चम्बल से पंजाब भेजे जा रहे हैं 25 घडिय़ाल, व्यास नदी में बढ़ रहा है परिवार

मुरैना। चम्बल के घडिय़ालों (Chambal’s clocks) को पंजाब (Punjab) की व्यास नदी का वातावरण रास आ रहा है। वर्ष 2017 में चम्बल घडिय़ाल देवरी केन्द्र मुरैना से 1.20 मीटर लम्बाई के भेजे गये घडिय़ाल अब 3 मीटर के हो चुके हैं। पंजाब के वन तथा जैव विविधता अधिकारियों के अनुसार व्यास नदी में घडिय़ाल वयस्क होकर प्रजनन के योग्य हो गये हैं। व्यास नदी के अनेक घाटों पर इनका विचरण देखा जा रहा है। भारत सरकार द्वारा भारतीय प्रजाती के विलुप्त प्राय: जलीय जीव घडिय़ाल का संरक्षण संवद्र्धन के साथ देश की नदियों में संख्या वृद्धि का कार्य किया जा रहा है। चम्बल नदी का वातावरण घडिय़ालों के लिये उपयुक्त होने के बावजूद भी कृत्रिम हेचिंग सेंटर देवरी पर संरक्षण-संवद्र्धन का कार्य बीते 40 वर्ष से किया जा रहा है। इस केन्द्र पर 1 मीटर 20 सेन्टीमीटर लम्बाई होने के बाद घडिय़ाल को चम्बल सोन केन नदियों में विचरण के लिये भेजा जाता है। चम्बल में इस वर्ष हुई गणना के अनुसार 2176 घडिय़ाल विचरण कर रहे हैं।


पंजाब सरकार की मांग के अनुसार वर्ष 2017 से चम्बल से घडिय़ाल भेजे जा रहे हैं। इन चार वर्षों के दौरान चम्बल से पंजाब के हरिके बेटलेंड के लिये 75 घडिय़ाल भेजे जा चुके हैं, जबकि 25 घडिय़ाल आज फिर भेजे जा रहे हैं। कुल 100 घडिय़ालों को पंजाब सरकार की मांग पर भेजा गया है। इसके लिये पंजाब के वन विभाग तथा वाइल्ड लॉइफ के दल ने मुरैना आकर घडिय़ाल लिये हैं। पूर्व की भांति यह घडिय़ाल छब्बी-जू में उस समय तक रखे जायेंगे जब तक उनका वातावरण उपयुक्त नहीं हो जाता। आज भेजे गये घडिय़ालों में 9 नर व 16 मादा शामिल हैं।
पंजाब अधिकारियों के अनुसार व्यास नदी में अब घडिय़ालों की संख्या बढऩे लगेंगी। विदित हो कि घडिय़ाल का विचरण जिन जल श्रोतों पर होता है वहां का जल पीने के लिये उपयुक्त माना जाता है। यानि घडिय़ाल का रहवास शुद्ध जल में होता है। पंजाब के जैव विविधता समन्वयक गीतांजलि एवं पंजाब वन विभाग के रेंज आफिसर हरपाल सिंह ने बताया कि व्यास नदी में घडिय़ालों की निरंतर निगरानी की जा रही है। नदी से नहर के कूलों में पहुंचने पर पुन: पकडक़र नदी में छोड़ा जाता है। चम्बल घडिय़ाल अभ्यारण्य मुरैना अधीक्षक प्रतीक दुबे ने बताया कि 100 घडिय़ालों की मांग पूरी हो चुकी है। भविष्य में सरकार का आदेश मिलने पर और भी घडिय़ाल देश की नदियों में विचरण के लिये दिये जा सकते हैं।
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