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बेंगलुरु के एक ऑटो ड्राइवर की वायरल हुई कहानी, पहले रह चुका है स्टेट-लेवल टेबल टेनिस कोच

  • March 13, 2025

    नई दिल्‍ली । बेंगलुरु (Bengaluru) की सड़कों पर ऑटो चलाने वाले एक शख्स की कहानी इन दिनों सुर्खियां बटोर रही है. यह कोई आम ऑटो ड्राइवर (auto driver) नहीं हैं, बल्कि एक समय पर स्टेट-लेवल टेबल टेनिस खिलाड़ियों (state-level table tennis players) को ट्रेनिंग देने वाले कोच रह चुके हैं, लेकिन हालातों ने ऐसी करवट ली कि उन्हें ऑटो चलाने के लिए मजबूर होना पड़ा. बावजूद इसके, उनका जुनून अभी भी जिंदा है और वह दोबारा टेबल टेनिस कोच बनने की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

    कौन हैं यह पूर्व कोच? (Inspiring Story)
    इस शख्स की पहचान एक प्रतिभाशाली टेबल टेनिस कोच के रूप में रही है, जिन्होंने कई स्टेट-लेवल खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी थी. उनका जीवन खेल के प्रति समर्पित था, लेकिन निजी और आर्थिक समस्याओं के कारण उन्हें कोचिंग छोड़नी पड़ी और अपना गुजारा करने के लिए ऑटो चलाने लगे.

    कैसे बदली जिंदगी? (Auto Driver To Coach)
    कई सालों तक उन्होंने खेल जगत में योगदान दिया, लेकिन हालात बिगड़ते गए और आर्थिक संकट की वजह से कोचिंग छोड़नी पड़ी. बिना किसी और आय के स्रोत के, उन्होंने ऑटो चलाने का फैसला किया. हालांकि, खेल के प्रति उनका प्यार अभी भी बरकरार है और वह एक बार फिर से टेबल टेनिस कोच बनने का सपना देखते हैं.


    सोशल मीडिया पर वायरल हुई कहानी (Table Tenn is Coach)
    जब उनकी प्रेरणादायक कहानी सामने आई, तो सोशल मीडिया पर लोग उनकी हिम्मत और जज्बे की तारीफ करने लगे. खेल प्रेमियों और कई पूर्व खिलाड़ियों ने इस पर प्रतिक्रिया दी और उनकी मदद करने की इच्छा जताई. एक यूजर ने लिखा, टैलेंट कभी नहीं मरता. उम्मीद है कि ये फिर से कोच बनेंगे और नई पीढ़ी को ट्रेनिंग देंगे. वहीं, एक अन्य यूजर ने कहा, इस तरह के समर्पित कोच को सही मंच मिलना चाहिए. सरकार और खेल संघ को इनकी मदद करनी चाहिए.

    क्या फिर से कोचिंग की उम्मीद जिंदा है? (Bengaluru auto-rickshaw driver)
    बेंगलुरु के इस ऑटो ड्राइवर की सबसे बड़ी इच्छा है कि वह फिर से टेबल टेनिस कोच बनें और नई पीढ़ी के खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दें. उनकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए खेल संस्थान और प्रशासन को आगे आना होगा, ताकि उनका टैलेंट बेकार न जाए. यह कहानी सिर्फ एक इंसान की नहीं, बल्कि उन तमाम कोच और खिलाड़ियों की है, जो संसाधनों की कमी के कारण अपने सपनों से समझौता कर लेते हैं. अगर सही सहयोग और मंच मिले, तो शायद यह ऑटो ड्राइवर फिर से अपनी असली पहचान- एक टेबल टेनिस कोच बना सकते हैं.

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