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मणिपुर में अलग प्रशासन की मांग, आदिवासी विधायकों ने मिजोरम के CM से की मुलाकात

नई दिल्ली। मणिपुर में आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन (अलग राज्य के बराबर) की मांग कर रहे मंत्रियों सहित राज्य के 10 आदिवासी विधायकों ने आइजोल में मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा से मुलाकात की और मणिपुर में जातीय संकट को हल करने के लिए उनसे हस्तक्षेप की मांग की। आदिवासियों के लिए “अलग प्रशासन” की मांग तेज करने के लिए कुकी-ज़ो आदिवासी पहली बार 29 नवंबर को मणिपुर के अलावा कम से कम पांच अन्य राज्यों में रैलियां आयोजित करेंगे।

मणिपुर आदिवासियों की शीर्ष संस्था, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के वरिष्ठ नेता गिन्ज़ा वुअलज़ोंग ने शनिवार को कहा कि कुकी-ज़ो आदिवासियों की 29 नवंबर की मेगा रैली मणिपुर के विभिन्न जिलों के अलावा मिजोरम, त्रिपुरा, दिल्ली, कर्नाटक और तमिलनाडु में आयोजित की जाएगी। सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के अध्यक्ष जोरमथांगा ने कहा कि मंत्रियों सहित मणिपुर के आदिवासी विधायकों ने गुरुवार को आइजोल में उनसे मुलाकात की और पड़ोसी राज्य में मौजूदा जातीय अशांति के संबंध में मणिपुर और नागालैंड में नागा नेताओं के साथ बातचीत करने का अनुरोध किया।


जोरमथांगा ने कहा कि कुकी-ज़ो आदिवासियों से संबंधित मणिपुर के विधायक, मणिपुर में जातीय संघर्ष के इस समय में नागा आदिवासी समुदाय के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “मैंने मणिपुर के आदिवासी विधायकों और मंत्रियों से अनुरोध किया है कि वे केंद्र सरकार के साथ निकट संपर्क रखें और उन्हें बताते रहें कि मणिपुर में वास्तव में क्या हो रहा है।” मुख्यमंत्री ने दोहराया कि एमएनएफ हमेशा मणिपुर और अन्य पड़ोसी राज्यों के साथ-साथ म्यांमार, बांग्लादेश और अन्य देशों में जातीय भाई-बहनों के साथ खड़ा है। उन्होंने आइजोल में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ”मिजोरम दुनिया भर के सभी जातीय मिजो लोगों के लिए है।”

ज़ोरमथांगा, उनके कैबिनेट सहयोगियों और एमएनएफ विधायकों ने मणिपुर में हिंसा से प्रभावित कुकी-ज़ो आदिवासियों के लिए एकजुटता व्यक्त करने के लिए 25 जुलाई को मिजोरम में गैर-सरकारी संगठन समन्वय समिति द्वारा आयोजित ‘एकजुटता मार्च’ में भाग लिया था। राज्य में जातीय दंगे शुरू होने के बाद से सत्तारूढ़ बीजेपी के सात विधायकों समेत मणिपुर के 10 विधायक राज्य में आदिवासियों के लिए ‘अलग प्रशासन’ की मांग कर रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकारों और बीजेपी नेताओं ने कई मौकों पर इस मांग को खारिज कर दिया और एकजुट मणिपुर बनाए रखने की कसम खाई। जातीय संघर्ष की शुरुआत से ही आईटीएलएफ मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को हटाने की मांग कर रहा है।

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