- मरीजों को मोबाइल पर ही दी जा रही रिपोर्ट-डॉक्टरों को रिपोर्ट जानने के लिए तलाशते हैं मरीज
उज्जैन। दुर्घटनाग्रस्त तथा श्वांस रोग के मरीजों का उपचार शुरू करने से पूर्व कोई भी चिकित्सक सबसे पहले मरीज की एक्स-रे जांच कराता है। उसके बाद उपचार किया जाता है। हैरत की बात है कि संभाग के सबसे बड़े सरकारी जिला अस्पताल के डिजीटल एक्स-रे केंद्र पर पिछले 6 महीने से एक्स-रे फिल्म उपलब्ध नहीं है। रिपोर्ट मरीजों को मोबाइल पर दी जा रही है। अस्पताल के पास रक्तचाप मापी यंत्र खरीदने का बजट भी नहीं है।
दो सप्ताह पहले जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं का भौतिक सत्यापन करने के लिए क्वालिटी कंट्रोल इंश्योरेंस की राष्ट्रीय स्तर की तीन टीमें आई थी। भौतिक सत्यापन से पहले जिला अस्पताल सहित चरक अस्पताल का रंगरोगन किया गया था। परिसरों में लगातार सफाई कराई जा रही थी। इतना ही नहीं जाँच दल के आने के एक दिन पहले रातों-रात चरक और जिला अस्पताल में लगे टूटे-फुटे पलंग और गद्दे तक इधर उधर से इंतजाम कर दूसरे रखवा दिए गए थे। इसी तरह जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड से लेकर आईसीयू और जनरल वार्डों में भी मरीजों के ब्लड प्रेशर को जाँचने के लिए परंपरागत रक्तचाप मापी यंत्र (स्फिग्मोमैनोमीटर) की व्यवस्था की गई थी। इधर पिछले 6 माह से जिला अस्पताल के एक्स-रे सेंटर पर मरीजों को एक्स-रे की रिपोर्ट प्रिंट कर नहीं दी जा रही। यह रिपोर्ट केवल मरीजों के मोबाईल पर अपलोड की जा रही है। अस्पताल से जुड़े सूत्रों का कहना है कि एक्स-रे फिल्म सप्लाय करने वाली एजेंसी को ऑर्डर दिया गया था, लेकिन भुगतान के कारण यह सप्लाय नहीं हो सकी।
मोबाइल नहीं तो चिकित्सकों को ढूँढते हैं मरीज
जिला अस्पताल में अधिकांश मरीज उपचार के लिए ऐसे आते हैं जिनके पास एंड्रायड मोबाइल नहीं रहते। ऐसे मरीजों की एक्स-रे रिपोर्ट फिल्म के अभाव में केंद्र से सीधे संबंधित डॉक्टर के मोबाइल पर भेज दी जाती है। ऐसे में मरीज या परिजन जब सेंटर पर रिपोर्ट लेने जाते हैं तो उन्हें कहा जाता है कि आपके चिकित्सक को भेज दी है। इसके बाद मरीज अपनी रिपोर्ट में क्या आया है यह जानने के लिए संबंधित डॉक्टर को अस्पताल में यहाँ वहाँ तलाशते फिरते हैं। Share: