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Navy के लिए पनडुब्बी रोधी युद्ध शैलो वाटर क्राफ्ट परियोजना के पहले युद्धपोत का निर्माण शुरू

– जीआरएसई और एलएंडटी स्वदेशी जहाज निर्माण कार्यक्रम के तहत 12 जहाज बनाएंगी

नई दिल्ली। पनडुब्बी रोधी युद्ध शैलो वाटर क्राफ्ट (Anti Submarine War Shallow Water Craft) (एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी) परियोजना के पहले युद्धपोत (First Warship) और भारतीय नौसेना (Indian Navy) के लिए सर्वे वेसल लार्ज (एसवीएल) परियोजना के तीसरे युद्धपोत का निर्माण शुक्रवार से शुरू हो गया है। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत भारतीय नौसेना के उप प्रमुख एसएन घोरमाडे ने आज वर्चुअल तरीके से की। जहाज निर्माण कंपनी गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) भारतीय नौसेना के लिए आठ एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी और चार एसवीएल का निर्माण स्वदेशी जहाज निर्माण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में करेगी।


नौसेना प्रवक्ता के अनुसार इन जहाजों को आंशिक रूप से एलएंडटी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली में जीआरएसई की सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल के तहत बनाया जा रहा है। किसी भी जहाज की कील बिछाने का मतलब जहाज का निर्माण शुरू होना है जो उसके विभिन्न हिस्सों के एकीकरण को इंगित करता है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि नौसेना के उप प्रमुख एसएन घोरमाडे ने कोरोना लॉकडाउन के बावजूद इस मील के पत्थर को प्राप्त करने में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स और एलएंडटी शिपयार्ड के किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इसे शिपयार्ड की उल्लेखनीय उपलब्धि बताते हुए प्रदर्शित व्यावसायिकता को भी सराहा। उन्होंने कहा कि इन जहाजों के निर्माण से ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ प्रतिबद्धता को बड़ा बढ़ावा मिलेगा क्योंकि जहाजों में लगाए जाने वाले अधिकांश हथियार, सेंसर और उपकरण स्वदेशी हैं।

वाइस चीफ घोरमाडे ने कहा कि अत्याधुनिक अंडरवाटर सेंसर और हथियारों से लैस पनडुब्बी रोधी युद्ध शैलो वाटर क्राफ्ट से नौसेना की क्षमता को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि पूर्ण पैमाने पर तटीय सर्वेक्षण, गहरे पानी के हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण और नेविगेशनल चैनलों, मार्गों के निर्धारण में सक्षम एसवीएल जहाजों को भी अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया जाएगा। इस जटिल जहाज निर्माण परियोजना को क्रियान्वित करने में शिपयार्ड के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए जीआरएसई के सीएमडी रियर एडमिरल वीके सक्सेना (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चल रही महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद अभिनव समाधानों के उपयोग से जहाजों का उत्पादन जारी रहा है। उन्होंने भारतीय नौसेना को उनके निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और आधुनिक सतह बेड़े की आवश्यकता को पूरा करने के लिए जीआरएसई की प्रतिबद्धता को दोहराया।

इस मौके पर नौसेना के युद्धपोत उत्पादन और अधिग्रहण के नियंत्रक वाइस एडमिरल किरण देशमुख, डीजीएनडी (एसएसजी) रियर एडमिरल जीके हरीश के अलावा भारतीय नौसेना और जीआरएसई के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। (एजेंसी, हि.स.)

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