इंदौर न्यूज़ (Indore News)

एक हजार करोड़ की सीलिंग जमीनों पर प्रशासन को मिली अदालती राहत

अग्निबाण द्वारा उजागर किए भू-घोटाले पर तत्कालीन कलेक्टर ने कनाडिय़ा रोड के दो मैरिज गार्डनों सहित अन्य अवैध निर्माणों पर चलवाए थे बुलडोजर, अभी हाईकोर्ट से भी मिल गया स्टे

इंदौर। लगभग डेढ़ साल पहले अग्निबाण (Agniban) ने कनाडिय़ा रोड (Kanadiya Road) की सीलिंग जमीनों में हुए फर्जीवाड़े को उजागर किया था, जिसमें लगभग एक हजार करोड़ रुपए मूल्य की बेशकीमती जमीन शामिल रही। नतीजतन मुख्यमंत्री के निर्देश पर जो एंटी माफिया अभियान चला तो तत्कालीन कलेक्टर ने रिवाज और प्रेमबंधन मैरिज गार्डनों के साथ आसपास के अन्य अवैध निर्माणों और अतिक्रमणों को हटाकर यह जमीन मुक्त करवाई। सोहराब पटेल और अन्य के कब्जे में रही लगभग 40 एकड़ इस जमीन को लेकर अभी हाईकोर्ट ने प्रशासन के पक्ष में स्टे दे दिया है। दरअसल इन जमीनों के नामांतरण को लेकर लगी अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए प्रशासन के पक्ष को सुना और लगभग डेढ़ घंटे तक बहस चली और उसके बाद स्टे हासिल हुआ। दूसरी तरफ जमीन के स्वामित्व को लेकर भी प्रशासन ने सिविल कोर्ट में प्रकरण दायर कर रखा है।


कनाडिय़ा रोड पर सीलिंग की इन जमीनों के साथ डायमंड गृह निर्माण की जमीन पर भी माफियाओं ने कब्जे करवाए और अभी जेल में बंद दीपक जैन उर्र्फ मद्दे ने बब्बू-छब्बू जैसे गुंडों की मदद से यहां बसे लोगों से जबरन भी जमीनें खाली करवाईं, वहीं इस जमीन का एक बड़ा हिस्सा भूरी टेकरी उर्फ मौर्या हिल्स के नीचे भी मौजूद है, जो एक रसूखदार के कब्जे में है, वहीं कनाडिय़ा रोड पर ही सर्वे नंबर 1386, 1226, 1180, 1196, 1197, 1198, 1199, 1200/1, 1203, 1205, 1206, 1207, 1208, 1213 के साथ ही 1219/3/1 से लेकर 1219/4 की शहरी सीलिंग की इन जमीनों पर वर्षों से सोहराब पटेल और बेली नायता के कब्जे रहे। लगभग 15 साल पहले पटेल परिवार ने सत्र न्यायालय से प्रकरण में जीत हासिल की और उसके बाद डिक्री भी हो गई, जिसकी प्रशासन अपील नहीं कर पाया और फिर हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट में भी हार का मुंह देखना पड़ा। मगर जब अग्निबाण ने इस पूरे मामले को नए सिरे से उजागर किया तो तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने इन जमीनों पर बने अवैध रिवाज और प्रेमबंधन गार्डन को जमींदोज करवाया ही, साथ ही आसपास के अन्य अवैध निर्माण और अतिक्रमण भी हटवाए और फिर कोर्ट में भी नए सिरे से केस दर्ज करवाया। अभी वर्तमान कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने भी इस मामले में गंभीरता दिखाई और उन्होंने जहां शासन के वरिष्ठ अधिकारियों से इस संबंध में चर्चा की, वहीं दमदारी से हाईकोर्ट में शासन-प्रशासन का पक्ष भी रखवाया। एसडीएम अंशुल खरे, जो इस प्रकरण के ओवाईसी भी हैं। उन्होंने बताया कि डेढ़ घंटे तक हाईकोर्ट में चली बहस और शासन-प्रशासन के तर्कों से सहमत होकर स्टे हासिल हुआ है। डब्ल्यूए नं. 428-2023 का यह प्रकरण राज्य शासन विरूद्ध नबी बख्श और अन्य के खिलाफ चल रहा है, जिसमें अभी न्यायमूर्ति द्वय एसए धर्माधिकारी और प्रकाशचंद्र गुप्ता ने स्थगन आदेश जारी किया है, जिससे प्रशासन को भी एक हजार करोड़ रुपए से अधिक की इस शहरी सीलिंग की जमीनों के संबंध में बड़ी राहत मिली है, अन्यथा अवमानना याचिका पर भी सुनवाई चल रही थी और नामांतरण करने के लिए बनाया जा रहा था।

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