नई दिल्ली । हिंसा प्रभावित मणिपुर में (In Violence-Hit Manipur) शांति बहाली की मांग को लेकर (Demanding Restoration of Peace) 40 संगठनों के एक समूह (A Group of 40 Organizations) ने शनिवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर (At Jantar Mantar Delhi) शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन किया (Protested Peacefully) । इस दौरान लोगों ने जातीय हिंसा पर अपनी हार्दिक संवेदना और दुख व्यक्त किया है। रिपोर्ट के अनुसार, जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने वाले समूहों ने राज्य के कुछ हिस्सों में जलाए गए सैकड़ों चचरें पर भी अपनी पीड़ा व्यक्त की।
समूहों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि हमारे राज्य में कानून और व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है, जहां सशस्त्र भीड़ आए दिन शासन करती है। मणिपुर के लोगों द्वारा कई दशकों में बनाई और विकसित की गई संपत्तियां कुछ ही घंटों में जलकर राख हो गई हैं। हालांकि, दुख की बात यह है कि स्थानीय अधिकारी स्थिति को नियंत्रित करने में अप्रभावी साबित हुए हैं, और पीड़ितों का अपने घरों को छोड़कर जाना जारी है। राज्य सरकार मणिपुर के लोगों के जीवन और संपत्ति की रक्षा करने के अपने कर्तव्य में निराशाजनक रूप से विफल रही है।
वर्तमान में, महिलाओं और बच्चों सहित 1,000 से अधिक व्यक्तियों ने असम और मिजोरम के पड़ोसी क्षेत्रों में राहत शिविरों में शरण ली है। इस बात पर जोर देना महत्वपूर्ण है कि राहत शिविरों में पनाह चाहने वाले लोग बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। उनके पास भोजन, कपड़े और साफ पानी जैसे जरूरी सामानों का अभाव है।
हालांकि, हम मृतकों के परिवारों को मुआवजे की पेशकश करने वाले तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की नियुक्ति के लिए गृह मंत्रालय द्वारा की गई पहल की सराहना करते हैं। लेकिन, जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन के आयोजकों ने महसूस किया कि मौजूदा पुनर्वास पैकेज जरूरतों को पर्याप्त रूप से पूरा करने में कम है। एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि स्कूलों से बच्चों के विस्थापन ने भी स्थिति को खराब कर दिया है।
ज्ञात हो कि तीन मई को मणिपुर में पहली बार हिंसा भड़कने के बाद से अब तक करीब 120 लोग मारे जा चुके हैं और 400 से ज्यादा घायल हुए हैं। इसके अलावा लगभग 50,650 पुरुष, महिलाएं और बच्चे अपने स्थान को छोड़कर दूसरे स्थानों पर शिफ्ट हुए हैं।
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