उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

पश्चिम से पूर्व की ओर बहकर छोटी कालीसिंध नदी करती है सोमेश्वर महादेव का अभिषेक

  • ग्राम सुनारिया में पांडव कालिन शिव मंदिर स्थित है नदी के बीचोंबीच

आगर मालवा (मनीष मारू)। उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील से सटे आगर जिले के ग्राम सुनारिया में छोटी कालीसिध नदी के बीचोंबीच स्थित सोमेश्वर महादेव का मंदिर इन दिनों लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है, हालांकि मंदिर नदी के बीच में स्थित होने के कारण बारिश में नदी बहाव पर होने से कोई यहां पर भगवान के दर्शन नहीं कर पाता है।
मान्यता है कि यह मंदिर पांडवकालीन है तथा यहां पर नदी के बहाव की दिशा इस प्रकार है कि बारिश के मौसम के दौरान नदी का पानी पश्चिम से पूर्व की ओर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करने के बाद वापस उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर बहने लगता है। क्षेत्र के लोगों के लिए यह आस्था का प्रमुख केन्द्र है। जिला मुख्यालय से 27 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम सुनारिया से एक किमी दूर छोटी कालीसिंध नदी बहती है। इस नदी के बीचोंबीच एक भोलेनाथ का मंदिर बना हुआ है जो कि सोमेश्वर महादेव के नाम से काफी प्रसिद्ध है। यह स्थान रमणीय होने के साथ-साथ काफी आकर्षक है। यहां पर बारिश के दौरान दूर-दूर से पर्यटक घूमने आते है। इस गांव के ईश्वर सिंह, मानसिंह ने बताया कि यह मंदिर पांडव के समय का है। जब पांडव अज्ञातवास के दौरान यहां से निकले तो कुछ समय के लिए यहीं पर रुके थे। तभी भीम ने अपनी जनेऊ का ऊन देकर आचमनी लेकर नदी का मार्ग पश्चिम से पूर्व की ओर कर दिया, इसके पहले नदी अपनी दिशा उत्तर से दक्षिण की ओर बहती थी, लेकिन भीम के द्वारा किए गए इस कार्य के बाद नदी का मार्ग परिवर्तित हो गया और मार्ग परिवर्तन के कारण बारिश के दौरान पानी से पहले सोमेश्वर महादेव का अभिषेक होता है, उसके बाद नदी फिर घूमती हुई उत्तर से दक्षिण की ओर बहने लगती है। आज भी बारिश के पानी से भोलेनाथ का अभिषेक देखने के लिए यहां पर लोग प्रतिदिन आते हैं।

पत्थरों पर है भीम की जनेऊ के निशान
यहां पर पत्थरों में आज भी भीम की जनेऊ के निशान देखे जा सकते हैं। मंदिर पर जाने के लिए यहां पर व्यवस्थित रुप से कोई रास्ता नहीं है, लेकिन यहां पर कुछ शिलाएं रखी है जिस पर से होकर जाने से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है, लेकिन बारिश में यह शिलाएं डूब जाती है जिसके कारण बारिश में इस मंदिर तक नही पहुंचा जा सकता है। किवंदती है कि जिस व्यक्ति के कर्म अच्छे न हो वह इस मंदिर तक नहीं जा पाता और बीच में फंस जाता है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए गांव से ही कोई सड़क नहीं है। पत्थरों व कच्चे रास्तों पर होकर इस मंदिर तक पहुंचा जाता है। ग्रामीणों के अनुसार यहां सड़क का निर्माण हो तो यह स्थान प्रसिद्धि पा लेगा जिससे की यहां पर धर्मालुओं व पर्यटकों की संख्या भी बढग़ी। सोमेश्वर महादेव मंदिर के पास नदी किनारे शिवरात्रि के दिन बरसों से मेले का आयोजन होता आ रहा है। इस मेले में आसपास के गांव से हजारों की संख्या में लोग आते रहे है व महादेव के दर्शनलाभ लेकर मेले का लुप्त उठाते हैं।

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