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दुनिया में धमाल मचाएंगे ‘देसी ट्वॉयज’, केंद्र सरकार करेगी 3,500 करोड़ रुपये की मदद

नई दिल्ली: चाइनीज खिलौनों पर लगाम लगाने के बाद अब केंद्र सरकार देसी ट्वॉयज मार्केट (Domestic Toy Market) को बूस्टअप करने का विचार कर रही है. ताकि दुनियाभर में भारत में खिलौने (Indian Toys) धमाल मचा सकें. वास्तव में डॉमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को ग्लोबल लेवल पर काम्पिटेंट बनाने के लिए सरकार अब खिलौनों को 3,500 करोड़ रुपये के उत्पादन से जुड़ी पीएलआई का बेनिफिट (PLI Benefit fot Toys) देने का विचार कर रही है. यह बेनिफिट उन्हीं को दिया जाएगा जो भारतीय मानक ब्यूरो यानी बीआईएस के स्टैंडर्ड (BIS Standard) के अनुरूप होंगे.

ट्वॉयज इंडस्ट्री को पीएलआई स्कीम क्यों?
एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर की शुरूआत और सीमा शुल्क को 20 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी करने से लेकर सब-स्टैंडर्ड इंपोर्ट को कम करने और डॉमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने में मदद मिली है. अधिकारी ने कहा कि अब खिलौनों को मिलने वाला पीएलआई बेनिफिट इंवेस्टमेंट आकर्षित करने और निर्यात बढ़ाने में मदद करेगा.

अधिकारी ने पीटीआई को कहा कि अब हम खिलौनों को पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) बेनिफिट का काम कर रहे हैं, लेकिन यह बीआईएस-अनुरूप खिलौनों को ही दिया जाएगा. पीएलआई बेनिफिट विभिन्न निवेश स्लैब के अनुसार दिया जा सकता है जो 25 करोड़ रुपये से लेकर 50 करोड़ रुपये या 100-200 करोड़ रुपये तक हो सकता है.

क्या है प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम?
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव या पीएलआई योजना एक ऐसी योजना है जिसका उद्देश्य कंपनियों को डॉमेस्टिक यूनिट्स में निर्मित प्रोडक्ट्स इंक्रीमेंटल सेल्स पर इंसेंटिव देना है. इस योजना के तहत, विदेशी कंपनियों को भी भारत में यूनिट्स स्थापित करने की अनुमति है, लेकिन साथ ही, यह स्थानीय कंपनियों को मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की स्थापना या विस्तार करने और अधिक रोजगार पैदा करने और अन्य देशों से इंपोर्ट पर देश की निर्भरता को कम करने के लिए प्रोत्साहित करती है.


पीएलआई योजना खिलौनों पर कैसे लागू होगी?
प्रपोजल के तहत इंसेंटिव पूरे प्रोडक्ट पर लागू होगा न कि कंपो​नेंट के लिए क्योंकि इंडस्ट्री को अभी भी कुछ कंपोनेंट्स को इंपोर्ट करने की आवश्यकता है जो खिलौनों के प्रोडक्शन के लिए महत्वपूर्ण हैं और भारत में तैयार नहीं होते हैं.

इंसेंटिव बीआईएस-अनुरूप खिलौनों पर लागू होगा. BIS भारत की नेशनल स्टैंडर्ड बॉडी है जो कंफरमिटी असेसमेंट स्कीम्स को लागू करता है, कंफरमिटी असेसमेंट के लिए प्रयोगशालाओं को मान्यता देता है और चलाता है, हॉलमार्किंग लागू करता है, क्वालिटी अश्योरेंस पर कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम आयोजित करता है.

भारत निर्मित खिलौने न केवल ग्लोबल ब्रांड्स को सप्लाई कर रहे हैं बल्कि वे ग्लोबल मार्केट्स में भी अपनी जगह बना रहे हैं. सिर्फ खिलौने ही नहीं, सरकार इन लाभों को अन्य क्षेत्रों जैसे साइकिल, जूते, कुछ वैक्सीन मटीरियल, शिपिंग कंटेनर और कुछ टेलीकॉम प्रोडक्ट्स तक भी पहुंचाने की योजना बना रही है.

लिटिल जीनियस टॉयज प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ नरेश कुमार गौतम ने जोर देकर कहा है कि पीएलआई योजना और एक परिषद से और प्रोत्साहन मिलेगा क्योंकि इसमें नौकरियों के सृजन की बड़ी संभावना है. इन विभिन्न प्रस्तावों पर अंतर-मंत्रालयी चर्चा चल रही है.

पीएलआई योजना का लाभ कौन से दूसरे सेक्टर्स ले रहे हैं?
सरकार ने लगभग 2 लाख करोड़ रुपये के साथ इस योजना को पहले ही 14 सेक्टर्स के लिए लागू कर दिया है, जिसमें ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट, व्हाइट गुड्स, फार्मा, कपड़ा, खाद्य उत्पाद, सोलर पीवी मॉड्यूल, एडवांस कैमिकल सेल और स्टील शामिल हैं.

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