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ई-कॉमर्स कंपनियों को भारी पड़ेगा फर्जी रिव्यू, सरकार लगा सकती है भारी पेनल्टी

नई दिल्ली: ई-कॉमर्स कंपनियों को फेक रिव्यू के जरिए ग्राहकों को प्रभावित करने की कोशिश अब महंगी पड़ने वाली है. दरअसल इस मामले में सरकार ने सख्ती का मन बना लिया है. सूत्रों के मुताबिक कंज्यूमर मंत्रालय सोमवार को फेक रिव्यूज पर अपनी गाइडलाइंस जारी करेगा.

सूत्रों ने जानकारी दी है कि फेक रिव्यू लिखवाने पर इन कंपनियों पर भारी पेनल्टी लगाई जा सकती है. दरअसल ऐसे फेक रिव्यूज की वजह से ग्राहकों को प्रभावित करने से जुड़े मामले सामने आते रहे हैं जहां उन्होने रिव्यू पर भरोसा कर गलत उत्पाद खरीद कर नुकसान उठा लिया. नई गाइडलाइन के साथ उम्मीद बंधेगी कि लोग आगे ऐसे फर्जी रिव्यू से बच सकेंगे.

क्या हो सकते हैं नए नियम
सूत्रों के मुताबिक फेक रिव्यूज को लेकर नई गाइडलाइंस सोमवार को जारी हो सकती हैं. इन गाइडलाइन के अनुसार फेक रिव्यू साबित होने पर कंपनियों पर भारी पेनल्टी लगाई जाएगी. ऐसे मामले साबित होने पर ई-कॉमर्स कंपनियों पर 10 लाख से 50 लाख रुपये तक की पेनाल्टी लग सकती है, गाइडलाइन की मदद से विभाग फेक न्यूज पर खुद से एक्शन ले सकेगा.

इन गाइडलाइन का मकसद उपभोक्ता के हितों की रक्षा करना है और किसी उत्पाद की सही जानकारी सामने लाना है. जिससे वो सामान की खरीद को लेकर सबसे सही फैसला ले सके. इन गाइडलाइन के दायरे में कंपनियों के द्वारा अपने उत्पाद के लिए पॉजिटिव रिव्यू के साथ साथ दूसरी कंपनी के उत्पादों के निगेटिव रिव्यू भी शामिल होंगे. सरकार के इस कदम से जोमैटो, स्विगी, नाएका, अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों पर कार्रवाई हो सकेगी.


क्या है कंपनियों काम करने का तरीका
ई-कॉमर्स कंपनियां किसी भी उत्पाद के साथ उस उत्पाद को खरीद चुके और इस्तेमाल कर रहे ग्राहकों के रिव्यू भी देती हैं.इनका उद्देश्य ग्राहक को उत्पाद को लेकर सही जानकारी देना होता है. हालांकि सेल्स बढ़ाने के लिए कई बार कंपनियां चुनिंदा ग्राहकों को गिफ्ट आदि देकर अपने उत्पाद के लिए सकारात्मक रिव्यू लिखने को कहती हैं. ये रिव्यू पूरी तरह से उस उत्पाद के वास्तविक प्रदर्शन से अलग होता है.

वहीं कई बार कंपनियां इसी तरीके का इस्तेमाल कर किसी दूसरी कंपनी के उत्पाद को खराब दिखाने के लिए भी करती है. दोनों ही तरीकों में कंपनियां रिव्यू लिखने वाले को कैश या गिफ्ट आदि कोई लालच देती हैं. और बदले में अपने हिसाब से रिव्यू लिखवाती हैं. इन फेक रिव्यू का इस्तेमाल कंपनियां अपनी रणनीति के आधार पर किसी उत्पाद की झूठी तस्वीर तैयार करने में करती हैं जिससे सीधे तौर पर उनका फायदा जुड़ा होता है. लेकिन दूसरी तरफ आम ग्राहक नुकसान उठा लेते हैं.

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