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मध्‍य प्रदेश में किसानों ने बनाई खुद की कंपनी, मुनाफा हुआ दोगुना

भोपाल । तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों और अन्य मांगों को लेकर किसान 42 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं. केंद्र सरकार से कई दौर की बातचीत के बाद भी कोई नतीजा सामने नहीं आ सका है. ऐसे में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कुछ किसानों ने एक नया रास्ता अपनाया है. इन्होंने अपनी किस्मत खुद अपने हाथों बदलने का बीड़ा उठाया है. यहां किसानों ने खुद ही इकट्ठा होकर अपनी एक कंपनी बना ली है जिसके बैनर तले अब वह अपनी उपज खुद ही बाजार में बेचने जाते हैं और पहले से दोगुना मुनाफा कमा रहे हैं.

कंपनी बनाने वाले इन किसानों को न मंडियों की फिक्र है और न ही बिचौलियों का खौफ. दरअसल भोपाल से करीब 40 किलोमीटर दूर बैरसिया में गुनगुनी ठंड की सुबह एक जगह लैपटॉप खोलकर बैठे कुछ लोग पहली नज़र में किसी प्राइवेट दफ्तर के कर्मचारी लगते है. लेकिन हकीकत में ये किसान हैं. उन्हीं किसानों की तरह जो अक्सर इस बात से परेशान रहते हैं कि इन्हें उपज का सही मूल्य नहीं मिलता या बिचौलिए इनकी उपज पर खुद मोटा मुनाफा उठाते हैं. लेकिन बैरसिया के किसान थोड़े हटकर हैं. इन्होंने अपनी उपज को बेचने और ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए दूसरों की तरफ ताकना बंद कर दिया है.

इन किसानों ने अपनी खुद की कंपनी बना ली है और खुद का ब्रांड बनाकर अब अपनी उपज बेच रहे हैं. किसानों ने अपनी कंपनी का नाम रखा है ‘बैरसिया ऑर्गेनिक फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी प्राइवेट लिमिटेड’. इस कंपनी में बकायदा 10 लोगों का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर भी है जिसमें सभी किसान हैं.

बैरसिया के रहने वाले विशाल सिंह मीणा ने बताया कि वो पहले सरकारी नौकरी करते थे. साथ ही खेती का काम भी था लेकिन फसल का कभी सही दाम नहीं मिलता तो कभी एमएसपी पर भी उपज नहीं बिकती. ऊपर से फसल में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों के इस्तेमाल से लागत भी बढ़ जाती थी. लिहाजा इन्होंने नौकरी छोड़ी और खेती संभालने लगे. धीरे-धीरे ऑर्गेनिक खेती के बारे में पता चला तो पहले खुद ऑर्गेनिक खेती शुरू की और बाद में और भी किसानों को जोड़ते चले गए. आज किसानों की इस अपनी कंपनी के साथ करीब 500 किसान जुड़ चुके हैं. अगला लक्ष्य है एक साल में करीब 5 हज़ार किसानों को इस कंपनी से जोड़ना.

किसानों की इस कंपनी की खास बात है कि यह सिर्फ ऑर्गेनिक खेती से हुई उपज ही बेचते हैं. किसानों की इस कंपनी में एक किसान हैं अब्दुल मजीद. इनका दावा है कि यह बीते कुछ सालों से फसलों में कीटनाशक और अन्य केमिकल की बजाय गौमूत्र और ऐसी पत्तियों का मिश्रण डाल रहे हैं जिससे ना केवल इनकी फसलों की पैदावार अच्छी हो रही है बल्कि गौमूत्र और 5 पत्ती काढ़ा के मिश्रण से फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़े भी नहीं लगते. किसानों की यह कंपनी भोपाल के पास अपनी ज़मीन पर गेहूं, सरसों, पपीता, अमरूद और दूसरी सब्ज़ियां उगाती हैं. गौमूत्र के लिए बाकायदा इन्होंने गाय भी रखी हुई है.

किसानों की इस कंपनी की खास बात यह है कि अपनी उपज की कीमत यह खुद तय करते हैं. गेहूं की ग्रेडिंग भी खुद करते हैं और खुद की ही कंपनी के ब्रांड ‘आर्गेनिक एम्पायर’ के तहत उसे पैक कर बाजार में बेचने जाते है. खेत से भोपाल तक फ़सल और सब्जियां यह खुद पहुंचाते हैं जहां से ट्रेन और ट्रकों के ज़रिए इनका माल दूसरे शहरों तक जाता है. यानी फसल उगाने से लेकर उसे मार्केट तक बेचने में कहीं भी बिचौलिए नहीं बल्कि पूरा कंट्रोल किसान के हाथ मे होता है. किसानों की हिम्मत और लीक से हटकर खेती करने के इनके तरीके ने इनके मुनाफे को करीब-करीब दोगुना कर दिया है. जाहिर है इससे ये किसान बहुत खुश हैं. अब जल्द ही ये किसान लाइसेंस लेकर अपनी कंपनी को ऑनलाइन बाजार में रजिस्टर कराने की तैयारी कर रहे हैं.

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