इंदौर न्यूज़ (Indore News)

शहर में कोरोना संक्रमण तो गायब, अब जीका से बचने की दी सलाह

 


राधास्वामी सेंटर में भी मात्र 6 मरीज ही हैं भर्ती
इंदौर।
कोरोना संक्रमण (Corona infection) का असर तो लगभग शून्य हो गया है। इक्के-दुक्के मरीज ही हर 24 घंटे में मिल रहे हैं। हालांकि देश के कुछ हिस्सों में कोरोना बढऩे पर चिंता भी जाहिर की। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने भी लोगों से अपील की कि कोरोना को लेकर निश्चिंत ना रहे और असावधानी ही तीसरी लहर को आमंत्रण देगी। दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग (Health Department)  ने जीका वायरस ( Zika virus) को लेकर भी सावधानी बरतने की सलाह लोगों को दी है। यह भी मच्छरजनित वायरस संक्रमण है जो मच्छरों की एडीज प्रजाति से फैलता है।


जीका वायरस ( Zika virus) संक्रमण से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग (Health Department)  द्वारा नागरिकों के लिए एडवायजरी जारी की गई है। जीका वायरस संक्रमण एक मच्छरजनित वायरस संक्रमण है। यह मच्छरों की एडीज प्रजाति द्वारा फैलता है। आमतौर पर एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस इसके लिये जिम्मेदार होते हैं। एडीज मच्छर (Aegis mosquito) डेंगू और चिकनगुनिया के वायरस भी फैलाते हैं। यह जीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति से सम्पर्क में आकर दूसरे लोगों में वायरस फैलाने में सक्षम होते हैं। यह गर्भवती महिलाओं पर गंभीर प्रभाव डालते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने सलाह दी है कि जीका वायरस संक्रमण से बचने हेतु मच्छरों को बढऩे से रोकने के लिए ठहरे पानी को इकठ्ठा न होने दें, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, शरीर का अधिकतम हिस्सा ढक्कर रखें, घर और आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और बच्चों को पूरे आस्तीन कपड़े पहनायें। इसके अतिरिक्त बुखार, गले में खराश, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, त्वचा में चकत्ते पडऩा, आंखों में जलन व आँखें लाल होना, उल्टी, हल्का बुखार एवं सिर दर्द जैसे लक्षण नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाने की सलाह दी गई है। इधर राधास्वामी सेंटर में भी मात्र 6 मरीज बचे हैं, वहीं जिले में भी संख्या घटकर मात्र 54 ही रह गई है।

100 टीमें अभी भी ले रही हंै कोरोना के सैम्पल…मगर अब लोग कतराने लगे
जुलाई में तो कोरोना संक्रमण (Corona infection)  लगभग खत्म ही हो गया। कल रात जारी मेडिकल बुलेटिन (medical bulletin) में भी 8786 सैम्पलों की जांच में मात्र 2 पॉजिटिव ही मिले। अभी रोजाना औसतन 9 से 10 हजार सैम्पलों की जांच करवाई जा रही है। इसके लिए जिले में 100 टीमें लगाई गई है, जो सुबह से रात तक अलग-अलग इलाकों में जाकर रेंडमली सैम्पल लेती है। मगर अब असल दिक्कत यह आ रही है कि लोग सैम्पल देने से कतराने लगे हैं और कई जगह तो टीमों को दुव्र्यवहार का सामना भी करना पड़ता है।


मंदिरों (temples), शॉपिंग मॉल (shopping malls) से लेकर स्टेशनों व अन्य सार्वजनिक स्थानों ंपर पहुंचकर ये टीमें पहुंचकर आरटीपीसीआर और एंटीजन टेस्ट के सैम्पल लेती है, हालांकि आरटीपीसीआर टेस्ट ही ज्यादा किए जा रहे हैं। वहीं निजी लैबों में भी अब गिनती के लोग सैम्पलिंग के लिए पहुंच रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप अप्रैल और मई माह में सर्वाधिक रहा, जब सरकारी स्तर पर तो 9 से 10 हजार सैम्पलों की जांच हो ही रही थी, वहीं 4 से 5 हजार सैम्पल निजी लैबों में भी जांचें जा रहे थे और हालत यह थी कि निजी लैबों के बाहर लम्बी-लम्बी कतारें लगी थी और गाडिय़ों में बैठे-बैठे भी लोगों ने सैम्पल दिए। उसके बाद जब जून से कोरोना संक्रमण का असर कम होना शुरू हुआ, मगर मुख्यमंत्री भी लगातार यह निर्देश देते रहे कि सैम्पलों की संख्या कम ना हो और रोजाना अधिक से अधिक सैम्पल लिए जाएं, क्योंकि प्रधानमंत्री बार-बार कोरोना से बचाव के लिए मास्क, डिस्टेंसिंग, वैक्सीनेशन के अलावा ट्रैक, टेस्ट और ट्रीटमेंट की सलाह देते रहे हैं। यही कारण है कि इंदौर में औसतन 9 से 10 हजार सैम्पलों की जांच रोजाना की जा रही है।

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