आचंलिक

चने से हुआ मोहभंग, सरसों के रकबा में हुई दोगुनी वृद्धि

  • किसानों को अधिक लाभ होने की उम्मीद
  • सरसों के रकबा में हुई दुगनी वृद्धि, कम लागत में अच्छी पैदावार होती है, चने से हुआ मोहभंग घटा रकवा

सिरोंज। विगत कुछ वर्षों से चने की फसल किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही थी इसके चलते इस बार किसानों ने सरसों की फसल को ज्यादा रकवे में लगाने का काम किया है ,इसकी वजह से किसानों को अधिक लाभ होने की उम्मीद भी दिखाई दे रही है। पिछले वर्ष की तुलना में दोगुनी रकवे में सरसों की फसल विकासखंड में किसानों के द्वारा लगाई गई है। अभी इस फसल में किसी भी तरह का रोग नहीं है, खेतों में अच्छी फसल लहरा रही है जिसको देखते हुए सरसों का उत्पादन अच्छा होने की उम्मीद है। इस बार किसानों को नजर आ रही है कई ग्रामों में किसानों के द्वारा सरसों की फसल में एक से लेकर दो पानी भी दे दिए इसकी वजह से फसल और भी अच्छी हो गई है। इस बार उत्पादन अच्छा आया तो आने वाले वर्षों मे इसके क्षेत्रफल में और भी वृद्धि होगी किसानों का कहना है कि सरसों की फसल ऐसी है जो सबसे कम लागत में अच्छी आ सकती है , बीज भी कम लगता है अन्य दवाओं का छिड़काव भी कम मात्रा में करना पड़ता है इसके अलावा जिन किसानों के पास पर्याप्त पानी नहीं है वह किसान भी सरसों की फसल लगाकर अच्छी पैदावार ले सकते हैं एक पानी देने पर भी सरसों की फसल आसानी से आ जाती है। दूसरी ओर जिन किसानों के पास पर्याप्त मात्रा में पानी है उनके द्वारा 2 से लेकर 3 पानी देने का काम भी सरसों की फसल में किया जा रहा है यदि तीन पानी सरसों की फसल में लग जाएं तो उत्पादन भी 7से लेकर 8 क्विंटल प्रति बीघा से अधिक आ जाता है ।



अभी किसी भी तरह का रोग फसलों में देखने को नहीं मिल रहा है वही मौसम में जरूर उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है जिससे किसान जरूर चिंतित हैं। इस समय हर ग्राम में सरसों की फसल लहरा रही है , अगले महीने से फसल आने लगेगी जिस हिसाब से साल दर साल रकवा बढ़ रहा है उस हिसाब से सरसों हर ग्राम में इस समय दिखाई देने लगी है नहीं तो पहले किसान सरसों की फसल लगाने से परहेज करते थे। अन्य फसलों में सरसों उगती थी तो उसकी कटाई करवाते थे। चना, मसूर के साथ गेहूं की फसल ज्यादा मात्रा में लगाते थे, पर चने की फसल पिछले तीन-चार वर्षो से ज्यादा ही प्रभावित हो रही है ईल्ली के प्रकोप के कारण इस फसल को बचाना सबसे कठिन काम हो रहा था इस वजह से अन्य क्षेत्रों में सरसों की अच्छी पैदावार होने की जानकारी लगने पर क्षेत्र के किसानों ने भी इस बार सरसों की फसल लगाने का काम किया है लगभग 12000 से अधिक क्षेत्र में फसल लगाई गई है। पिछले साल पांच 6000 के करीब क्षेत्रफल था जो बढ़कर दोगुना हो गया है चने के रकवे में भारी गिरावट देखने को मिल रही है गिने-चुने किसानों ने ही चने की फसल लगाई है।


दाम भी अच्छी मिलते हैं
जहां चने की पैदावार लेने के लिए किसानों को कई बार दवाओं का छिड़काव करना पड़ता है। उसके बाद भी मंडी में किसानों को सही नहीं मिल पाते हैं। वही सरसों के दाम भी मंडी में अच्छे मिल रहे हैं जिससे किसानों को आमदनी अधिक होगी सरकारी रेट भी 5000 है और मंडी में 7000 तक सरसों के दाम किसानों को मिल जाते हैं जबकि चने के दाम 3500 से लेकर 4000 ही मिलते हैं।

इनका कहना है
सरसों की फसल कम लागत में अच्छी आती है रोग लगने की संभावना भी कम होती है कम लागत में इसकी पैदावार ली जा सकती है।
गजेंद्र रघुवंशी, किसान

चने की तुलना में सरसों के रकवे में दुगनी वृद्धि देखने को मिली है 1200 0से अधिक हेक्टर में सरसों की फसल इस बार किसानो ने लगाई है इसमें अभी किसी भी तरह का रोग नहीं लगा है इस साल अन्य फसलों में भी रोक लगने की अभी तक जानकारी नहीं मिली है इसलिए किसान किसी भी तरह की दवा का छिड़काव अभी ना करें।
वीरेंद्र मालवीय, एसएडीओ कृषि विभाग

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