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ग्‍वालियर नगर निगम की वित्तीय स्थिति बेहद खराब, महिला मेयर ने लौटा दी सरकारी कार

ग्वालियर (Gwalior) । मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर नगर निगम (Gwalior Municipal Corporation) की वित्तीय स्थिति (financial situation) इतनी खराब हो गई है कि कर्मचारियों को सैलरी तक नहीं मिली है. यह जानकारी जब महापौर शोभा सिकरवार को मिली तो उन्होंने निगम से मिली हुई कार लौटा दी. साथ ही महिला मेयर ने निगम की किसी भी सुविधा को लेने से भी इनकार कर दिया.

दरअसल, दावा किया जा रहा है कि पिछले कुछ समय से ग्वालियर नगर निगम की वित्तीय स्थिति काफी खराब हो गई है. खर्च बहुत ज्यादा है और नगर निगम की आमदनी इतनी नहीं हो पा रही है. यही वजह है कि निगम की वित्तीय स्थिति काफी गड़बड़ा गई है.

हालात ऐसे हो गए हैं कि कर्मचारियों को उनका वेतन तक नहीं मिला है. इस बात की जानकारी नगर निगम की महापौर शोभा सिकरवार को भी है. यही वजह रही कि गुरुवार को महापौर शोभा सिकरवार ने नगर निगम से मिली हुई गाड़ी को वापस कर दिया. उन्होंने नगर निगम के अधिकारी को गाड़ी की चाबी थमा दी.

महापौर शोभा सिकरवार ने मीडिया से बातचीत में बताया, इन दिनों ग्वालियर नगर निगम की वित्तीय स्थिति काफी खराब है और शासन से भी पैसा नहीं मिल रहा है, ऐसे में नगर निगम के कर्मचारियों के वेतन भी नहीं मिल पा रहा है. यही वजह है कि वे नगर निगम की गाड़ी को वापस कर रही हैं और वह नगर निगम की किसी भी सुविधा का उपयोग नहीं करेंगी.


इसके साथ ही महापौर शोभा सिकरवार ने नगर निगम के अधिकारियों को भी यह नसीहत दी है कि फिजूल खर्ची को बंद करें और निगम की आर्थिक स्थिति में सुधार लाएं.

बता दें की शोभा सिकरवार ग्वालियर पूर्व विधानसभा से कांग्रेस विधायक सतीश सिंह सिकरवार की पत्नी हैं. शोभा सिकरवार ने ग्वालियर नगर निगम की महापौर सीट पर काबिज होकर 57 साल बाद कांग्रेस का परचम ग्वालियर नगर निगम पर लहराया था.

शोभा सिकरवार मेयर से पहले ग्वालियर नगर निगम में पार्षद भी रह चुकी हैं. उनके पति सतीश सिंह सिकरवार पहले बीजेपी में थे. लेकिन साल 2020 में हुए उपचुनाव के पहले वे कांग्रेस में शामिल हो गए और ग्वालियर पूर्व विधानसभा से जीतकर विधायक चुन लिए गए थे. इसके बाद कांग्रेस विधायक की पत्नी शोभा सिकरवार ने कांग्रेस के टिकट पर ग्वालियर नगर निगम की महापौर पद के लिए चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.

बहरहाल, नगर निगम से मिली कार लौटाने पर तमाम तरह के सवाल भी खड़े हो गए हैं. आखिर क्या ग्वालियर जैसे महानगर की नगर निगम के सच में ऐसे हालात हैं और प्रदेश की सरकार से पैसे की कोई मदद नहीं मिल रही है, तो भला शहर का विकास कैसे होगा?

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