प्राधिकरण ने टीपीएस-9 के लिए धारा 5 (2) के तहत भिचौली हब्सी, कनाडिय़ा और टिगरिया राव की शामिल जमीनों के मालिकों व खसरा नम्बरों का किया प्रकाशन –
इंदौर। अंतत: बायपास (Bypass) की जमीनों पर प्राधिकरण (Authority) ने टीपीएस-9 (TPS-9) के तहत योजना घोषित कर दी। पिछले दिनों शासन (Governance) ने मंजूरी मिलने के बाद प्राधिकरण ने नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम (Investment Act) की धारा 50 (2) के तहत भिचौली हब्सी (Bhicholi Habsi), कनाडिय़ा (Kanadiya) और टिगरियाराव (Tigriarao) की लगभग 263 हेक्टेयर जमीनों पर यह योजना घोषित की है और सभी निजी जमीन मालिकों के नाम, खसरा नम्बर और रकबे का सार्वजनिक प्रकाशन भी कर दिया, ताकि 15 दिन के भीतर दावे-आपत्तियां और उपविभाजन कराया जा सके। प्राधिकरण (Authority) का कहना है कि सूचना प्रकाशन के पश्चात अंतिम भूखंड के आबंटन के प्रयोजन हेतु मूल भूखंड में किए गए किसी उपविभाजन पर विचार नहीं किया जाएगा। टीपीएस के तहत शामिल निजी जमीन मालिकों (Private Land Owners) को उनकी आधी यानी 50 फीसदी जमीन वापस लौटा दी जाती है।
पिछले 15 सालों में प्राधिकरण (Authority) ने बायपास (Bypass) पर 5 बार अलग-अलग नम्बरों से योजनाएं घोषित की हैं, लेकिन कई बार कोर्ट आदेशों और फिर नए लैंड पुलिंग एक्ट के चलते ये तमाम योजनाएं कागजों पर ही धराशायी हो गई। अब प्राधिकरण (Authority) टीपीएस के तहत इन योजनाओं को अमल में ला रहा है। पिछले दिनों 5 योजनाओं पर दावे-आपत्ति की प्रक्रिया के बाद बोर्ड संकल्प पारित कर शासन को मंजूरी के लिए ये योजनाएं भेज दी हैं। वहीं दूसरी तरफ टीपीएस-9 (TPS-9) और टीपीएस-10 की भी शासन ने पिछले दिनों मंजूरी दे दी, जिसके चलते प्राधिकरण ने बायपास की टीपीएस-9 (TPS-9) की सूचना प्रकाशित करवाई और अब जल्द ही टीपीएस-10 की सूचना का भी प्रकाशन होगा। बायपास की इस टीपीएस-9 में 263 हेक्टेयर यानी लगभग 650 एकड़ जमीन शामिल की गई है, जिसमें कुछ सरकारी जमीनें भी शामिल है। भिचौली हब्सी में 126 हेक्टेयर निजी, तो 18 हेक्टेयर सरकारी जमीन शामिल है। वहीं टिगरिया राव में 81.654 हेक्टेयर निजी, तो 6.445 हेक्टेयर सरकारी और कनाडिय़ा में 28.127 हेक्टेयर निजी, तो 2.195 हेक्टेयर सरकारी, इस तरह कुल 263.138 हेक्टेयर जमीन शामिल की गई है। उल्लेखनीय है कि टीपीएस-9 को ही पूर्व में टीपीएस-6 के रूप में घोषित किया गया था, मगर शासन ने इसमें से 150 एकड़ जमीन कम करवा दी और आठ माह तक अनुमति ना देने के चलते योजना भी लैप्स हो गई। इस पूरे गोरखधंधे का खुलासा अग्निबाण ने किया और इसमें एक दर्जन से अधिक गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें भी निकली, जिसमें करतार गृह निर्माण में दीपक मद्दे की फर्म समता कंस्ट्रक्शन को बिकी 4 एकड़ जमीन का घोटाला भी सामने आया। इसके अलावा पृथ्वी गृह निर्माण, मंगल गृह निर्माण, संवाद नगर, पाश्र्वनाथ, प्रशांत गृह निर्माण, जनसेवा गृह निर्माण, द टैक्सटाइल को-ऑपरेटिव, अमित-प्रिया गृह निर्माण, दीप ज्योति, हिमालय, सुमंगला, श्याम बिहारी, सोनाली गृह निर्माण, गौरव गृह निर्माण, सपना गृह निर्माण व अन्य जमीनें शामिल है। वहीं टीपीएस-6 में वे जमीनें भी छोड़ी गई जिन पर कोर्ट आदेश और योजना लागू करने से पहले लगभग 80 अभिन्यास नगर तथा ग्राम निवेश ने मंजूर किए थे। पश्चिमी क्षेत्र की जमीनों को शासन ने छुड़वा दिया और अब बायपास (Bypass) के दूसरी तरफ यानी पूर्वी क्षेत्र की जमीनों पर यह योजना अमल में लाई जा रही है। लैंड पुलिंग एक्ट के तहत प्राधिकरण (Authority) जमीन मालिकों को 50 फीसदी जमीन वापस लौटा देगा और शेष 50 फीसदी जमीन पर प्राधिकरण (Authority) मास्टर प्लान और अन्य प्रमुख सडक़ों के निर्माण, ग्रीन बेल्ट और सार्वजनिक उपयोग की जमीनों को विकसित करने के साथ 20 फीसदी जमीन पर भूखंडों को विकसित कर बेचेगा, ताकि विकास कार्य की राशि हासिल की जा सके।
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