20 दिन से कृष्णपुरा छत्री पर डाल रखा था डेरा, गंदगी भी खूब फैलाई, बड़ी मुश्किल से समझाइश के बाद पुनर्वास और नशामुक्ति केंद्र जाने को हुए तैयार
इंदौर। मुख्यमंत्री (Chief Minister) ने इंदौर को भिखारीमुक्त (Beggar-free) बनाने की घोषणा की है, जिसके चलते पिछले दिनों प्रशासन, निगम, पुलिस के साथ-साथ प्रवेश एनजीओ संस्था (Admission NGO organization) ने अभियान शुरू किया। कल भी एक ऐसी महिला को पकड़ा, जिसने तीन शादियां (Weddings) की और उसके आठ बच्चे हैं। पिछले 20 दिनों से इन सभी ने कृष्णपुरा छतरी पर डेरा डाल रखा था, जहां पर भयानक गंदगी भी कर दी और छोटे बच्चे नशे के शिकार भी पाए गए। समझाइश के बाद पुनर्वास व नशामुक्ति केन्द्र ( De-addiction center) जाने को तैयार हुए।
आयुक्त प्रतिभा पाल (Commissioner Pratibha Pal) ने शहर के प्रमुख चौराहों से लेकर धार्मिक स्थलों से भी सडक़ों पर भीख मांगने वाले लोगों को समझाइश दिलवाई और उन्हें नए बनाए पुनर्वास केन्द्र पर भेजा गया। निगम के इस अभियान में एनजीओ संस्था प.पू. रक्षक आदिनाथ वेलफेयर एंड एज्युकेशन सोसायटी भी शामिल है, जिसकी प्रमुख रुपाली जैन ने बताया कि पिछले 20 दिनों से कृष्णपुरा छतरी पर एक महिला संगीता बाई अपने आठ बच्चों के साथ डेरा डाले हुए थी। इस महिला ने तीन शादियां की, दो पति की मौत हो गई और तीसरा पति भी बीमार और नशे का आदी है। डेढ़ साल से लेकर 15 साल तक की उम्र के इस महिला के 8 बच्चे हैं, जिनमें से 12 साल का एक बच्चा चाकू-छूरे लेकर गुंडागर्दी करता है, तो 14 और 15 साल के लडक़े व्हाइटनर का नशा करते हैं। पूरी कृष्णपुरा छतरी को गंदा अलग कर दिया और आसपास के दुकानदार भी इन लोगों से परेशान थे। कल बड़ी मुश्किल से महिला और बच्चों को समझाया गया। काउंसलिंग कर इन्हें एमजी रोड थाने पहुंचा। अब बच्चे पुनर्वास केन्द्र और नशामुक्ति केन्द्र में जाने को तैयार हुए हैं।
348 भिखारी पकड़े, 102 मानसिक रोगी भी निकले
पिछले दिनों जो अभियान चलाया गया उसमें 348 भिखारियों को रेस्क्यू किया गया। इनमें से 102 मानसिक रोगी भी पाए गए, जिनका उपचार कराया जा रहा है। अभी पुनर्वास केन्द्र में 80 भिखारी रह रहे हैं। पिछले दिनों कुछ भिखारी स्वस्थ भी हो गए और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया गया। कुछ बच्चों को शिक्षा भी दिलवाई जा रही है। कल जिस महिला को कृष्णपुरा छतरी से रेस्क्यू किया गया उसे भी पूजन सामग्री बेचने का रोजगार दिलाया जाएगा। पूर्व में भी महिला यह काम करती थी। वहीं उसके बच्चों की भी पढ़ाई-लिखाई कराई जाएगी।