इंदौर न्यूज़ (Indore News)

पुजारियों को नोटिस थमाए, जमीनों की जानकारी ली

  • महालक्ष्मी मंदिर के पुजारी ने अग्निबाण को दुखड़ा सुनाया
  • कलेक्टर का आदेश मिलते ही प्रशासन ने शुरू की कार्रवाई
  • पुजारियों ने कहा- हमें वेतन तक नहीं दिया
  • चढ़ावा भी ट्रस्ट ले जाता है, जो भक्त देते हैं उनसे काम चला रहे हैं

इंदौर। हाईकोर्ट से जीत हासिल करने के बाद प्रशासन ने खासगी ट्रस्ट के मंदिरों और भूमियों को अपने हाथों में लेना शुरू की। पहली कार्रवाई करते हुए कलेक्टर द्वारा कल सभी एसडीएम और तहसीलदारों को मंदिर और भूमियों की सूची जारी करते हुए मंदिरों का व्यवस्थापन लेने और भूमियों पर स्वामित्व दर्ज कराने के आदेश दिए। आदेश मिलते ही प्रशासन का दल कुछ मंदिरों पर पहुंचा और पुजारियों को शासन का आदेश थमाया। वहीं राजस्व निरीक्षक और पटवारी की टीमों को उल्लेखित भूमियों का कब्जा लेने दौड़ाया।

जिला प्रशासन द्वारा कल शहर के 24 मंदिरों और उनसे संबंधित भूमियों के कब्जे लेने का आदेश जारी किया गया था। इस आदेश में जहां राजबाड़ा के प्रसिद्ध महालक्ष्मी मंदिर और हरसिद्धि मंदिर सहित अन्य मंदिर शामिल हैं, वहीं हातोद, तिल्लौरखुर्द, केवादिया, देवगुराडिय़ा, पीपल्दा, सांवेर की भूमियां भी शामिल हैं। इनमें सबसे बड़ा रकबा हातोद के श्रीराम मंदिर, तिल्लौर के तिलकेश्वर महादेव मंदिर, देवगुराडिय़ा के गुटकेश्वर महादेव मंदिर और सांवेर के जबरेश्वर मंदिर का है। कलेेक्टर द्वारा मंदिरों के व्यवस्थापन के आदेश दिए जाने के बाद पुजारियों की जहां यथास्थिति रखी जाएगी, वहीं जमीनों पर भी खेती कर रहे लोगों का पंचनामा बनाकर यह जानकारी इकट्ठा की जा रही है कि किस हैसियत से उनके द्वारा खेती की जा रही है।

4 मंदिरों की ही 95.84 हेक्टेयर जमीन
हातोद में ही है 53 हेक्टेयर जमीन तो तिल्लौर खुर्द में 23 हेक्टेयर
जिला प्रशासन द्वारा आज जारी की गई सूची में ग्राम हातोद, तिल्लोर खुर्द, केवादिया, दुवगुराडिय़ा, पीपलदा, सांवेर की भूमियों के कब्जे लेने के निर्देस दिए गए हैं इनमें सर्वाधिक भूमि चार मंदिरों के नाम पर है जिनमें हातोद के श्रीराम मंदिर के नाम पर जहां 53.378 हेक्टेयर भूमि है वहीं तिल्लौर खुर्द के तिलकेश्वर महादेव के नाम पर23.257 हेक्टेयर भूमियां दर्ज है। इसके अलावा तिल्लौर खुर्द के ही श्रीरा मंदिर की भूमि 4.88 हेक्टेयर है तो केवादेश्वर महादेव मंदिर की भूमि 2.863 हेक्टेयर है। इसके अलावा देवगुराडिय़ा के प्रसिद्ध गुटकेश्व महादेव मंदिर की भूमि जहां 9.802 हेक्टेयर है वहीं सांवेर के जबरेश्वर महादेव मंदिर के पास 9.383 हेक्टेयर भूमि है। इसके अलावा ग्राम पीपल्दा के गणपति मंदिर की भूमि 3.868 हेक्टेयर तो केवदिया के केवादेश्व महादेव मंदिर की भूमि 2.225 हेक्टेयर है। इन सभी भूमियों पर पंचनामा बनाने आज प्रशासन पहुंचेगा।

