भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

सरदार सरोवर बांध से भरपूर लाभ ले रहा गुजरात, मप्र को दिखा रहा आंखें

  • अनुबंध के हिसाब से नहीं किया बिजली उत्पादन, मप्र ने मांगा 904 करोड़ का क्लेम

भोपाल। प्रदेश के तीन जिलों के सैंकड़ों गांवों को विस्तापित कर बनाए गए सरदार सरोवर बांध से गुजराज भरपूर लाभ ले रहा है। बांध की ऊंचाई बढ़ाने से डूब में आए मप्र के अन्य गांवों का अभी पुनर्वास भी पूरी तरह से नहीं हुआ है, उससे पहले ही गुजरात ने मप्र को आंखें दिखाना शुरू कर दिया है। बांध से बिजली उत्पादन को लेकर दोनों राज्यों के बीच विवाद के हालात बन गए हैं। मप्र का दावा है कि गुजरात ने अनुबंध के मुताबिक बांध के पानी से बिजली पैदा नहीं की, जिससे मप्र को बाहर से बिजली खरीदनी पड़ी। इसका 904 करोड़ रुपए क्लेम बनता है, इसे दिया जाए। इसके जवाब में गुजरात सरकार ने कम पानी छोडऩे का दावा करते हुए मप्र से 5 करोड़ रुपए का क्लेम किया है। गुजरात सरकार का तर्क है कि मप्र यदि इंदिरा सागर बांध में पानी नहीं रोकता तो वे बिजली पैदा करते। पानी रोकने के कारण गुजरात को ही 10 मिलियन यूनिट (एक करोड़ यूनिट) का नुकसान हो गया। इसके लिए गुजरात ने 5 करोड़ का क्लेम किया है। इसी महीने 9 नवंबर को हुई बैठक में मप्र ने पक्ष रखा, लेकिन गुजरात ने मप्र पर ही दावा कर दिया। अब गुजरात के दावे को खारिज करने के लिए मप्र इसी सप्ताह जवाब नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी और गुजरात को भेजेगा। मप्र अपने क्लेम पर कायम है। बिजली की राशि के साथ मप्र ने कुल 7 हजार 326 करोड़ का दावा गुजरात सरकार पर किया है। इसमें पुनर्वास की भी राशि शामिल है। नर्मदा घाटी विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव आईसीपी केशरी ने बताया कि मप्र अपने क्लेम के पक्ष में है। इस बात को एनसीए में रखा जाएगा। जल्द ही जवाब तैयार करके गुजरात और एनसीए को भेजेंगे।

केंद्र का झुकाव गुजरात की ओर
सरदार सरोवर बांध के पानी के उपयोग के मामले में केंद्र सरकार का झुकाव गुजरात सरकार की ओर रहा है। केेंद्र में जब कांग्रेस की यूपीए सरकार थी, तब केंद्र सरकार का झुकाव मप्र की शिवराज सरकार के पक्ष में रहता था। यही वजह थी कि यूपीए सरकार के समय में सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई नहीं बढ़ाई गई थी। तब ऊंचाई बढ़ाने से पहले डूब प्रभावित गांवों का पूरी तरह पुनर्वास का मुद्दा आता था। 2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार आई तो फिर से गुजरात ने बांध की ऊंचाई बढ़ाने का दवाब बनाना शुरू कर दिया था। तब केंद्र सरकार ने भी मप्र पर दबाव बनाया। डूब प्रभावित गांवों का सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक पुनर्वास नहीं होने से पहले ही बांध की ऊंचाई बढ़ाई गई। जिससे सबसे ज्यादा नुकसान मप्र को उठाना पड़ा है। अब गुजरात बांध के पानी से अनुबंध के मुताबिक बिजली उत्पादन भी नहीं कर रहा है। जिससे मप्र को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। गुजरात इस मामले में मप्र को आंखें दिखा रहा है।

बिजली-पानी को लेकर तीन साल से चल रहा है विवाद
सरदार सरोवर बांध के पानी एवं बिजली उत्पादन को लेकर मप्र और गुजरात के बीच पिछले तीन साल से विवाद चल रहा है। वर्ष 2017-18 में सरदार सरोवर से 88 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन कम किया गया। मप्र के इस दावे को गुजरात सरकार ने पहले तो घटाकर 21 मिलियन यूनिट कर दिया, फिर कहा कि उसे तो 10 मिलियन यूनिट का नुकसान हुआ। वर्ष 2018-19 गुजरात ने बिजली पैदा नहीं की और पानी भरकर रखा। मप्र ने कहा कि आप बिजली बनाते तो 877 मिलियन यूनिट बिजली मिलती। गुजरात ने कहा कि आप पानी छोड़ते तो हम बिजली पैदा करते। चालू साल में फिर 877 मिलियन यूनिट बिजली नहीं पैदा की गई। मप्र ने कहा कि पिछले साल की तरह ही गुजरात ने पानी रोककर रखा।

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