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जब सूर्य का प्रकाश धरती पर पड़ता है, तो अंतरिक्ष में अंधेरा क्यों होता है? शायद ही आप जानते होंगे जवाब

September 30, 2023

नई दिल्‍ली (New Dehli)। अंतरिक्ष (space)और उससे जुड़े सिद्धांत (Principle)इतने जटिल हैं कि आम लोगों की समझ से परे होते हैं. वैज्ञानिक (Scientist)खुद भी स्पेस के बारे में अभी तक कई मामलों (cases)में सिर्फ अंदाजे लगाते हैं. उन्हें पूरी तरह हकीकत नहीं पता है. कुछ सवाल ऐसे हैं जो विज्ञान से जुड़े हैं, यानी साइंस के पास ही उनका जवाब है. जैसे क्या आप जानते हैं कि अंतरिक्ष में अगर सूर्य है, और उसका प्रकाश धरती (Why Space is dark) पर पड़ता है, तो फिर अंतरिक्ष में अंधेरा क्यों रहता है? चलिए इस बड़े रहस्य से पर्दा उठाते हैं.


सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कोरा पर आम लोग अपने सवाल पूछते हैं और आम लोग ही उसके जवाब देते हैं. इस वेबसाइट पर आपको देश, दुनिया से जुड़े लोगों के सवाल मिल जाएंगे जिनके उत्तर तो मौजूद होते हैं, पर वो कितने सही हैं, इसके बारे में दावे से नहीं कहा जा सकता. कुछ समय पहले किसी ने कोरा पर पूछा- “जब सूर्य पृथ्वी पर प्रकाश डालता है तो अंतरिक्ष में अंधेरा क्यों होता है?”

कोरा पर लोगों ने क्या दिया जवाब?
शुभम शर्मा नाम के शख्स ने कहा- “कुछ लोग मानते हैं कि हम रौशनी को देख सकते हैं। यह मूर्खतापूर्ण विचार है. कुछ लोग समझते हैं कि कमरे में धूल के कण हवा में तैर रहे हैं, और जो कण रौशनी को ज्यादा reflect करते हैं, ज्यादा चमकते हैं. रौशनी की चमक के अनुभव के लिए दो चीजें चाहिए, रौशनी, और कोई चीज जिससे रौशनी reflect होकर हमारी आंखों तक पहुंचे. बाहरी अंतरिक्ष में इनमें से केवल एक ही मौजूद है, रौशनी. रौशनी खुद चमकती नहीं है. वस्तुएं जो रौशनी छोड़ती हैं या इसे reflect करती हैं, चमक सकती हैं. बिना वस्तु के रौशनी काली होती है. बिना रौशनी के वस्तुएं काली होती हैं.” मनोज कुमार श्रीवास्तवा नाम के एक यूजर ने कहा- “प्रकाश अंतरिक्ष के माध्यम से सूर्य से पृथ्वी पर आता है लेकिन प्रकाश केवल तभी देखा जाता है जब यह किसी भी कण पर पड़ता है और अंतरिक्ष में निर्वात है और किसी भी ठोस, तरल या गैस पदार्थ का कोई कण नहीं है, इसलिए प्रकाश , हालांकि वहां मौजूद है, लेकिन देखा नहीं जा सकता है.”

विज्ञान क्या कहता है?
चलिए अब विश्वस्नीय सूत्रों से बताते हैं कि ये जवाब सही हैं या नहीं. यूनियन यूनिवर्सिटी वेबसाइट की रिपोर्ट और मीडियम वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार ऊपर जो तर्क बताए गए हैं, वो बिल्कुल सही हैं. स्पेम में कोई एटमॉस्फियर नहीं है. सूर्य की किरणें सीधी लाइन में यात्रा करती हैं और उनका रंग फैलता नहीं है क्योंकि स्पेस में कोई ऐसे कण नहीं हैं कि वो लाइट को ज्यादा रिफ्लेक्ट कर पाएं.

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