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सांस्कृतिक पुनर्जागरण में संस्कृत की भूमिका

– गिरीश्वर मिश्र भारतीय प्रायद्वीप में संस्कृति के विकास की कथा की व्यापकता और गहनता का विश्व में कोई और उदाहरण नहीं मिलता न ही वैसी जिजीविषा का ही कोई प्रमाण मिलता है। नाना प्रकार के झंझावातों को सहते हुए भी यदि हजारों वर्ष बाद भी वह आज जीवित है तो यह उसकी आन्तरिक प्राणवत्ता […]

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राष्ट्रीय शिक्षा नीतिः छात्र केंद्रित शिक्षा का संकल्प पत्र

– डा. राजशरण शाही शिक्षा किसी की राष्ट्र के विकास का सबसे सबल साधन है। शिक्षा की इस परिवर्तनकारी भूमिका को पहचानते हुये कोठारी आयोग (1964-66) ने लिखा है कि भारत के भाग्य का निर्माण उसकी कक्षाओं में हो रहा है। आजादी के पूर्व भी हमारे स्वतंत्रता संग्राम के नायकों ने शिक्षा की इस भूमिका […]

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ऋग्वेदः विज्ञान और अनुभूति का महामिलन

– हृदय नारायण दीक्षित ऋग्वेद के प्रति पूरे एशिया महाद्वीप में विशेष प्रकार का आदरभाव है। अमेरिकी विद्वान भी वेदों के प्रति उत्सुक हैं। ब्लूमफील्ड ने अथर्ववेद का अनुवाद किया है। जर्मन विद्वान मैक्समुलर ने ऋग्वेद का भाष्य किया है। भारत के लिए वेद वचन ईश्वर की वाणी हैं। ज्ञान के प्रति आदर प्रकट करने […]

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नई शिक्षा नीतिः मातृभाषा की प्रतिबद्धता

– डॉ. राकेश राणा भारत सरकार की नई शिक्षा नीति में क्या नए आयाम शामिल हैं। किस तरह नई शिक्षा नीति देश को व्यापक शैक्षिक सुधारों की ओर लेकर जायेगी। इन बिन्दुओं को ध्यान में रखकर जब हम नई शिक्षा नीति को देखते है तो यह एक नई और व्यापक शुरुआत दिखती है। जिसमें बहुत […]

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रक्षाबंधनः बढ़ रही है प्रकृति मित्र राखियों की मांग

– योगेश कुमार गोयल भाई द्वारा बहन की रक्षा का वचन देने के प्रतीक के रूप में मनाए जाने वाले त्योहार रक्षाबंधन के मायने वर्तमान युग में बदल गए हैं। बदले जमाने के साथ भाई-बहन के अटूट प्यार के इस पर्व पर आधुनिकता का रंग चढ़ चुका है लेकिन साथ ही प्रकृति मित्र राखियां भी […]

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नई शिक्षा नीति से छात्रों का होगा बहुमुखी विकास

– सियाराम पांडेय ‘शांत’ आजाद भारत में अभीतक केवल तीन बार शिक्षा नीति में बदलाव की जरूरत महसूस हुई, वह भी अंशत:। पहली बार इंदिरा गांधी, फिर राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हाराव ने इसपर सोचा। यह चौथा अवसर है जब नरेंद्र मोदी सरकार ने शिक्षा नीति में बदलाव का जोखिम लिया है। देश में नई […]

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नई शिक्षा नीतिः शिक्षा की दशा व दिशा को देगी नई गति

– याज्ञवल्क्य शुक्ला महज 34 वर्षों के बाद भारत में पुनः नई शिक्षा नीति लागू किया जाना, सराहनीय फैसला है। मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा। स्पष्ट रूप से शिक्षा को पुनः सर्वोपरि मानना इस परिवर्तन का मुख्य कारण है। शेष सभी बातें शिक्षा से नैसर्गिक रूप से […]

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भारतीय कृषि में प्रौद्योगिकी का महत्व

– कैलाश चौधरी भारतीय सभ्यता दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। उसी प्रकार भारतीय कृषि भी उतनी ही प्राचीन है। प्राचीन भारतीय किसान बहुत अमीर थे क्योंकि उस वक्त कृषि अपने आप में सबसे उन्नत एवं सम्मानित व्यवसाय था। आज भी आबादी का पच्चास प्रतिशत हिस्सा कृषि एवं संबंधित व्यवसायों पर ही […]

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अर्थव्यवस्था के हित में नहीं है सोने का संग्रह

– प्रमोद भार्गव भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना महामारी के चलते अर्थव्यवस्था जबरदस्त मंदी का सामना कर रही है। बाजार में धन की तरलता कम हो जाने के कारण अधिकतर देशों की माली हालत लड़खड़ा गई है और बेरोजगारी बढ़ रही है। बावजूद व्यक्तिगत स्तर पर सोने की खरीद में तेजी आई हुई है। […]

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आखिर गुरुदेव और बाबा साहब ने क्यों ली थी मातृभाषा में शिक्षा

– आर.के. सिन्हा नई शिक्षा नीति-2020 की घोषणा हो गई है। इसके विभिन्न बिन्दुओं पर बहस होगी ही। पर इसने एक बड़े और महत्वपूर्ण दिशा में कदम बढ़ाने का इरादा व्यक्त किया है। उदाहरण के रूप में नई शिक्षा नीति में पाँचवीं क्लास तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को ही पढ़ाई का माध्यम रखने […]