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कोयले की कमी, परिवहन की परेशानी… के अलावा बिजली संकट की ये है बड़ी वजह

नई दिल्ली: देश में इन दिनों बिजली का भीषण संकट छाया हुआ है. थर्मल पावर प्लांटों में कोयले का स्टॉक खत्म होने के कगार पर है. नई सप्लाई में दिक्कतें आ रही हैं. इससे पर्याप्त बिजली पैदा नहीं हो पा रही है. भीषण गर्मी और आर्थिक गतिविधियों की वजह से डिमांड आसमान पर हैं. ऐसे में लोगों को 10-10 घंटे तक अघोषित बिजली कटौती का सामना कर पड़ रहा है. लेकिन बिजली संकट की सिर्फ यही वजहें नहीं हैं. जानकारों का कहना है कि कंपनियों के पास पैसों की कमी, पहले से समस्या की तरफ ध्यान न देने और कई प्लांटों में मेंटिनेस के चलते कम उत्पादन जैसे कई अन्य कारण भी हैं.

बिजली मंत्रालय के एक अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा कि मौजूदा बिजली संकट का सबसे बड़ा कारण संयंत्रों में कोयले की कमी है. परिवहन की समस्याओं की वजह से कोयला प्लांटों तक नहीं पहुंच पा रहा है. कई राज्यों की सरकारें आरोप लगा रही हैं कि खदानों से प्लांटों तक कोयला लाने के लिए मालगाड़ियों की कमी है. इसे देखते हुए रेल मंत्रालय ने उपाय किए हैं. मालगाड़ियों के लिए रास्ता बनाने के वास्ते करीब 21 जोड़ी यात्री ट्रेनों के 753 फेरों को रद्द कर दिया गया है. इससे अगले महीने तक कोयला लेकर आने वाली मालगाड़ियों को रास्ता साफ मिलेगा.

…इसलिए ज्यादा मालगाड़ी लगानी पड़ीं
रेलवे के एक अधिकारी ने दावा किया कि बिजली मंत्रालय ने इस साल रेलवे से 421 रैक मांगे थे, जिसमें से 411 उपलब्ध करा दिए गए. लेकिन असली समस्या डिब्बों की कमी की नहीं, कोयला लदान और उतारने में लगने वाले समय की है. उन्होंने दावा किया कि इसमें 10 से 15 दिन तक लग जा रहे हैं, जिससे मालगाड़ी के डिब्बे खाली नहीं हो पा रहे. हालांकि ऐसी भी खबरें मीडिया में आई हैं कि रेलवे ने 450 रैक मांगे थे, लेकिन मिले सिर्फ 380. बिजली मंत्रालय का दावा है कि कोयला उत्पादन में कमी नहीं है. पिछले साल अक्टूबर-नवंबर की तुलना में इस अप्रैल में 27 फीसदी ज्यादा कोयला उत्पादन हुआ है.


जल्दी गर्मी आने से डिमांड में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
इस बार बिजली की डिमांड तेजी से बढ़ी है. पावर सिस्टम ऑपरेशन कोऑपरेशन (Posoco) का 28 अप्रैल का डाटा बताता है कि पिछले साल इसी दिन जहां पीक पावर शॉर्टेज 450 मेगावॉट थी, वो इस साल 23 गुना बढ़कर 10,778 मेगावॉट हो गई है. शुक्रवार को बिजली की डिमांड रिकॉर्ड 2 लाख 7 हजार मेगावॉट थी. मार्च में जहां पूरे देश में बिजली की कमी 14 मिलियन यूनिट थी, वो अप्रैल में 79 मिलियन यूनिट हो गई है. इसकी वजह से पंजाब, यूपी, हरियाणा, राजस्थान, एमपी और आंध्र प्रदेश में 8 से 10 घंटे तक की अघोषित कटौती करनी पड़ रही है. ये कटौती ज्यादातर ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में हो रही है. अधिकारी बिजली की डिमांड में भीषण बढ़ोतरी की एक वजह इस बार जल्दी गर्मी आने को भी बता रहे हैं. उनका कहना है कि इस बार हीटवेव पहले से कहीं जल्दी शुरू हो गई है, कई जगह पारा 47 डिग्री के करीब है. ऐसे में बिजली की डिमांड बढ़ रही है. पंजाब जैसे कई राज्यों में तो 50 फीसदी तक पीक पावर डिमांड बढ़ी है.

173 में से 108 प्लांटों में कोयला स्टॉक क्रिटिकल
सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी का डेली कोल स्टॉक डाटा बताता है कि 28 अप्रैल को देश के 173 कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में से 108 में कोयले का स्टॉक क्रिटिकल लेवल पर था. जब प्लांट में आमतौर पर रखे जाने वाले स्टॉक से 25 फीसदी कम कोयला हो जाता है, तब उसे क्रिटिकल माना जाता है. बिजली प्लांट कोयले के इस संकट की मोटी वजह मालगाड़ियों की कमी, अपर्याप्त भुगतान, उच्च क्वालिटी का कोयला न मिलना और कोयले के लदान और उतराव में देरी को बताते हैं. इसके अलावा, कोरोना महामारी के बाद पटरी पर आईं आर्थिक गतिविधियों के कारण भी बिजली की मांग बढ़ी है.

ग्रिड में बिजली, खरीदने वाला कोई नहीं
एचटी की खबर के मुताबिक, बिजली मंत्रालय के अधिकारी इस संकट के पीछे एक और वजह बताते हैं. वह कहते हैं कि बिजली उत्पादन और वितरण कंपनियों के पास जरूरत के वक्त ग्रिड से आपातकालीन बिजली खरीदने का विकल्प होता है. लेकिन ये बिजली महंगी होती है. इसीलिए कई राज्यों में कई कंपनियां, चाहे वो सरकारी हों या प्राइवेट, ग्रिड से स्पॉट पावर नहीं खरीद रही हैं. इसके बजाय वो कटौती को तवज्जो दे रही हैं. अधिकारी ये भी आरोप लगाते हैं कि कई कंपनियां तो ग्रिड को बिजली न भेजकर सीधे बेच दे रही हैं और मुनाफा कमा रही हैं.

बिजली सचिव आलोक कुमार ने गुरुवार को कहा भी था कि सेंट्रल पूल में 5 हजार मेगावॉट बिजली उपलब्ध है, लेकिन किसी भी राज्य ने बिजली खरीदने का आग्रह नहीं भेजा है. केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने गुरुवार को आरोप लगाया था कि बिजली संकट की मुख्य वजह ये है कि राज्य सरकारों ने कोल इंडिया को कोयले का बकाया भुगतान नहीं किया है. पेमेंट न होने के वजह से वो अपना आवंटित कोयला समय से नहीं उठा रही हैं.

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