उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

प्राचीन काल में भी आरओ का शुद्ध पानी पीते थे उज्जैन वासी, तरीका अलग था

  • कालियादेह महल पर बना जल छनक यंत्र में होता था पानी शुद्ध-जल वैज्ञानिक आज भी इस तकनीक का लोहा मानते हैं

उज्जैन। आज आर ओ तथा अन्य जल शोधन के नए तरीके हैं एवं मिनरल वाटर बिकता है लेकिन शुद्ध पानी उज्जैनवासी प्राचीन समय से पी रहे हैं..केडी पैलेस पर बने कुंड इसका उदाहरण है..अग्रिबाण ने पड़ताल की तो पता चला कि सदियों पहले जल शुद्ध करने के विज्ञान का यह अनुपम उदाहरण रहा है। उज्जैन एक प्राचीन नगरी है जिसका इतिहास बहुत पुराना है। उज्जैन नगरी में कई शासकों ने राज किया है और कई तरह की प्राचीन संपत्तियाँ आज उज्जैन में प्राचीन और अमूल्य धरोहर के रूप में दर्ज है। इसी में एक अनमोल धरोहर है उज्जैन का कालियादेह महल पैलेस। यह कालियादेह महल अपने आप में एक रहस्यमयी किला है। इस महल के बाहर शिप्रा नदी के बीच में मौजूद बावन कुंड का इतिहास इस तरह है कि आज भी इन बावन कुंडों के महत्व पर पर्यावरणविद और जल विशेषज्ञ के जानकार रिसर्च करने के लिए पहुँचते हैं। वर्तमान समय में हम देखते हैं कि आज भी शहर में जल व्यवस्था के लिए वितरण होने पर वाले पानी को साफ करने के लिए घरों में पीने के पानी को साफ करने के उपाय किए जाते हैं। दूषित पानी हमें सबसे जल्दी बीमार करता है यही वजह है कि पानी साफ कर पीने लायक बनाने के लिए हमें कुछ न कुछ कदम उठाना पड़ते हैं। अधिकतर घरों में पानी साफ करने के लिए आर ओ मशीनें भी लगी हैं जो पानी को को कीटाणुरहित बनाने में कारगर होती है। हालांकि ये मशीने महंगी होने की वजह से ज्यादातर लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं लेकिन वह भी किसी तरह पानी को गर्म कर या साफ कर ही पीने योग्य बनाते हैं लेकिन हजारों वर्ष पहले के इतिहास की ओर जाएं तो पता चलता है कि उस समय में जो पानी नदियों से दिया जाता था वह बेहद साफ शुद्ध और पीने लायक लोगों तक पहुँचाया जाता था, जिसका साक्षात प्रमाण है उज्जैन के बावन कुंड और उस पर बनी जल संरचना। पर्यावरण और जल विशेषज्ञों से जब इस विषय पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि उज्जैन शहर से 10 किलोमीटर दूर स्थित कालियादेह महल केडी पैलेस का इतिहास किसी रहस्य से कम नहीं है।



बीते एक हजार साल में अनेक राजा महाराजाओं की पर्यटन स्थली रहे इस महल की जल संरचना शोध का विषय है। पुरातत्व के जानकार बताते हैं राजा भोज के काल में जल छनक यंत्र का निर्माण किया गया था जो आज भी हमें दिखाई देते हैं। महल में पुराण प्रसिद्ध सूर्य मंदिर भी है, जो भोजकाल में बनवाया गया था। कालांतर में सिंधिया राजवंश से इसका जीर्णोद्धार कराया था। उज्जैन प्राचीन अवंतिका महाजनपद की राजधानी रही है। वैभवशाली नगरी ने हर दौर में राजा महाराजाओं को अपनी ओर आकर्षित किया है। भैरवगढ़ के समीप केडी पैलेस एक हजार से अधिक पुरानी विरासत को अपने आप में समेटे हुए है। आज भी यहाँ बावन कुंड व जल छनक यंत्र के रूप में अद्भुत जल संरचना पर्यटकों व शोधकर्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। देश के कई पर्यावरणविद और जल वैज्ञानिकों ने उज्जैन के के.डी. पैलेस स्थित बावन कुंड पर बनी जलसंरचना के जल छनक यंत्र पर विस्तृत गहन अध्यन और रिसर्च किया है। इतिहासकार बताते हैं कि केडी पैलेस शिप्रा नदी के तट पर स्थित है। शिप्रा के बहाव क्षेत्र पर बावन कुंड और जल छनक जैसी जल संरचना का निर्माण राजा भोज ने कराया था। आज भी यहाँ जल छनक यंत्र मौजूद हैं। यहाँ शिप्रा नदी के जल को स्वच्छ कर इसे सीधे पेयजल को उपयोग में लेने के लिए इस जल संरचना का निर्माण कराया गया था। इस यंत्र से जल को शुद्ध कर शहर में तांबे की पाइप लाइन से लोगों के उपयोग हेतु नगर में पहुंचाया जाता था। बावन कुंडों पर बनी जल संरचना और इस पर पानी शुद्ध और साफ करने की विधि और किस तरह यह जल शहर की जनता तक पहुँचाया जाता था। इस बारे में डॉ. सुशील मंडेरिया सहायक प्राध्यापक एवं पर्यावरणविद् जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर ने अग्निबाण को बताया कि कालियादेह महल के बावन कुंडों में जल शुद्धिकरण यंत्र के माध्यम से शिप्रा नदी का पानी पहुँचता है। यंत्र में जल घूमता है तो उसका कुछ तापमान बढ़ता है और ऑक्सीजन घुलती जाती है। इसीलिए अंतिम बावन कुंड का जल आगे के कुंडों की तुलना में कुछ अधिक तापमान का होता है। ऑक्सीजन घुलने और झरने से नीचे बहने के कारण जल की अशुद्धियाँ दूर हो जाती हैं, जिससे आगे की बस्ती में जल पीने लायक हो जाता है और इस पानी को फिर बस्तियों तक पहुँचाने का कार्य किया जाता था। उज्जैन में बनी यह प्राचीन जल संरचना जिसे जल छनक यंत्र नाम दिया गया था। इसके इतिहास और इसके महत्व को देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि प्राचीन काल में भी लोगों को आर ओ की तरह शुद्ध और साफ पीने का पानी वितरित किया जाता था।

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