होलकर देते थे वेतन, ट्रस्ट ने घटाया तो पुजारी ने ठुकराया

देश भर में फैली खासगी ट्रस्ट की भूमियों सहित मंदिरों पर अब प्रशासन कब्जा लेने तो जा रहा है लेकिन मंदिर के पुजारियों की अपनी ही व्यथा है। प्रशासन की टीम के महालक्ष्मी मंदिर और हरसिद्धी मंदिर पहुंचने से पहले अग्निबाण ने पुजारियों की स्थिति जानना चाही तो पता चला कि उन्हें तो वेतन तक नहीं मिलता है।

बरसो पुराने राजबाड़ा स्थित महालक्ष्मी मंदिर के पुजारियों की व्यथा भी बहुत कुछ कहती है। पता चला कि महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण सन 1833 में महाराजा हरिराव होल्कर ने करवाया था, और उसी दौरान पुजारी पुरूषोत्तम दूबे को नियुक्त किया गया था। वर्तमान में उनके पुत्र भानू दुबे मंदिर की पूजापाठ और देखरेख करते है। पूजारी के मुताबिक महाराजा द्वारा पुजारी को मंदिर पूजन-अर्चन के लिए सालाना सवा सौ रूपए की राशि अदा कि जाती थी। बाद में परिस्थितियां बदली तो खासगी ट्रस्ट बना और फिर ट्रस्ट के द्वारा पुजारी का वेतनमान घटा कर 75 रूपए सालाना कर दिया गया घटा हुआ वेतन देकर पुजारी इतने व्यथित हुए कि उन्होंने साल के 75 रुपए भी स्वीकार नहीं किया। तब से लेकर अब तक पूजारी परिवार वहां पुजा अर्चना के बदले ट्रस्ट से किसी भी प्रकार की राशि नहीं ले रहा है। ट्रस्ट द्वारा मंदिर में रखी दान पेटी से भी दान हर महीने निकालने के लिए व्यक्ति आता है। दान की गणना भी ट्र्स्ट के लोग ही करते है। मंदि की पेटियों में कितना दान यह भी उन्हें पता नहीं है। उन्होंने बताया कि मंदिर के नीचे तलघर में चार दुकानें मौजूद है वहीं बाहर दो फूल वाले भी बैठते हैं इन दुकानदारों और फुल वालों द्वारा ट्रस्ट को ही किराया दिया जाता है। मंदिर जीर्णोद्धार के दौरान ट्रस्ट ने इन्हें तल मंजिल के बजाय तलघर का किराएदार बना दिया था।

हरसिद्धि मंदिर के पुजारी भी पांच पीढ़ी से बिना वेतन के कर रहे हैं सेवा-पूजा
हरसिद्धि मंदिर के वर्तमान पुजारी राधेश्याम जोशी ने भी अग्निबाण से चर्चा करते हुए बताया कि यह उनकी पांचवी पीढ़ी मंदिर में सेवाएं दे रही है। शहर के मध्य क्षेत्र में ख्यात हरिसिद्धी मंदिर में दूर-दूर से लोग दर्शन और पूजन के लिए आते है। उन्होंने कहा कि यहां पर भी पुजारी को वेतन नहीं दिया जाता है। भक्तों द्वारा जो श्रद्धाभाव से उन्हें दक्षिणा दी जाती है उसी से ही वे अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर में रखी दान पेटियाों में जो भी चढ़ावा आता है वो ट्रस्ट ले जाता है। बरसो से यह पुजारी परिवार अपना गुजर बसर भक्तों की दक्षिणा से ही कर रहा है। पुजारियों को उम्मीद है कि प्रशासन द्वारा मंदिर अपने व्यवस्थापन में लिए जाने के बाद उनका वेतन शुरू हो जाएगा। आश्चर्य की बात तो यह है कि मंदिर की बिजली का बिल भी ट्रस्ट द्वारा नहीें भरा जा रहा है। पुजारी ने बताया कि उनके अपने परिवार द्वारा मंदिर के उपयोग में लाई जाने वाली बिजली का बिल खुद भरा जाता है।

 

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