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अजीत पवार ने दिए बगावत के संकेत, उद्धव ठाकरे को नसीहतें देना शरद पवार को पड़ेगा भारी

मुंबई (Mumbai) । महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में फिर से बगावत की बू आने लगी है। शिवसेना (Shiv Sena) में हाल ही में हूई टूट पर उद्धव ठाकरे को नसीहत देने वाले शरद पवार का अपना ही घर बिखरने की कगार पर है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में नंबर-दो की हैसियत रखने वाले और पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार (Ajit Pawar) ने बगावत के पक्के और सीधे संकेत दिए हैं। उन्होंने गुरुवार को एक सवाल के जवाब में कहा कि जैसे राज ठाकरे ने अपने चाचा बाला साहेब ठाकरे का ध्यान रखा, वैसे ही वह अपने चाचा यानी शरद पवार का घ्यान रखेंगे। आपको बता दें कि राज ठाकरे ने अपने चाचा और शिवसेना से बगावत कर एक नई पार्टी का गठन किया था।

पवार फैमिली और ठाकरे परिवार की सियासी कहानी लगभग समान है। दोनों ही परिवार के मुखिया ने अपने-अपने भतीजे के दम पर सियासत की है। लेकिन जब बगडोर सौंपने या फिर उत्तराधिकारी चुनने की बारी आई तो अपने बेटे को चुना। तेवर में बाला साहेब ठाकरे की कॉपी करने वाले राज ठाकरे भी शिवसेना पर कंट्रोल चाहते थे, लेकिन बागडोर उद्धव ठाकरे को मिली। एनसीपी का भी यही हाल होता दिख रहा है।


भतीजे के दम पर राजनीति
महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि शरद पवार ने भी राजनीति को अपने भतीजे अजीत पवार के दम पर ही की, लेकिन अपनी सियासी विरासत वह अपनी बेटी सुप्रिया सुले को सौंपना चाहते हैं। यह बात अजीत पवार को खटक रही है। यह लाजमी भी है। सुप्रिया सुले सांसद जरूर हैं, लेकिन एनसीपी या फिर महाराष्ट्र की राजनीति में उनका कद अजीत पवार जैसा नहीं है।

उद्धव की सलाह पर अजीत का पलटवार
अजीत पवार से जब गुरुवार को उद्धव ठाकरे ने सलाह देते हुए कहा था कि उन्हें अपने चाचा पर उसी प्रकार ध्यान देना चाहिए जैसा वह बाहर के लोगों पर देते हैं। इस पर पलटवार करते हुए अजीत पवार ने कहा, ‘जिस तरह से राज ठाकरे ने अपने चाचा पर ध्यान दिया, उसी तरह मैं भी अपने चाचा पर ध्यान दूंगा।’ आपक बोता दें कि एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने शिवसेना में उचित हिस्सेदारी नहीं मिलने पर अपने चाचा से राह अलग कर ली और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) का गठन किया। अजीत पवार के बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में एक नए दल के गठन के संकेत मिलने लगे हैं।

शरद पवार भी दे रहे संकेत
एनसीपी प्रमुख ने एक सम्मेलन में कहा कि अब ‘रोटी पलटने’ का वक्त आ गया है। उनके इस बयान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। इसे अजीत पवार के लिए एक संदेश के तौर पर अधिक देखा जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि वह अब अपने भतीजे को अधिक तरजीह देने के मूड में नहीं हैं। जल्द ही एनसीपी की बागडोर अपनी बेटी सुप्रिया सुले को सौंप सकते हैं।

शरद पवार ने कहा, “किसी ने मुझे कहा कि रोटी सही समय पर पलटनी होती है और अगर सही समय पर नहीं पलटी तो वो कड़वी हो जाती है। अब सही समय आ गया है रोटी पलटने का, उसमें देरी नहीं होनी चाहिए। इस बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को आग्रह करूंगा की वो इस पर काम करें।” शरद पवार ने आगे कहा, “सोचिए किसे टॉप पर लाना है। किसे नगर निकाय चुनाव में संगठन की ओर से चुनाव लड़ने का मौका दिया जाएगा। इससे एक नया नेतृत्व बनेगा। पार्टी में सभी वरिष्ठ नेताओं से काम करने का आग्रह किया जाएगा।” शरद के बयान पर शिंदे गुट के नेता नेता और प्रवक्ता नरेश म्हस्के ने कहा, ‘एक बच्चा भी समझ जाएगा कि शरद पवार का रोटी पलटने वाला बयान पार्टी के नए नेतृत्व को लेकर है। इसका मतलब है कि वह अजीत पवार को साइडलाइन करेंगे।’

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