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क्‍यों एथिक्‍स कमेटी ने महुआ मोइत्रा को ठहराया दोषी, क्या थी वो सबसे बड़ी वजह

नई दिल्‍ली (New Delhi) । लोकसभा (Lok Sabha) की एथिक्स कमेटी (Ethics Committee) ने ‘रिश्वत लेकर प्रश्न पूछने’ संबंधी आरोपों के मामले में गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) को संसद के निचले सदन से निष्कासित करने की सिफारिश की। भारतीय जनता पार्टी के सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली कमेटी ने व्यवसायी हीरानंदानी के साथ अपने ‘लॉग-इन क्रेडेंशियल’ शेयर करने के मामले में महुआ मोइत्रा को दोषी ठहराया। इस मामले में एथिक्स कमेटी ने राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे का हवाला दिया है।

अब एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा के पटल पर रखी जाएगी और इससे संबंधित प्रस्ताव पर मतदान होगा। कमेटी ने कहा है कि वह (हीरानंदानी) दुबई के निवासी हैं और उनके करीबी रिश्तेदार विदेशी नागरिक हैं। सूत्रों की मानें तो समिति ने अपने निष्कर्ष में कहा कि हीरानंदानी से लॉग-इन क्रेडेंशियल शेयर करने से संवेदनशील सामग्री के लीक होने का गंभीर खतरा पैदा होता है। बता दें मोइत्रा ने लॉग-इन आईडी और उपहारों के आदान-प्रदान पर अपने रुख को साफ करते हुए कहा कि उन्होंने कुछ भी अनैतिक या गैरकानूनी नहीं किया है।


सूत्र के अनुसार, कमेटी ने गृह मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा कि जुलाई 2019 और अप्रैल 2023 के बीच जब महुआ मोइत्रा वहां नहीं थीं तो दुबई से 47 बार लॉगिन का इस्तेमाल किया गया था।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर आ सकती थी आंच
सूत्रों ने मसौदा रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि जम्मू और कश्मीर परिसीमन विधेयक, 2019 को पहले ही प्रसारित कर दिया गया था और इससे ऐसी संवेदनशील सामग्री के लीक होने की संभावना है, जिसका इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा को क्षति पहुंचाने के लिए शत्रु तत्वों द्वारा किया जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि कमेटी बहुमत के साथ इस निष्कर्ष पर पहुंची कि हीरानंदानी से अवैध पेशकश स्वीकार करने के आरोप स्पष्ट रूप से स्थापित हो गए हैं, यह उनके स्वयं के बयान और मीडिया में उनकी टिप्पणियों से पता चलता है।

एथिक्स पैनल ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्राई के बयान दर्ज किए, जिन्होंने मूल रूप से अपने पूर्व साथी महुआ के खिलाफ शिकायत की थी। महुआ मोइत्रा से 2 नवंबर को पूछताछ की गई थी जहां उन्होंने दावा किया था कि उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, क्योंकि उनसे अभद्र और व्यक्तिगत सवाल पूछे गए थे। पैनल के चार विपक्षी सदस्यों ने गुरुवार को मसौदा रिपोर्ट का विरोध किया और कहा कि इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने रिपोर्ट से असहमति जताते हुए कहा कि दर्शन हीरानंदानी को नहीं बुलाया गया।

कैसे हो सकता है महुआ का निष्कासन?
एथिक्स पैनल के अध्यक्ष विनोद सोनकर ने कहा कि वे अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपेंगे। अध्यक्ष रिपोर्ट प्रकाशित करने का आदेश दे सकते हैं। संसद के अगले सत्र के दौरान समिति के अध्यक्ष रिपोर्ट को सदन में पेश करेंगे और फिर उस पर बहस होगी, जिसके बाद सदस्य के निष्कासन के लिए सरकारी प्रस्ताव पर मतदान होगा। तभी महुआ मोइत्रा का निष्कासन प्रभावी होगा।

महुआ मोइत्रा के खिलाफ सवालों के बदले पैसे लेने के आरोपों के मुद्दे पर तृणमूल ने चुप्पी बनाए रखी। यहां तक कहा गया कि इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा। हालांकि, गुरुवार को रुख में बदलाव आया क्योंकि तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि महुआ मोइत्रा प्रतिशोध की राजनीति का शिकार हुई हैं। अभिषेक बनर्जी ने कहा, “जो कोई भी अडानी मुद्दे पर सरकार से सवाल पूछ रहा है उसे परेशान किया जा रहा है। मोइत्रा के खिलाफ आरोप साबित होने से पहले ही लोकसभा एथिक्स कमेटी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई कैसे कर सकती है?”

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