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चीन से लगती जमीनी सीमाओं की निगरानी के लिए नौसेना की मदद ले रही आर्मी, जानें क्या है वजह

नई दिल्ली। भारत अब चीन से लगती विवादित सीमा पर निगरानी लगातार बढ़ाता जा रहा है। इसके लिए सेना ने अपनी क्षमताओं में भी इजाफा किया है। खासकर जमीन से लगते संवेदनशील बॉर्डरों पर दुश्मन की अतिक्रमण की कोशिशों को नाकाम करने के लिए भारतीय सेना अब नौसैनिक साजे-सामान का भी इस्तेमाल कर रही है।

रिपोर्ट्स की मानें तो भारतीय सेना इस वक्त नौसेना के जिन उपकरणों का इस्तेमाल कर रही है, उनके जरिए बॉर्डर पर चीन के सैनिकों के जुटाव से लेकर उनके इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने पर भी नजर रखी जा रही है। मौजूदा समय में नौसेना ने चीन से लगती सीमा पर अपने पी-8आई (P-8I) लॉन्ग रेंज पैट्रोल एयरक्राफ्ट और हैवी ड्यूटी ‘सी गार्डियन ड्रोन्स’ तैनात किए हैं। इन एयरक्राफ्ट्स के जरिए नौसेना आमतौर पर समुद्र और महासागरों में लंबी दूरी तक निगरानी रखती है। हालांकि, सेना के अनुरोध पर नौसेना का यह एयरक्राफ्ट सीमा पर खुफिया मिशन का हिस्सा बना हुआ है।


अमेरिका द्वारा निर्मित पी-8आई और सी गार्डियन ड्रोन्स दोनों ही लंबी दूरी तक काफी घंटों तक उड़ान भर सकते हैं। दुश्मन की किसी भी हरकत पर निगरानी के लिए इनमें हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे मौजूद हैं, जो कि इलेक्ट्रो ऑप्टिक और अन्य आधुनिक सेंसर्स के जरिए रात में भी साफ तस्वीरें ले सकते हैं। ये दोनों एयरक्राफ्ट्स बॉर्डर पर सैटेलाइट के इस्तेमाल को भी ज्यादा उन्नत करने में मदद करते हैं।

बताया गया है कि मौजूदा समय में जिन सीमाओं पर नौसैनिक उपकरणों का इस्तेमाल हो रहा है, उनमें 3488 किमी एलएसी के पश्चिमी फ्रंट पर लद्दाख और पूर्वी फ्रंट पर सिक्किम-अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं। जहां भारत और चीन दोनों ने ही भीषण सर्दी में पहले से ही सीमा पर 50 हजार सैनिकों की तैनाती कर रखी है, वहीं हाल ही में अरुणाचल के तवांग में हुई झड़प के बाद स्थिति और गंभीर हुई है। इन्हीं के मद्देनजर सेना किसी भी खतरे से निपटने के लिए अपनी तैयारियों में कमी नहीं करना चाहती।

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