विदेश

उइगर नरसंहार को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख को चीन ने नहीं दी जांच की अनुमति

बीजिंग। चीन में उइगरों का हो रहा नरसंहार (Genocide of Uighurs in China) किसी से छुपा नहीं है। शिनजियांग क्षेत्र (Xinjiang area) के बारे में कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने कुछ रिपोर्ट भी छापी हैं। इस बीच जर्मनी(Germany) में चल रहे म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (Munich Security Conference) में चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Chinese Foreign Minister Wang Yi) ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में मानवाधिकार मामलों की प्रमुख मिशेल बाशेलेट शिनजियांग प्रांत का दौरा कर सकती हैं, लेकिन उन्हें किसी भी प्रकार की जांच की अनुमति नहीं देंगे।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी सम्मेलन में विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े थे इस दौरान उनसे सवाल पूछा गया कि क्या चीन संयुक्त राष्ट्र के बाशेलेट को को शिनजियांग में दौरे की अनुमति देगा? इस पर उन्होंने कहा चीन सभी प्रकार के पक्षपात और अनावश्यक आरोपों को खारिज करता है।



इस तरह की टिप्पणी चीन में उइगरों पर हो रहे अत्याचारों के दावे को मजबूत करती है और अमेरिका तो लगातार चीन पर शिनजियांग प्रांत में अल्पसंख्यक उइगरों के नरसंहार का आरोप लगाता आ रहा है।
रेडियो फ्री एशिया (आरएफए) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन में तिब्बती बौद्ध धर्म के एक संस्थान पर हाल ही में हमला हुआ था इसके बाद मठ में पुलिस की खुफिया इकाई की स्थापना कर दी गई है। पहले एक ईकाई मठ के बाहर थी अब अंदर रहकर ईकाई के अधिकारी मठ के भिक्षुओं के दैनिक क्रियाकलापों पर नजर रख रहे हैं। साथ ही मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चीन ने बौद्ध भिक्षुओं के मोबाइल फोन में एक एप लगा रखा है जिसकी वजह से भिक्षुओं की सभी मोबाइल गतिविधियों का पता लगाया जा सके।
चीन के शिनजियांग क्षेत्र के कोरला में हाईस्कूल के प्राचार्य व शिक्षाविद को 18 साल के लिए इसलिए जेल में डाल दिया गया क्योंकि उन्होंने विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया था और इसमें दो उइगर विद्वानों को प्रस्तुति के लिए बुलाया था।
प्राचार्य शेरेप हेयट ने स्कूल में जाने-माने उइगर विद्वान येलकुन रोजी और अब्दुकादिर जलालिदीन को व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था। रेडियो फ्री एशिया (आरएफए) के अनुसार इन दोनों बुद्धिजीवियों को भी 2017 में जेल में डाला गया था। चीनी अधिकारियों ने 2017 से ही शिनजियांग में पुनर्शिक्षा शिविरों के एक विशाल नेटवर्क में उइगर और अन्य तुर्क-भाषी मुसलमानों को हिरासत में लेना शुरू किया था

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