नई दिल्ली। भारत अपने डिफेंस सिस्टम (Bharat Defense System) को लगातार मजबूत करता जा रहा है. इसके लिए कई आधुनिक सैन्य उपकरण बनाए जा रहे हैं. स्वदेशी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited) इस साल मार्च-अप्रैल तक 5 फाइटर प्लेन तेजस (Fighter Plane Tejas) को तैयार कर देगी। इसकी वजह है कि अमेरिकी प्रमुख कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ने मार्च से तेजस जेट के लिए संशोधित एयरोइंजन की डिलीवरी का वादा किया है, भारत ने बहुत देरी से चल रहे स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान के प्रोडक्शन को धीरे-धीरे बढ़ाने और भारतीय वायुसेना में लड़ाकू स्क्वाड्रनों की तेजी से कमी को रोकने की योजना बनाई है।
तेजस में जीई-एफ404 टर्बोफैन जेट इंजन
तेजस-निर्माता हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के पास पहले से ही तीन तेजस मार्क-1ए ‘उड़ान लाइन में तैयार’ हैं, जिन्हें मार्च में आने के बाद जीई-एफ404 टर्बोफैन जेट इंजन के साथ लगाया जाएगा। एक शीर्ष रक्षा अधिकारी ने बताया कि एचएएल के पास मार्च-अप्रैल तक पांच तेजस मार्क-1ए जेट और चार ट्रेनर्स तैयार होंगे। अगर जीई इंजन आने शुरू हो जाते हैं, तो कुछ दिनों में फिटमेंट किया जा सकता है।
इंजन डिलीवरी में दो साल की देरी
तेजस मार्क-1ए पर उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और इजरायली रडार का इंटीग्रेशन पूरा हो चुका है, साथ ही जल्द ही सिंगल इंजन वाले जेट से स्वदेशी एस्ट्रा एयर-टू-एयर मिसाइल का टेस्टिंग करने का काम भी चल रहा है। इसने पिछले साल मार्च में अपनी पहली उड़ान भरी थी। 99 जीई-404 इंजनों की डिलीवरी में लगभग दो साल की देरी हो गई है।
इसके लिए एचएएल ने अगस्त 2021 में 5,375 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट किया था। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि जीई ने अब अगले महीने डिलीवरी शुरू करने का वादा किया है। इसमें 2026 में 12 इंजन और उसके बाद हर साल 20 इंजन दिए जाएंगे।
हर साल तैयार होंगे 20 तेजस फाइटर प्लेन
इंजनों की सप्लाई के आधार पर, एचएएल का दावा है कि यह धीरे-धीरे उत्पादन को बढ़ाकर 20 तेजस प्रति वर्ष और फिर 24 प्रति वर्ष कर सकता है। तीसरी प्रोडक्शन लाइन अब नासिक में चालू है, जो बेंगलुरु में दो मौजूदा प्रोडक्शन लाइनों के अलावा है। उन्होंने कहा कि पहला तेजस मार्क-1ए नासिक लाइन से एक या दो महीने में निकल जाएगा। एचएएल विंग, फ्यूजलेज और इसी तरह की अन्य चीजें बनाने के लिए निजी कंपनियों को उप-अनुबंध भी दे रहा है। अगर वे ऐसा करते हैं, तो तेजस का उत्पादन प्रति वर्ष 30 तक भी बढ़ सकता है।
भारतीय वायुसेना की क्या है टेंशन?
हालांकि, भारतीय वायुसेना के लिए यह इंतजार काफी कष्टकारी रहा है। एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने पिछले महीने ही चौथी पीढ़ी के तेजस लड़ाकू विमानों में भारी देरी पर सार्वजनिक रूप से निराशा व्यक्त की थी, जबकि चीन ने हाल ही में छठी पीढ़ी के दो नए लड़ाकू विमान प्रदर्शित किए हैं। भारतीय वायुसेना को अब तक 2006 और 2010 में किए गए दो कॉन्ट्रैक्ट के तहत 8,802 करोड़ रुपये के पहले 40 तेजस मार्क-1 लड़ाकू विमानों में से 38 मिल चुके हैं।
कितनी बढ़ जाएगी एयरफोर्स की क्षमता
एचएएल और जीई, निश्चित रूप से, भारत में जीई-एफ414 इंजन के सह-उत्पादन के लिए अंतिम टेक्निकल कमर्शियल बातचीत कर रहे हैं। इसमेंलगभग 1.5 बिलियन डॉलर के लिए 80% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर शामिल है। 98 किलोन्यूटन थ्रस्ट क्लास के ये इंजन, मौजूदा लड़ाकू विमानों की तुलना में लंबी लड़ाकू रेंज और हथियार ले जाने की अधिक क्षमता के लिए तेजस मार्क-2 लड़ाकू विमानों को शक्ति प्रदान करेंगे।
मिग-21 की जगह तेजस
अगस्त 2022 में, सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने 9,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से प्रोटोटाइप, उड़ान ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन के साथ तेजस मार्क-2 के विकास को मंजूरी दी थी। लंबे समय से देरी वाले तेजस मार्क-1 (13.5 टन वजन) का उद्देश्य अप्रचलित मिग-21 को बदलना था, जबकि मार्क-2 संस्करण (17.5 टन) भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े में मिराज-2000, जगुआर और मिग-29 जैसे लड़ाकू विमानों का स्थान लेगा।
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