उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

6 साल बाद भी शुरु नहीं हो सकी विकास प्राधिकरण की ज्योतिबा फुले सब्जी मंडी

  • चारों ओर अव्यवस्थाएँ दिखाई देती है-शेड पर भी हुए कब्जे

उज्जैन। विकास प्राधिकरण (Development Authority) द्वारा करीब 10 साल पहले नानाखेड़ा (Nanakheda) क्षेत्र में कॉसमास मॉल
(Cosmas Mall) के सामने लाखों रूपये की लागत से ज्योतिबा फुले सब्जी मंडी (Jyotiba Phule Vegetable Market) का निर्माण कराया था। निर्माण के बाद से यहां आवंटित दुकानों से व्यवसाय शुरु नहीं हो पाया था। करीब 6 साल पहले इसे शुरु करने के प्रयास हुए थे। लेकिन वह भी विफल रहे और अब मंडी के शेड में कई गुमटियां और मजदूर परिवार के कब्जे हो गए है। जवाबदार इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि विकास प्राधिकरण द्वारा महानंदानगर (Mahanandanagar) में लाखों रुपए खर्च कर बनाई गई ज्योतिबा फु ले सब्जी मंडी पिछले कई वर्षों से दिहाड़ी मजदूरों की बस्ती बनकर रह गई है। यहां सब्जी बिकने की बजाय मजदूर परिवारों का डेरा डला हुआ है। इसके अलावा सब्जी मंडी के शेड के नीचे कई गुमटियां लग गई है और सब्जी दुकानें मंडी की बजाय सड़कों पर लग रही है। इस समस्या के निदान के लिए करीब 6 साल पहले यूडीए ने दुकानदारों को नोटिस जारी कर दुकानें खोलने के निर्देश दिए थे, बावजूद इसका कोई असर नहीं हुआ था।


सप्ताह में एक दिन लगने लगी थी मंडी
कॉसमॉस मॉल के सामने विकास प्राधिकरण ने ओपन सब्जी मंडी शेड निर्मित किया था। नानाखेड़ा क्षेत्र के रहवासियों के लिए कॉसमॉस मॉल के सामने यूडीए ने ओपन सब्जी मंडी बनाई थी। जिसका उद्देश्य था कि लोगों को व्यवस्थित सब्जी मंडी में मिले, लेकिन बीते कई सालों से यह मंडी शुरू ही नहीं हो पाई। साल 2017 के जुलाई-अगस्त महीने में मंडी को शुरू करने की कवायद हुई थी। इसके बाद सप्ताह में एक दिन दुकानें मंडी में लगने लगी थी। उस समय यूडीए ने भी मंडी के ओटले मालिकों को नोटिस भेजकर दुकानें लगाने का कहा था। वहीं मंडी में जमे दिहाड़ी मजदूरों के परिवारों के अतिक्रमण भी हटाए थे। बावजूद इसके कुछ महीनों बाद वापस से मंडी में दुकानें लगना बंद हो गई थी और दोबारा से मंडी शेड में मजदूर परिवारों का बसेरा हो गया था। तभी से यहां सब्जी की दुकानें सड़क पर लग रही हैं।

10 साल से अनदेखी की शिकार है यह नए क्षेत्र की मंडी
महानंदा सब्जी मंडी को शुरू करवाने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने पूरी कोशिश की, लेकिन विकास प्राधिकरण के अधिकारियों का साथ नहीं मिला। तत्कालीन यूडीए सीईओ अभिषेक दुवे ने भी इसमें रुचि नहीं दिखाई थी। हालांकि उस दौरान तत्कालीन महापौर मीना जोनवाल ने भी मंडी को शेड में लगाने के प्रयास किए थे। उन्होंने क्षेत्र का दौरा कर समझाइश भी दी थी। बावजूद इसके मंडी शुरू नहीं हो पाई। इधर इतने सालों बाद अब प्राधिकरण की ज्योतिबा फुले सब्जी मंडी में कई गुमटियां भी शेड के नीचे लग गई है। इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा।

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